अध्याय 1: जीवों में विविधता (Diversity in the Living World) –

जीव क्या है? (What is Living?)

परिचय (Introduction)

जीव विज्ञान (Biology) के अध्ययन की शुरुआत जीव (Living) की परिभाषा से होती है। जीवों में कुछ विशेष लक्षण होते हैं जो उन्हें निर्जीव (Non-living) से अलग करते हैं। इस अध्याय में हम जीव क्या है, उनके लक्षण, वर्गीकरण (Classification), और विविधता (Diversity) के बारे में विस्तार से जानेंगे।


1. जीव क्या है? (What is Living?)

जीवित (Living) और निर्जीव (Non-living) के बीच मुख्य अंतर कुछ जैविक प्रक्रियाओं के आधार पर किया जाता है। जीवों में निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं:

1.1 वृद्धि (Growth)

  • वृद्धि का अर्थ है शरीर के आकार और द्रव्यमान में वृद्धि।
  • सभी जीवों में कोशिकाओं के विभाजन (Cell Division) के कारण वृद्धि होती है।
  • गुणसूत्रीय वृद्धि (Intrinsic Growth) – कोशिका विभाजन द्वारा वृद्धि होती है। यह केवल जीवों में पाई जाती है।
  • विकसित वृद्धि (Extrinsic Growth) – बाहरी पदार्थों के जुड़ने से आकार बढ़ता है, जैसे रेत के टीले और क्रिस्टल की वृद्धि। यह निर्जीव पदार्थों में होती है।
  • NEET के लिए महत्वपूर्ण – वृद्धि सभी जीवों की विशेषता है लेकिन यह अकेले जीवन की पहचान नहीं हो सकती क्योंकि निर्जीव चीजों में भी वृद्धि हो सकती है।

1.2 प्रजनन (Reproduction)

  • जीव अपनी जाति (Species) को बनाए रखने के लिए प्रजनन करते हैं।
  • यह दो प्रकार का होता है:
    • यौन प्रजनन (Sexual Reproduction) – नर और मादा के युग्मक (Gametes) मिलकर नए जीव का निर्माण करते हैं।
    • अयौन प्रजनन (Asexual Reproduction) – एक ही जीव से नए जीव उत्पन्न होते हैं (Binary Fission, Budding, Spore Formation आदि)।
  • अपवाद (Exception) – कुछ जीव जैसे खच्चर (Mule), वर्कर हनी बी (Worker Honey Bee), और कुछ वायरस प्रजनन नहीं कर सकते लेकिन जीवित होते हैं।

1.3 चयापचय (Metabolism)

  • जीवों में होने वाली सभी रासायनिक क्रियाओं (Chemical Reactions) को चयापचय कहते हैं।
  • यह दो प्रकार का होता है:
    • एनाबॉलिज्म (Anabolism) – सरल पदार्थों से जटिल पदार्थों का निर्माण (जैसे प्रकाश-संश्लेषण)।
    • कैटाबॉलिज्म (Catabolism) – जटिल पदार्थों का सरल पदार्थों में टूटना (जैसे कोशिकीय श्वसन)।
  • NEET के लिए महत्वपूर्ण – चयापचय केवल जीवों में होता है, इसलिए इसे जीवन की आवश्यक विशेषता माना जाता है।

1.4 प्रतिक्रियाशीलता (Irritability & Response to Stimuli)

  • जीव अपने परिवेश के प्रति प्रतिक्रिया देते हैं।
  • उदाहरण:
    • सूरजमुखी का फूल सूर्य की दिशा में मुड़ता है।
    • मानव हाथ गर्म वस्तु को छूते ही तुरंत पीछे खींच लेता है।
  • NEET के लिए महत्वपूर्ण – प्रतिक्रिया जीवन की पहचान है, और यह सभी जीवों में पाई जाती है।

1.5 होमोस्टेसिस (Homeostasis)

  • यह शरीर के अंदर के वातावरण को संतुलित बनाए रखने की प्रक्रिया है।
  • उदाहरण:
    • मानव शरीर में 37°C तापमान का नियंत्रण।
    • पसीना आना और कंपकंपी द्वारा तापमान का संतुलन।

1.6 कोशिका संगठन (Cellular Organization)

