हीमोफीलिया- HAEMOPHILIA

हीमोफीलिया क्या है?

हीमोफीलिया एक आनुवांशिक रक्तस्रावी रोग है जो प्रति हीमोफिली ग्लोबुलिन (Anti-haemophilic globulin-AHG) की कमी के कारण होता है। मामूली कट जाने पर भी रक्तस्राव होते रहने की प्रवृत्ति होती है या दंतोत्पादन करने के कारण या दंतवेष्ट से सतत् रक्तस्राव होने लगे तब रक्तस्राव नहीं रुकने के कारण इसको हीमोफीलिया माना जाता है। रक्त का थक्काकरण समय (Clotting time) बढ़ा हुआ होता है।

Haemophilia

Haemophilia causes

हीमोफीलिया एण्टीहीमोफिली ग्लोबुलिन AHG की कमी के कारण होता है। यह या तो बहुत कम होता है या होता ही नहीं है। यह हीनता की स्थिति एक लिंग संबद्ध अप्रभावी गुण के रूप में वंशागत् होती है।

यह असामान्य जीन (Gene) ‘X’ क्रोमोसोम्स द्वारा ढोया जाता है। अतः यह रोग सिर्फ महिलाओं द्वारा प्रसारित होता है और सिर्फ पुरुषों में होता है।

Haemophilia

Haemophilia symptoms

रक्तस्राव होने का क्रम 3 वर्ष की उम्र के बाद ही शरू हो जाता है और आजीवन चलता रहता है। मामूली से मामूली चोट, खरोंच या कट जाने पर भी रक्तस्राव होना साधारण घटना होती है। कभी-कभी तो रक्तस्राव होने का क्रम घण्टों या दिनों तक चलता रहता है। रक्तस्त्राव शरीर के भीतरी भागों में भी हो सकता है। साइनोवियल ज्वाइंट के अन्दर (जैसे- जानु एवं गुल्फ सन्धियों के अन्दर) रक्तस्राव होना अति सामान्य घटना होती है। अक्रान्त सन्धि सूजी हुई तथा दर्द करती हुई होती है। बाद में अन्दर का रक्त संगठित होकर सन्धिग्रह (Ankylosis), निकोचन या विकृति पैदा कर देता है (Haemoarthrosis) | रक्तस्राव नाक से (नासा रक्तस्राव के रूप में), आन्त्र में (काला मल के रूप में) या मूत्रमार्ग से (हीमेचूरिया/रक्तमेह के रूप में) हो सकता है। पेशियों में या अस्थियों के पर्यस्थि कला के नीचे भी रक्तस्राव होना सम्भव है। दाँत उखाड़ने के बाद या किसी मामूली शल्य क्रिया के बाद लगातार रक्तस्राव होते रहना ध्यान आकर्षित करने वाली घटना होती है।

Haemophilia

Note कपाल के अन्दर रक्तस्राव, दृढ़तानिका के नीचे हीमेटोमा के रूप में या मस्तिष्क के अन्दर, अन्तः प्रमस्तिष्क रक्तस्राव के रूप में हो सकता है।

रोग की पहचान

रक्त थक्काकरण समय (CT) काफी बढ़ा हुआ (30 मिनट या उससे अधिक) होता है, लेकिन रक्त स्रवण समय (Bleeding time-BT), प्रोथोम्बिन समय और बिम्बाणुओं की गणना सामान्य होती है। प्लाज्मा में प्रति हीमोफिली ग्लोबुलिन (AHG) सामान्य स्तर का 5% भी नहीं होता ।

#  निदान निश्चित करने के लिये फैक्टर VIII & IX की मात्रा जानना आवश्यक है। अर्थात् इस व्याधि की उग्रता रक्त स्कन्दन करने वाले अंश (VIII & IX) की मात्रा द्वारा निश्चित होता है यथा 2 प्रतिशत से कम होने पर दारुण 2 से 10 प्रतिशत होने पर मध्यम और 10 से 50 प्रतिशत होने पर मृदु हीमोफीलिया है ऐसा निश्चित होता है। 

Haemophilia

रोग का परिणाम

इसके अधिकतर रोगियों को बार-बार यकृद्दाल्युदर और ज्यादातर रोगियों में हेपेटो- सेलूलर एन्जाइम लेवल में विकृति पायी जाती है। इसका पता लिवर बायोप्सी के द्वारा चलता है। 10 से 20 प्रतिशत रोगियों में यकृत एवं प्लीहा वृद्धि होकर उदर विकार हो जाते हैं और इनमें कुछ को लिवर सिरहोसिस हो जाता है। इनमें से कुछ एक की मृत्युकारक यकृत की व्याधि हो सकती है। इनमें सम- लिंगी मैथुन शक्ति व्यक्तियों एवं नशीली चीजों के आदी रुग्णों को बार-बार रक्त कम हो जाने पर रक्ताधान के द्वारा दिया गया रक्त जिसमें । एड्स के रोगियों का रक्त भी हो सकता है,

इसलिये एड्स होने की भी सम्भावना रहती है। इसलिये आधुनिकोक्त हीमोफीलिया की तुलना रक्तपित्त के साथ कर सकते हैं।

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