रोग परिचय

नासागुहा की श्लैष्मिक झिल्ली (Mucus membrane) के शोथ को ही दुष्ट प्रतिश्याय (साइनोसाइटिस-Sinusitis) कहते हैं। यह तीव्र या दीर्घकालीन (Acute or Chronic) तरह का हो सकता है जिसमें एक साइनस या सारे साइनस एक साथ शामिल हो सकते हैं। इसे ‘वायुविवरशोथ’ के नाम से भी जाना जाता है।
रोग के प्रमुख कारण

1. तीव्र राइनाइटिस में द्वितीयक जीवाणु संक्रमण श्लेष्मा झिल्ली के लिम्फेटिक से साइनस तक चला जाता है।
2. दाँतों की जड़ों में इन्फैक्शन होने से, दाँत निकालते समय चोट लग जाये जो कि साइनस में खुलते हैं।
3. साइनस में चोट लगने से फ्रैक्चर होने पर जिससे संक्रमण या संक्रमित खून चला जाता है। 4. छाती से संक्रमण होने पर।
5. अधिक समय तक सर्दी वाले मौसम में रहने से।
6. संक्रमित पानी में नहाने या तैरने से ।
7. विटामिन्स की कमी।
8. टॉसीलाइटिस एवं एडीनायड्स में नाक
में रुकावट की वजह से।
9. नाक में रुकावट एलर्जी, बाह्य वस्तु, टेढ़ा सेप्टम !
रोग के प्रमुख लक्षण

1. मरीज को तीन चार दिन से सर्दी-जुकाम लगा होने से नाक बन्द रहती है। पहले नाक से जो पानी जैसा स्राव जा रहा होता है वह गाढ़ा हो जाता है।
2. संक्रमित साइनस में तेज दर्द होता है जो झुकने व खाँसने से बढ़ जाता है।
3. सिर में तेज दर्द व भारीपन रहता है।
4. स्वाद बदल जाता है। मुँह से नासास्राव का स्वाद रहता है
5. कभी-कभी नाक से खून भी या खून वाला स्राव बहता है।
6. रोगी को ज्वर चढ़ता है और उसका शरीर गिरा गिरा सा रहता है।
7. नाक में रुकावट व गले में खराश ।
8. साइनस के ऊपर दबाने से दर्द हो सकता है। कभी-कभी वहाँ पर सूजन भी आ सकती है।
Note अग्र साइनोसाइटिस में सिर का दर्द सुबह के समय अधिक और जैसे-जैसे सूर्य चढ़ता है दर्द बढ़ता जाता है। दोपहर के बाद यह कम या खत्म हो जाता है। साइनसों का दर्द कुछ इस प्रकार होता है-

1. मैक्जलरी साइनस का दर्द-आँख के अन्दर वाले कोर के नीचे गाल की तरफ होता है।
2. एथमायडल साइनस का दर्द-नाक के पुल के ऊपर ।
3. स्फीनायड साइनस का दर्द- सिर के पीछे के भाग में व आँख में होता है।