  • सभी जीव कोशिकाओं से बने होते हैं।
  • एककोशिकीय (Unicellular) जीव – बैक्टीरिया, अमीबा
  • बहुकोशिकीय (Multicellular) जीव – मनुष्य, वृक्ष
  • NEET के लिए महत्वपूर्ण – कोशिका को जीवन की मूल इकाई कहा जाता है।

2. जीवों की विविधता (Diversity in Living World)

पृथ्वी पर 1.7 से 1.8 मिलियन प्रजातियाँ पाई जाती हैं, और वैज्ञानिकों के अनुसार अभी भी कई जीवों की खोज बाकी है।

2.1 वर्गीकरण (Classification of Living Organisms)

जीवों को उनकी समानताओं और भिन्नताओं के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।

  • अरस्तू (Aristotle) – पहला वैज्ञानिक जिन्होंने जीवों को वर्गीकृत किया।
  • कार्ल लीनियस (Carl Linnaeus) – द्विनाम पद्धति (Binomial Nomenclature) विकसित की।
  • आर.एच. व्हिटकर (R.H. Whittaker) – पाँच जगत प्रणाली (Five Kingdom Classification) दी।

2.2 पाँच जगत वर्गीकरण (Five Kingdom Classification by Whittaker)

  1. Monera – बैक्टीरिया, सायनोबैक्टीरिया
  2. Protista – अमीबा, पैरामीशियम
  3. Fungi – कवक (मशरूम, यीस्ट)
  4. Plantae – सभी पौधे
  5. Animalia – सभी जंतु

3. जीवों की नामकरण पद्धति (Nomenclature of Living Organisms)

  • प्रत्येक जीव का वैज्ञानिक नाम दो शब्दों में होता है: (i) वंश (Genus) (ii) जाति (Species)
  • उदाहरण: Homo sapiens (मनुष्य), Panthera leo (शेर)
  • यह पद्धति Carl Linnaeus ने विकसित की और इसे Binomial Nomenclature कहा जाता है।

NEET के लिए महत्वपूर्ण बिंदु (Key Points for NEET Exam)

जीवों के लक्षण – वृद्धि, प्रजनन, चयापचय, प्रतिक्रियाशीलता, होमोस्टेसिस, कोशिका संगठन।
चयापचय – जीवन की अनिवार्य विशेषता।
होमोस्टेसिस – आंतरिक संतुलन बनाए रखने की प्रक्रिया।
पाँच जगत वर्गीकरण – Monera, Protista, Fungi, Plantae, Animalia।
द्विनाम पद्धति – वंश (Genus) + जाति (Species)।
NEET में संभावित प्रश्न – जीवों के लक्षण, चयापचय, वर्गीकरण, वैज्ञानिक नामकरण।

जैव विविधता (Biodiversity) – NEET हेतु संपूर्ण विवरण

परिचय (Introduction)

जैव विविधता (Biodiversity) का अर्थ है जीवों की विभिन्नता। यह पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी प्रकार के जीवों – वनस्पति (Plants), जीव-जंतु (Animals), सूक्ष्मजीव (Microorganisms) आदि की कुल संख्या और उनकी विविधता को दर्शाता है।

🌿 जैव विविधता = ‘Bio’ (जीवन) + ‘Diversity’ (विविधता)

जैव विविधता पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। NEET परीक्षा में इस टॉपिक से अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं, विशेष रूप से हॉटस्पॉट, जैव विविधता संरक्षण, और भारत की जैव विविधता से जुड़े सवाल।


1. जैव विविधता के स्तर (Levels of Biodiversity)

जैव विविधता को तीन मुख्य स्तरों में बांटा जाता है:

1.1 आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity)

  • किसी एक जाति (Species) के अंदर मौजूद जीन की विविधता को आनुवंशिक विविधता कहते हैं।
  • उदाहरण:
    • चावल (Rice) की 50,000 से अधिक किस्में उपलब्ध हैं।
    • गेहूँ (Wheat) की कई प्रजातियाँ हैं।
  • NEET के लिए महत्वपूर्ण – आनुवंशिक विविधता किसी जाति को पर्यावरणीय परिवर्तनों के प्रति अधिक सहनशील (Resistant) बनाती है।

1.2 जातीय विविधता (Species Diversity)

