DIABETES MELLITUS-मधुमेह

परिचय –

मधुमेह एक ऐसा रोग है जिसमें इन्सुलिन की कमी के कारण या इन्सुलिन का प्रभाव कम होने के कारण अतिग्लूकोज रक्तता (Hyper glycaemia) और अक्सर ग्लूकोज मेह (Glycosuria) होता है।

रोग के कारण

मधुमेह या डायबिटीज के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-

1. अधिक भोजन करना तथा शारीरिक श्रम न करना।

2. मोटापा मोटापा भी मधुमेह होने का प्रमुख

कारण है।

3. आनुवांशिकता (Heredity) – मधुमेह की उत्पत्ति होने का तीसरा मुख्य कारण आनुवांशिकता है

4. संक्रमण (Infection) – विषाणु संक्रमण हो जाने  के पश्चात् अक्सर मधुमेह हो जाता है।

5. आयु, लिंग और जाति ।

6. भावात्मक दबाव – चिंता और मानसिक तनाव के कारण।

7. अन्तःस्रावी ग्रन्थियों में होने वाले विकारों के कारण।

8. कुपोषण (Malnutrition) | 

9. अल्पपोषण से ।

10. इसके अतिरिक्त कुछ औषधियों का लम्बे अर्से तक प्रयोग अथवा उनका अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से चोट लगने या एक्सीडेंट हो जाने से गर्भावस्था, शहरीकरण, इन्सुलिन की कमी आदि कारणों से।

रोग के लक्षण

1. भूख का अधिक लगना ।

2. वजन कम होना।

3. अधिक मात्रा में तथा बार-बार पेशाब आना।

4. थकान और शिथिलता।

5. जननांगों, जाँघों एवं पेशाब की जगह पर

खुजली । 

6. आँखों से धुंधला दिखाई देना, चश्मे का नम्बर बढना |

7. फोड़े-फुन्सियों का होना, पैर तथा टाँगों का सो जाना एवं चींटियाँ सी चलना।

8. पिंडलियों में दर्द होना एवं रात को सोते हुए या दिन में चलते-चलते पिंडलियों में कढ़वल (वायंटा) पड़ना- ये सभी लक्षण हैं जो मधुमेह रोग होने की सम्भावना दर्शाते हैं।

9. कई बार ऐसा होता है कि पैर में कोई चोट लग जाये या पैर में जूता काट ले और जख्म भरता न हो तब पेशाब टेस्ट कराने पर पता चलता है कि मधुमेह रोग है।

10. कई बार जब किसी रोग के लिए सर्जरी (ऑपरेशन) की जरूरत होती है एवं खून तथा पेशाब की जाँच की जाती है तब पता लगता है कि उस व्यक्ति को डायबिटीज है।

11. डायबिटीज कोमा के रोगी जिनको टाइप एक डायबिटीज है या कभी-कभी टाइप दो डायबिटीज हैं, उसके मुँह से अजीब सी गन्ध/ बदबू आती है। ब्लड प्रेशर कम होता है एवं खड़े होने पर वह गिर जाता है तथा रोगी को चक्कर आने लगते हैं। सारे शरीर में चर्बी जमा हो जाने के निशान एवं कॉलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ होता है। महिलाओं के जननांगों में सूजन एवं फंगस इन्फैक्शन के निशान होते हैं।

Note *

आज हमारे देश में करीब दो करोड़ लोग मधुमेह रोग से पीड़ित हैं एवं एक करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें अपने इस रोग के बारे में पता ही नहीं है। वैसे मधुमेह आज अति सामान्य रोगों में से एक है। दिन-प्रतिदिन इसका आघटन बढ़ता ही जा रहा है। सबसे अधिक प्रभाव शहरी, आधुनिक, यान्त्रिक समाजों में देखा जाता है। इस आधार पर यह कहना अनुचित न होग कि यह रोग आधुनिक सभ्यता की एक देन है। जीवन काल बढ जाने, मोटापा अधिक होने तथा शारीरिक परिश्रम की कमी कुछ ऐसे प्रमुख मुद्दे हैं जिनके कारण आज के आधुनिक समाज में इसका आघटन ज्यादा होने लगा है।

रोग की पहचान

पीछे बताये गए मधुमेह के लक्षण एवं चिन्हों के आधार पर मधुमेह या डायबिटीज का निदान हो जाता है। कभी-कभी ऐसा होता है कि कोई व्यक्ति अपने किसी और रोग के लिए परामर्श हेतु डाक्टर के पास जाता है तो डाक्टर उसका रक्त परीक्षण करके उसमें सामान्य से अधिक शुगर (ग्लूकोज) पाए जाने पर तथा मूत्र का परीक्षण करने पर उसमें शुगर के पाये जाने पर उस व्यक्ति को मधुमेह या डायबिटीज से पीड़ित होना भी घोषित कर देता है। यद्यपि उस समय उस व्यक्ति में डायबिटीज के लक्षण नहीं भी मिल सकते हैं। लक्षणों के आधार पर मधुमेह का निदान हो जाने पर निम्नलिखित परीक्षणों द्वारा निदान की पुष्टि की जा सकती है-

1. मूत्र में शुगर (ग्लूकोज) का परीक्षण । 2. रक्त में शुगर का आकलन (Blood Sugar Estimation) |

3. ग्लूकोज सध्यता परीक्षण (Glucose Tolerance Test)। सारांश में- चिरपरिचित लक्षणों-बहुमूत्रता, अधिक भूख लगना एवं प्यास आदि लक्षणों के आधार पर मधुमेह का निदान आसान होता है। अत्यधिक थकावट होना, प्रतिदिन बढ़ती हुई कमजोरी, वजन में कमी होना तथा बार- बार संक्रमण होना इसके सहयोगी लक्षण होते हैं एवं निदान की पुष्टि उपरोक्त 3 परीक्षणों के आधार पर होती है।

रोग का परिणाम

Medical infographics symptoms of diabetes. Vector illustration.

मधुमेह रोग को यदि आहार नियन्त्रण, योगासन, व्यायाम अथवा औषधियों या अन्य साधन द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता है तो बहुत उपद्रव उत्पन्न हो जाते हैं। मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति अब पहले की अपेक्षा अधिक (4.7 से 18 वर्ष) जी लेते हैं, उनकी मधुमेह या डायबिटीज से मृत्यु नहीं होती बल्कि इसके उपद्रवों के कारण मृत्यु होती है। अतः इन उपद्रवों की रोकथाम करना चिकित्सा का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। मधुमेह के उपद्रव तीव्र (Acute) तथा जीर्ण (Chronic) दो प्रकार के होते हैं- तीव्र उपद्रव – इस वर्ग के अन्तर्गत ऐसे उपद्रवों का समावेश होता है जो एकदम उत्पन्न होकर मेडिकल इमरजेन्सी बन जाते हैं। चिकित्सा के अभाव में रोगी की मृत्यु हो जाती है जैसे – मधुमेही गहन मूर्च्छा (Diabetic Coma) तथा अल्प ग्लूकोज रक्तता या हाइपो- ग्लाइसीमिया एवं कोथ या गैन्ग्रीन आदि । जीर्ण उपद्रव – ऐसे उपद्रव धीरे-धीरे उत्पन्न होने वाले तथा लम्बे अर्से तक चलने वाले होते हैं। ऐसे उपद्रव क्षय रोग या फेफड़ों की तपेदिक, फोड़े-फुंसी, कविन्कल तथा गुर्दों एवं मूत्राशय का संक्रमण और आँख में उत्पन्न मोतियाबिन्दु आदि ।

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