परिचय

कान के मध्य भाग की सूजन को ओटाइटिस मीडिया कहते हैं। इसमें मध्यकर्ण के म्यूकोपेरिओस्टीयल लाइन में सूजन आ जाती है। सूजन की जगह पर तीव्र पीड़ा/दर्द होता है। इस रोग के शिकार अधिकांशतः बच्चे होते हैं। वयस्क लोग भी इस रोग से ग्रस्त हो जाते हैं, पर बच्चों की अपेक्षा कम ।
रोग के प्रमुख कारण

बच्चों में पुस्टेशियन ट्यूब छोटी व सीधी होती है. इसलिये मध्यकर्ण का संक्रमण अधिकपाया जाता है। ऊपरी श्वसन तंत्र के संक्रमण (यथा – सर्दी, जुकाम, टान्सिशोथ, क्रानिक साइनसाइटिस आदि), कान के पर्दे में छेद या उसके फट जाने से, खसरा, इन्फ्लूएन्जा आदि से संक्रमण मध्यकर्ण तक पहुँच जाता है। कान में घूँसा, थप्पड़ एवं बाहरी आघात लगने से । चेचक और टायफाइड के बाद रोग होना सम्भव है। वायरल संक्रमण के कारण मध्यकर्ण शोथ हो जाता है। कान में घाव, फोड़ा, फुंसी, खरोंच आदि लगने से कान में सूजन हो जाती है।
रोग के प्रमुख लक्षण

रोग का पहला लक्षण कान में पीड़ा (दर्द) होना होता है। कभी-कभी पीड़ा इतनी तीव्र होती है कि रोगी व्याकुल हो उठता है। कुछ रोगी धीमी गति से पीड़ा होने की शिकायत करते हैं। कान में भारीपन का भी आभास होता है। सुनने (Hearing) में बाधा होती है। कान में असामान्य ध्वनि सुनाई देती है। कान से स्राव बहता है तथा कभी-कभी कान बन्द भी हो जाता है। नये रोग में स्राव का रंग लाल रक्त मिश्रित होता है। कुछ रोगी कान में सीटी बजने की शिकायत करते हैं। कर्ण पीड़ा का प्रभाव सिर पर भी होता है। सिर में भारीपन एवं सिर दर्द की भी शिकायत रहती है। रोगी के कान के अन्दर टीस सी उठती अनुभव होती है। कान की निचली ग्रन्थि शोथ के कारण कुछ बढ़ी हुई प्रतीत होती है। रोगी को खाना खाते समय कष्ट का अनुभव होता है। रोगी को हरारत रहती है। रात के समय कान का दर्द बढ़ जाता है। कान से बदबू रात को नींद न आना, मानसिक तनाव, चिकित्सा के अभाव में आंशिक या पूर्ण बहरापन एवं ऊँचा सुनाई देना आदि लक्षण होते हैं।
रोग की पहचान

उपरोक्त लक्षणों के आधार पर निदान में कोई कठिनाई नहीं होती है। कान की जाँच करने पर कान के अन्दर लालिमा, सूजन शोथ एवं प्रदाह मिलती है।
रोग का परिणाम

उचित चिकित्सा के अभाव में रोगी आंशिक अथवा पूर्णतः बहरा हो जाता है और ऊँचा सुनने लगता है।