  • किसी क्षेत्र में मौजूद विभिन्न जातियों (Species) की विविधता को जातीय विविधता कहते हैं।
  • उदाहरण:
    • अमेज़न वर्षावन में लगभग 40,000 पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
    • पश्चिमी घाट में उच्च जातीय विविधता देखी जाती है।
  • NEET के लिए महत्वपूर्ण – जातीय विविधता जितनी अधिक होगी, पारिस्थितिकी तंत्र उतना ही अधिक संतुलित होगा।

1.3 पारिस्थितिकीय विविधता (Ecosystem Diversity)

  • किसी स्थान पर मौजूद विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों (Ecosystems) की विविधता को पारिस्थितिकीय विविधता कहते हैं।
  • उदाहरण:
    • मरुस्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र (Desert Ecosystem) – राजस्थान
    • समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र (Marine Ecosystem) – सुंदरबन
  • NEET के लिए महत्वपूर्ण – पारिस्थितिकी तंत्र की विविधता विभिन्न जीवों को रहने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान करती है।

2. जैव विविधता की वैश्विक स्थिति (Global Biodiversity Status)

  • पृथ्वी पर कुल 1.7 से 1.8 मिलियन प्रजातियाँ पहचानी गई हैं।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार, वास्तविक संख्या 8 मिलियन से अधिक हो सकती है।
  • अमेज़न वर्षावन (Amazon Rainforest) को “पृथ्वी का फेफड़ा” (Lungs of Earth) कहा जाता है क्योंकि यहां सर्वाधिक जैव विविधता पाई जाती है।

2.1 जैव विविधता की वितरण प्रवृत्ति (Biodiversity Distribution Pattern)

  • भूमध्य रेखा (Equator) के पास अधिक जैव विविधता होती है।
  • जैसे-जैसे हम ध्रुवों (Poles) की ओर बढ़ते हैं, जैव विविधता घटती जाती है।
  • इसे “Latitudinal Gradient of Biodiversity” कहते हैं।
  • NEET के लिए महत्वपूर्ण – ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्र (Tropical Region) में सबसे अधिक जैव विविधता पाई जाती है।

3. भारत में जैव विविधता (Biodiversity in India)

भारत जैव विविधता के मामले में एक “मेगा-डायवर्स कंट्री” (Mega-Diverse Country) है।

  • भारत में ~45,000 पौधों की प्रजातियाँ और ~91,000 जीवों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  • भारत में चार जैव विविधता हॉटस्पॉट (Biodiversity Hotspots) हैं:
    1. हिमालयन हॉटस्पॉट (Himalayan Hotspot)
    2. इंडो-बर्मा हॉटस्पॉट (Indo-Burma Hotspot)
    3. पश्चिमी घाट हॉटस्पॉट (Western Ghats Hotspot)
    4. सुंदरबन एवं अंडमान-निकोबार हॉटस्पॉट (Sundarbans & Nicobar Hotspot)

3.1 जैव विविधता का महत्व (Importance of Biodiversity)

पारिस्थितिकी संतुलन (Ecological Balance) बनाए रखना।
औषधीय पौधे (Medicinal Plants) – तुलसी, नीम, एलोवेरा।
आर्थिक महत्व (Economic Value) – कृषि, मत्स्य पालन, वानिकी।
पर्यावरणीय सेवाएँ (Ecosystem Services) – ऑक्सीजन उत्पादन, जलवायु संतुलन।


4. जैव विविधता संरक्षण (Biodiversity Conservation)

जैव विविधता को बचाने के लिए दो मुख्य तरीके हैं:

4.1 इन-सीटू संरक्षण (In-situ Conservation)

  • जीवों को उनके प्राकृतिक आवास में संरक्षित करना।
  • उदाहरण:
    • राष्ट्रीय उद्यान (National Parks) – जिम कॉर्बेट, काजीरंगा
    • वन्यजीव अभयारण्य (Wildlife Sanctuaries) – रणथंभौर, गिर
    • जैवमंडलीय संरक्षित क्षेत्र (Biosphere Reserves) – नीलगिरी, सुंदरबन

4.2 एक्स-सीटू संरक्षण (Ex-situ Conservation)

