क्या है? दम घुटना
धुआँ अथवा कार्बन गैसयुक्त हवा में साँस लेने अथवा किसी छोटे से बन्द कमरे में एक साथ अत्यधिक लोगों के साथ बैठने से साँस लेने में कठिनाई का अनुभव होने लगता है और यदि ऐसे स्थान से हटकर खुली हवा में न पहुँचा जाए तो दम घुटने (suffocation )लगता है जिसका अन्तिम परिणाम मृत्यु है।
गले में किसी वस्तु के अटक जाने पर भी साँस लेने में व्यवधान पड़कर दम घुटने (suffocation )लगता है। जैसे कि माँसाहारियों के गले में हड्डी फँस जाने की घटनायें हुआ करती हैं तथा बच्चों के गले में गोली अथवा सिक्का आदि अटक जाते हैं जिसके कारण उनकी दम घुटने लगती है।

उपचार-
यदि रोगी कार्बन गैस अथवा धुएँ से भरे कमरे में हो तो उसे वहाँ से निकालने के लिए सबसे पहले 5-7 बार खूब गहरी साँस लेकर तथा अपनी नाक और मुँह पर एक गीली पट्टी बाँधकर ही उस जगह जाना चाहिए, ताकि वह गैस अथवा धुआँ उपचारकर्त्ता के फेफड़ों में प्रवेश न कर सके। रोगी के पास पहुँचने के बाद उसे शीघ्र निकाल लाना चाहिए, फिर उसे खुली हवा में आराम की स्थिति में लिटायें और उसके शरीर के वस्त्र ढीले कर देने चाहिए। साथ ही उसे कृत्रिम विधि से सॉस दिलानी चाहिए।
रोगी को जब श्वास भली-भाँति आने लगे तब उसे निकेथामाइड (Nikethamide) 1-2 गोली या इसी का इन्जेक्शन 5-15 मिली. आई. वी. अथवा 2 मिली. माँस में लगायें। मिकोरिन (Micorin) 1-2 पर्ल्स आवश्यकतानुसार दें।

यदि गले में कोई चीज फँस गई हो तो उसे रोगी के गले के भीतर उँगली डालकर निकाल देने का प्रयत्न करना चाहिए। यदि इससे भी सफलता न मिले तो उसे पाँव पकड़कर सिर के बल लटका दें तथा उसकी पीठ पर दोनों कन्धों के बीच जोर-जोर से थपथपायें। इस क्रिया से उसके गले में अटकी हुई वस्तु निकलकर बाहर आ जायेगी। यदि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति बड़ी आयु का हो तो उसके सिर को खूब नीचे-ऊपर झुकाकर, पीठ को थपथपायें। यदि ऐसा करने पर भी वस्तु न निकले तो वमन कराने का प्रयत्न करें।
CARDIO VASCULAR COLLAPSE-हृदय की धड़कन का बन्द होना
यदि गले में कोई तीक्ष्ण धार वाली वस्तु अटक गई हो तो ऊपर लिखी क्रिया न अपनायें, अन्यथा अधिक हानि हो सकती है। ऐसी स्थिति में यदि रोगी श्वास ले सकता हो तो उसे यथासम्भव शान्त रक्खें और चिकित्सक से परामर्श लें। यदि वस्तु को निगला जा चुका है तो अधिक मात्रा में शाक-सब्जी, चावल अथवा डबलरोटी खिलायें, ताकि उस वस्तु को बाहर निकालने में ये चीजें सहायक हो सकें। साथ में औषधि चिकित्सा उपरोक्त अनुसार ही करें।
# जब गले में कोई चीज फँस जाये और वह साँस न ले पा रहा हो तो तुरन्त यह करें।
व्यक्ति के पीछे खड़े होकर उसकी कमर में अपनी दोनों बाहें डाल लें। उसके पेट पर (छाती से नीचे और नाभि से ऊपर) दोनों हाथों को एक-दूसरे में फँसाकर मुट्ठी बाँध लें। तत्पश्चात् एक झटके के साथ उसके पेट को ऊपर की तरफ दबायें। इससे उसके फेफड़ों की हवा एकाएक बाहर निकलेगी और उसके गले में फँसी चीज भी गले से निकल जायेगी। यदि एक बार में चीज न निकले तो यही क्रिया बार-बार करें।
यदि व्यक्ति बेहोश हो चुका हो तो तुरन्त यह क्रिया करें। उसे पीठ के बल जमीन पर | लिटा दें और उसके सिर को एक तरफ घुमा दें। तत्पश्चात् उसके ऊपर बैठ जायें और उसके पेट पर (छाती से नीचे और नाभि से ऊपर) अपने हाथ का नीचे वाला हिस्सा रख दें और एक झटके के साथ जोर से ऊपर की ओर दबायें। एक बार से काम न चले तो यही क्रिया | बार-बार करें। यदि व्यक्ति तब भी साँस न ले पाये तो उसी समय मुख- श्वसन क्रिया को अजमायें।
