पानी में डूबना [DROWNING]

क्या है ?- पानी में डूबना

जब कोई पानी में डूबता है तो इसकी सर्वप्रथम समस्या दम घुटना है जो पानी के अंदर साँस के रास्ते बन्द हो जाने तथा पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने के कारण होती है।

इसके अतिरिक्त कुछ जैविक रासायनिक परिवर्तन भी होते हैं जिनके कारण रोगी की दशा गम्भीर व मृत्यु तक हो जाती है। चिकित्सकों को विशेषकर कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार के रोगी देखने को मिल जाते हैं।

Drowning

डूबने से मृत्यु के कारण

कई हेतु मृत्यु में सहायक होते हैं- 1. अधिकांशतः डूबने वाले की मृत्यु श्वासा- बरोध से ही होती है, क्योंकि श्वास लेने की चेष्टा में पानी नाक और मुख से भरता ही जाता है। जितना ही पानी भरता जाता है, उतना ही शीघ्र श्वासावरोध होकर मृत्यु हो जाती है। खेल-खेल में कुछ व्यक्तियों की दूर से पानी में कूदने या कुएं में गिरने से सिर में चोट लगकर मृत्यु हो जाती है।

Drowning

उत्पन्न लक्षण

1. पानी में डूबने का इतिहास पता करें। मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। रोगी को बेहोशी आने लगती है। समुद्र के पानी में डूबने से रक्तचाप कम हो जाता है। आदमी की साँस फूलने लगती है। हृदय में अवरोध होकर रोगीकी मृत्यु हो जाती है ।

2. ताजे पानी में डूबने से हीमोलाइसिस होकर हाइपर कैलेमिया और वैन्ट्रीकुलर फिब्रीलेशन होता है।

3. पानी में डूबने के साथ श्वास रुक जाता है और कुछ समय तक रोगी का श्वास बन्द हो जाता है, जितना ही वह श्वास लेने की चेष्टा करता है, पानी नाक, मुख से भरता जाता है। कार्बन द्विओषजित की वृद्धि से और उससे जितना ही जोर से श्वास लेने की चेष्टा में लगता है, पानी भीतर भर जाता है और श्वासावरोध होकर मृत्यु हो जाती है।

CARDIO VASCULAR COLLAPSE-हृदय की धड़कन का बन्द होना

Drowning

Note समुद्र में डूबने से नमकीन जल भीतर पहुँचकर रक्त को लवण द्रव में परिवर्तित कर देता है जो श्वासावरोध व मृत्यु का कारण बनता है

HEAT STROKE-लू लगना

उपचार –

डूबने वाले व्यक्ति को जितनी भी जल्दी हो सके पानी से निकालें। उसके मुख से अंदर गया जल निकाल देना चाहिए और तत्काल कृत्रिम श्वास-प्रश्वास विधि की क्रिया चालू करनी चाहिए। पानी निकालने के लिए उसको पेट के बल लिटा कर पीछे से दबायें जिससे रोगी के पेट व फेफड़ों में जमा पानी निकल सके। तत्पश्चात् ही रोगी को पीठ के बल जमीन पर सीधा लिटाकर कृत्रिम श्वसन आरम्भ कर दें। जहाँ तक सम्भव हो मरीज को ऑक्सीजन देने की व्यवस्था करें। यदि रोगी के पेट में पानी अधिक चला गया हो तो रबड़ की नली डालकर उसे सावधानी से निकालें, वरना यह साँस की नली में चला जायेगा। बार-बार छाती के ऊपर व हाथ-पैर की मालिश करके रक्त संचार बनाये रक्खें।

Drowning

जब रोगी की हालत में कुछ सुधार हो जाये तो तरल और इलेक्ट्रोलाइट के संतुलन को व्यवस्थित करने की चेष्टा करें। रक्त के आयतन की कमी होने पर शिरामार्ग (I.V.) द्वारा डेक्स्ट्रान -70 का इन्जेक्शन लगायें। यदि ब्रोन्कोस्पाज्म हो, तो इन्जेक्शन एमाइनोफाइलीन 0.25 ग्राम शिरा मार्ग से दें। आई. वी. ड्रिप रींगर लैक्टेट एवं डेक्स्ट्रोज सेलाइन दें। यदि ब्लड प्रेशर कम हो तो इन्जेक्शन डेक्सोना या मेफेन्टीन (Mefentine) दें। फेफड़ों में पानी एकत्र होने पर, इन्जेक्शन, लासिक्स 50 मिग्रा. दें।

फेफड़ों में पानी चले जाने से इन्फेक्शन की सम्भावना बनी रहती है इसलिए बचाव के लिए ब्राडस्पेक्ट्रम एण्टीबायोटिक दें। वैसे भी डूबने वाले सभी रोगियों को ‘ब्राडस्पेक्ट्रम एण्टीबायोटिक्स’ देना अत्यन्त आवश्यक है (जैसे- टेट्रासाइक्लीन, एम्पीसिलीन, एम्पीसिलीन क्लोक्सा’ आदि एण्टीबायोटिक्स दवायें सम्भावित न्यूमोनिया की रोकथाम के लिए प्रयोग करनी चाहिए।

रोगी को कुछ दिन तक पूर्ण देख-रेख में रखा जाये ताकि वृक्कीय विफलता की दशा में या मूत्र में हीमोग्लोबिन की उपस्थिति, मस्तिष्क, हृदय तथा फेफड़ों सम्बन्धी रोगों की समय पर उचित चिकित्सा की जा सके।

नोट- नाड़ियों को सक्रिय करने के लिए वृहत कस्तूरी भैरव या वाताकुलान्तक रस मुख द्वारा दें।

[Note: कृपया डॉक्टर की सलाह, निदान और इलाज के लिए हमें संपर्क करें।]

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
1
Hello 👋
Can we help you?
Call Now Button