  • जीवों को उनके प्राकृतिक आवास से बाहर संरक्षित करना।
  • उदाहरण:
    • वनस्पति उद्यान (Botanical Gardens)
    • चिड़ियाघर (Zoological Parks)
    • बीज बैंक (Seed Banks)

NEET के लिए महत्वपूर्ण – जैव विविधता संरक्षण के लिए इन-सीटू और एक्स-सीटू दोनों विधियाँ महत्वपूर्ण हैं।


5. जैव विविधता से संबंधित महत्वपूर्ण संधियाँ (International Biodiversity Agreements)

संधिवर्षउद्देश्य
जैव विविधता संधि (CBD – Convention on Biological Diversity)1992जैव विविधता का संरक्षण और सतत उपयोग।
CITES (Convention on International Trade in Endangered Species)1973विलुप्तप्राय प्रजातियों के व्यापार को रोकना।
रामसर संधि (Ramsar Convention)1971आर्द्रभूमियों (Wetlands) के संरक्षण हेतु।

NEET के लिए महत्वपूर्ण – इन संधियों से जुड़े प्रश्न परीक्षा में पूछे जा सकते हैं।

वर्गीकरण की आवश्यकता (Need for Classification) – NEET हेतु संपूर्ण विवरण

परिचय (Introduction)

वर्गीकरण (Classification) का अर्थ है जीवों को उनके समान लक्षणों के आधार पर विभिन्न समूहों में बाँटना। पृथ्वी पर जीवों की संख्या 1.7 से 1.8 मिलियन से अधिक है, और वैज्ञानिकों का मानना है कि यह संख्या 8 मिलियन से भी ज्यादा हो सकती है। इतने विशाल जैविक विविधता को व्यवस्थित करने के लिए वैज्ञानिकों ने वर्गीकरण प्रणाली विकसित की।

NEET परीक्षा में इस टॉपिक से अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं, खासकर वर्गीकरण की आवश्यकता, इसके लाभ, और वर्गीकरण की विभिन्न प्रणालियाँ।


1. वर्गीकरण की आवश्यकता (Need for Classification)

  1. व्यवस्थित अध्ययन (Systematic Study)
    • वर्गीकरण से विभिन्न जीवों के बारे में व्यवस्थित रूप से अध्ययन करना आसान हो जाता है।
    • उदाहरण: सभी स्तनधारी (Mammals) जीव दूध उत्पन्न करते हैं, इसलिए उनके अध्ययन को एक साथ किया जा सकता है।
  2. अज्ञात जीवों की पहचान (Identification of Unknown Organisms)
    • नए खोजे गए जीवों की पहचान करने और उन्हें सही समूह में रखने के लिए वर्गीकरण आवश्यक है।
    • उदाहरण: यदि एक नया जीव मिलता है और उसमें पक्षियों जैसे लक्षण हैं, तो उसे एविस (Aves) वर्ग में रखा जाएगा।
  3. जीवों के बीच संबंधों को समझना (Understanding Relationships Between Organisms)
    • वर्गीकरण हमें यह समझने में मदद करता है कि विभिन्न जीव कैसे आपस में जुड़े हुए हैं और उनका विकास (Evolution) कैसे हुआ।
    • उदाहरण: मनुष्य (Humans) और चिम्पांज़ी (Chimpanzees) का 98% DNA समान है, इसलिए वे एक ही वंश से विकसित हुए हैं।
  4. सहज अध्ययन और अनुसंधान (Ease of Study & Research)
    • जीवों को वर्गों में बांटने से उनके अध्ययन और अनुसंधान में आसानी होती है।
    • वैज्ञानिकों को किसी विशेष समूह पर केंद्रित शोध करने में सुविधा मिलती है।
  5. नए औषधीय पौधों की खोज (Discovery of Medicinal Plants)
    • यदि हमें किसी पौधे में औषधीय गुण मिलते हैं, तो उसी वर्ग के अन्य पौधों में भी खोज की जा सकती है।
    • उदाहरण: फेबेसी (Fabaceae) कुल के कई पौधों में औषधीय गुण पाए जाते हैं।
  6. पर्यावरण संरक्षण (Environmental Conservation)
    • विभिन्न जीवों की पहचान कर उनकी संरक्षण रणनीति बनाई जा सकती है।
    • उदाहरण: लुप्तप्राय (Endangered) प्रजातियों को संरक्षित करने में वर्गीकरण सहायक है।
  7. वैज्ञानिक नामकरण (Scientific Naming)
    • वर्गीकरण से सभी जीवों को एक वैश्विक मान्यता प्राप्त वैज्ञानिक नाम दिया जा सकता है।
    • उदाहरण:
      • आम (Mango) – Mangifera indica
      • शेर (Lion) – Panthera leo

2. वर्गीकरण की प्रणालियाँ (Systems of Classification)

वर्गीकरण को वैज्ञानिकों ने तीन मुख्य प्रकारों में विभाजित किया है:

2.1 कृत्रिम वर्गीकरण (Artificial Classification)

  • सबसे पुरानी प्रणाली, जिसमें जीवों को केवल कुछ बाहरी विशेषताओं (Morphology) के आधार पर वर्गीकृत किया गया।
  • उदाहरण:
    • पौधों को उनके पत्तों के आकार या फूलों की संख्या के आधार पर बांटना।
  • कमी: इस प्रणाली में विकासवादी संबंधों (Evolutionary Relationships) पर ध्यान नहीं दिया गया।

2.2 प्राकृतिक वर्गीकरण (Natural Classification)

  • इसमें जीवों को उनके आंतरिक और बाहरी दोनों विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
  • उदाहरण:
    • जीवों को उनके आंतरिक संरचना, प्रजनन पद्धति, और अन्य जैविक लक्षणों के आधार पर बांटना।
  • NEET के लिए महत्वपूर्ण – यह प्रणाली आज भी कई वैज्ञानिकों द्वारा उपयोग की जाती है।

2.3 क्लैडिस्टिक वर्गीकरण (Cladistic Classification)

  • इसमें जीवों को उनके विकासवादी इतिहास (Evolutionary History) और आपसी संबंधों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
  • NEET के लिए महत्वपूर्ण – इस प्रणाली में क्लैडोग्राम (Cladogram) नामक चित्रात्मक प्रतिनिधित्व का उपयोग किया जाता है।

3. वर्गीकरण के लाभ (Advantages of Classification)

✅ सभी जीवों का अध्ययन आसान हो जाता है।
✅ नए खोजे गए जीवों को उनके सही समूह में रखा जा सकता है।
✅ जैव विकास (Evolution) को समझने में मदद मिलती है।
✅ वैज्ञानिक शोध में सहायता मिलती है।
✅ पर्यावरण और जैव विविधता के संरक्षण में मदद करता है।


निष्कर्ष (Conclusion)

वर्गीकरण की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि पृथ्वी पर लाखों प्रकार के जीव हैं और इनका व्यवस्थित अध्ययन करना आवश्यक है।
वर्गीकरण हमें नए जीवों की पहचान करने, उनके विकास संबंधों को समझने और वैज्ञानिक अनुसंधान में सहायता करता है।
NEET परीक्षा में वर्गीकरण से संबंधित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं, इसलिए इसे अच्छी तरह समझना आवश्यक है।

📌 महत्वपूर्ण पॉइंट:

  • जैव विविधता को तीन स्तरों में बांटा जाता है: आनुवंशिक, जातीय, और पारिस्थितिकीय विविधता
  • वर्गीकरण के तीन प्रकार होते हैं: कृत्रिम, प्राकृतिक, और क्लैडिस्टिक
  • वैज्ञानिक नामकरण के लिए बायनॉमिनल नोमेनक्लेचर प्रणाली का उपयोग किया जाता है।

Taxonomy और lSystematics – NEET के लिए संपूर्ण विवरण

परिचय (Introduction)

पृथ्वी पर लाखों जीवों की उपस्थिति के कारण उन्हें एक व्यवस्थित तरीके से पहचानना, नामकरण करना और वर्गीकृत करना आवश्यक हो जाता है। इस प्रक्रिया को Taxonomy (प्राणिवर्गिकी/वर्गिकी) और Systematics (प्राणिव्यवस्था/प्रणालीविज्ञान) कहा जाता है।

NEET परीक्षा में Taxonomy और Systematics से संबंधित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं, जैसे – टैक्सोनॉमी की परिभाषा, वर्गीकरण की श्रेणियाँ, और सिस्टमैटिक्स का महत्व।


1. Taxonomy (प्राणिवर्गिकी/वर्गिकी) क्या है?

📌 परिभाषा:
टैक्सोनॉमी वह विज्ञान है जो जीवों के पहचान (Identification), नामकरण (Nomenclature), और वर्गीकरण (Classification) से संबंधित है।

📌 Father of Taxonomy: Carolus Linnaeus (कैरोलस लिनियस) को टैक्सोनॉमी का जनक कहा जाता है।

📌 Taxonomy के घटक (Components of Taxonomy):

  1. पहचान (Identification) – किसी जीव को उसके लक्षणों के आधार पर पहचानना।
  2. वर्गीकरण (Classification) – समान लक्षणों के आधार पर जीवों को विभिन्न समूहों में बांटना।
  3. नामकरण (Nomenclature) – सभी जीवों को एक वैज्ञानिक नाम प्रदान करना।

📌 Taxonomy के प्रकार:

  1. Alpha Taxonomy (अल्फा टैक्सोनॉमी) – किसी जीव की बाहरी विशेषताओं (Morphology) के आधार पर वर्गीकरण।
  2. Beta Taxonomy (बीटा टैक्सोनॉमी) – जीवों के विकासवादी और आनुवंशिक संबंधों पर आधारित वर्गीकरण।
  3. Gamma Taxonomy (गामा टैक्सोनॉमी) – पारिस्थितिक संबंधों और कार्यात्मक विशेषताओं का अध्ययन।

2. Systematics (प्राणिव्यवस्था/प्रणालीविज्ञान) क्या है?

📌 परिभाषा:
सिस्टमेटिक्स वह विज्ञान है जो जीवों के वर्गीकरण (Classification), विकासवादी संबंध (Evolutionary Relationships), और विविधता (Diversity) का अध्ययन करता है।

📌 Father of Systematics: Carolus Linnaeus ने ही सबसे पहले सिस्टमेटिक्स की अवधारणा दी थी।

📌 Systematics और Taxonomy में अंतर:

विशेषताTaxonomySystematics
उद्देश्यजीवों की पहचान, नामकरण और वर्गीकरणजीवों के विकासवादी इतिहास और संबंधों का अध्ययन
आधारसंरचनात्मक विशेषताएँ (Morphology)आनुवंशिक, जैव-रासायनिक और विकासवादी संबंध
प्रक्रियापहचान → नामकरण → वर्गीकरणपहचान → वर्गीकरण → विकासवादी विश्लेषण
उदाहरणपौधों को मोनोकोट और डाइकोट में बांटनापौधों के पूर्वजों और उनके विकास को समझना

3. Taxonomical Hierarchy (Taxonomy की श्रेणियाँ)

टैक्सोनॉमिक वर्गीकरण को Taxonomical Hierarchy (जीववैज्ञानिक श्रेणीक्रम) में विभाजित किया गया है। यह उच्च से निम्न क्रम में व्यवस्थित होता है।

Taxonomic Ranks (Taxonomic श्रेणियाँ):

क्रम (Rank)उदाहरण (Human – Homo sapiens)
Domain (डोमेन)Eukarya
Kingdom (राज्य)Animalia
Phylum (संघ)Chordata
Class (वर्ग)Mammalia
Order (गण)Primates
Family (कुल)Hominidae
Genus (वंश)Homo
Species (जाति)sapiens

📌 Mnemonic for Taxonomic Hierarchy:
“Dear King Philip Came Over For Good Soup”
D → Domain, K → Kingdom, P → Phylum, C → Class, O → Order, F → Family, G → Genus, S → Species

📌 NEET के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. Species (जाति) सबसे छोटी श्रेणी है।
  2. Kingdom (राज्य) सबसे बड़ी श्रेणी है।
  3. एक ही Genus (वंश) में कई प्रजातियाँ हो सकती हैं।

4. Binomial Nomenclature (द्विनामी नामकरण प्रणाली)

📌 परिभाषा:
Binomial Nomenclature जीवों को दो भागों वाले वैज्ञानिक नाम देने की प्रणाली है, जिसे Carolus Linnaeus ने विकसित किया।

📌 नियम (Rules of Binomial Nomenclature – ICZN/ICBN द्वारा दिए गए नियम)

  1. प्रत्येक वैज्ञानिक नाम दो शब्दों का होता है:
    • पहला शब्द Genus (वंश) को दर्शाता है।
    • दूसरा शब्द Species (जाति) को दर्शाता है।
  2. Genus का पहला अक्षर हमेशा बड़ा (Capital) होता है, जबकि Species का पहला अक्षर छोटा (Small) होता है।
  3. वैज्ञानिक नाम को हमेशा तिरछे (Italic) या अंडरलाइन (Underlined) लिखा जाता है।
  4. नाम लैटिन या ग्रीक भाषा में होते हैं।

📌 उदाहरण:

  • मनुष्य (Human) → Homo sapiens
  • आम (Mango) → Mangifera indica
  • शेर (Lion) → Panthera leo

5. Phylogenetic System of Classification (विकासवादी वर्गीकरण प्रणाली)

यह वर्गीकरण प्रणाली जीवों के विकास (Evolution) और उनके पूर्वजों के आपसी संबंधों पर आधारित होती है।

📌 Cladistics (क्लेडिस्टिक्स):

  • इसमें जीवों को उनके साझा पूर्वज (Common Ancestor) के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
  • Cladogram (क्लेडोग्राम) नामक आरेख का उपयोग किया जाता है।

📌 NEET में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

  1. “Taxonomy का जनक कौन है?” → Carolus Linnaeus
  2. “Taxonomy की सबसे छोटी इकाई कौन सी है?” → Species
  3. “Systematics और Taxonomy में क्या अंतर है?” → (ऊपर दिए गए टेबल से देखें)

निष्कर्ष (Conclusion)

Taxonomy जीवों की पहचान, नामकरण और वर्गीकरण पर केंद्रित होती है।
Systematics जीवों के विकासवादी इतिहास और जैव विविधता को समझने में मदद करता है।
Binomial Nomenclature वैज्ञानिक नामकरण की सबसे सटीक प्रणाली है।
Phylogenetic Classification जीवों के विकासवादी संबंधों को दर्शाने का सबसे आधुनिक तरीका है।

✨ “Taxonomy और Systematics के बिना जीवविज्ञान दिशाहीन हो जाएगा!

पाँच जगत वर्गीकरण (Five Kingdom Classification) – NEET के लिए संपूर्ण विवरण

परिचय (Introduction)

पृथ्वी पर जीवों की विशाल विविधता को व्यवस्थित करने के लिए R.H. Whittaker (आर.एच. व्हिटेकर) ने 1969 में पाँच जगत वर्गीकरण (Five Kingdom Classification) की अवधारणा दी। इस प्रणाली में जीवों को आकारिकी (Morphology), कोशिका संगठन (Cell Structure), पोषण विधि (Mode of Nutrition), प्रजनन (Reproduction), और पारिस्थितिक भूमिका (Ecological Role) के आधार पर पाँच समूहों में विभाजित किया गया।


1. Five Kingdom Classification (पाँच जगत वर्गीकरण)

Kingdom (जगत)मुख्य विशेषताएँउदाहरण
Monera (मोनेरा)एककोशिकीय, प्रोकैरियोटिक, कोई झिल्लीबद्ध कोशिकांग नहींबैक्टीरिया, सायनोबैक्टीरिया
Protista (प्रोटिस्टा)एककोशिकीय, यूकैरियोटिक, झिल्लीबद्ध कोशिकांगअमीबा, पैरामीशियम, यूग्लीना
Fungi (फंजाई/कवक)यूकैरियोटिक, कोशिका भित्ति (चितिन की बनी), परपोषी (Saprophytic)यीस्ट, मशरूम, पेनिसिलियम
Plantae (प्लांटे/वनस्पति)यूकैरियोटिक, स्वपोषी (Autotrophic), कोशिका भित्ति से युक्त (सेलुलोज)फर्न, शंकुधारी वृक्ष, फूलदार पौधे
Animalia (एनिमेलिया/प्राणी)यूकैरियोटिक, बहुकोशिकीय, उपपोषी (Heterotrophic), गतिशीलमनुष्य, कुत्ता, मछली

📌 Mnemonic for Five Kingdoms:
“My Poor Friend Plays Accordion”
M → Monera, P → Protista, F → Fungi, P → Plantae, A → Animalia


2. Kingdom Monera (मोनेरा जगत) – NEET के लिए महत्वपूर्ण टॉपिक

मुख्य विशेषताएँ (Salient Features of Monera)

  1. कोशिका संरचना (Cell Structure):
    • एककोशिकीय (Unicellular)
    • प्रोकैरियोटिक (कोई झिल्लीबद्ध कोशिकांग नहीं)
    • कोशिका भित्ति पेप्टीडोग्लाइकन (Peptidoglycan) की बनी होती है।
  2. पोषण (Nutrition):
    • स्वपोषी (Autotrophic): प्रकाशसंश्लेषण (Photosynthetic) या रसायनसंश्लेषण (Chemosynthetic)
    • परपोषी (Heterotrophic): मृतजीवी (Saprophytic), परजीवी (Parasitic), या सहजीवी (Symbiotic)
  3. प्रजनन (Reproduction):
    • मुख्यतः अलैंगिक (Asexual) विभाजन द्वारा (Binary Fission)
    • कुछ में अन्तःकोशिकीय अनुवांशिक परिवर्तन (Genetic Recombination) होती है – Transformation, Transduction, Conjugation
  4. गति (Motility):
    • कुछ Monera में Flagella होते हैं, जो गति में सहायता करते हैं।
  5. DNA संगठन:
    • DNA न्यूक्लियस में नहीं होता, बल्कि न्यूक्लियोइड (Nucleoid) क्षेत्र में स्थित होता है।
    • प्लास्मिड (Plasmid) नामक अतिरिक्त DNA भी मौजूद हो सकता है।

3. Monera के प्रमुख वर्गीकरण (Classification of Monera)

A. Archaebacteria (आर्कीबैक्टीरिया)

📌 प्रमुख विशेषताएँ:
✔ यह सबसे पुराने जीव माने जाते हैं और अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में पाए जाते हैं।
✔ इनकी कोशिका भित्ति पेप्टीडोग्लाइकन रहित होती है।
✔ इनके प्लाज्मा झिल्ली में ब्रांकेड लिपिड (Branched Lipid) होते हैं।
✔ यह अत्यधिक लवणीय, गर्म जल स्रोतों, और अम्लीय वातावरण में पाए जाते हैं।

📌 उदाहरण:

  • Methanogens (मीथेन उत्पन्न करने वाले जीव) – ये पाचन तंत्र (Rumen) में पाए जाते हैं।
  • Halophiles (अत्यधिक लवणीय वातावरण में रहने वाले जीव) – अत्यधिक लवणीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  • Thermoacidophiles (गर्म और अम्लीय क्षेत्रों में रहने वाले जीव) – गर्म जल स्रोतों में पाए जाते हैं।

B. Eubacteria (सही जीवाणु)

📌 प्रमुख विशेषताएँ:
✔ इसे “सच्चे बैक्टीरिया” कहा जाता है।
✔ इनमें पेप्टीडोग्लाइकन युक्त कोशिका भित्ति होती है।
✔ कुछ बैक्टीरिया क्लोरोफिल युक्त होते हैं और प्रकाशसंश्लेषण कर सकते हैं।
✔ कुछ बैक्टीरिया परजीवी होते हैं और रोग उत्पन्न कर सकते हैं।

📌 Eubacteria के प्रमुख प्रकार:

प्रकारविशेषताउदाहरण
Cyanobacteria (नीला-हरा शैवाल)प्रकाशसंश्लेषी जीव, जल में रहने वालेNostoc, Anabaena
Chemosynthetic Bacteriaरसायनों से ऊर्जा प्राप्त करने वालेNitrosomonas, Nitrobacter
Heterotrophic Bacteriaपरपोषी जीव, मृतजीवी या परजीवीE. coli, Streptococcus
Disease-causing Bacteriaविभिन्न रोग उत्पन्न करने वालेMycobacterium tuberculosis (TB), Salmonella typhi (Typhoid)

📌 रोग उत्पन्न करने वाले प्रमुख बैक्टीरिया (NEET में अक्सर पूछे जाते हैं!):

  • टाइफाइडSalmonella typhi
  • टी.बी. (क्षय रोग)Mycobacterium tuberculosis
  • डायबिटीज़ में गैंग्रीनClostridium perfringens
  • डिप्थीरियाCorynebacterium diphtheriae

4. Importance of Monera (मोनेरा के उपयोग और महत्व)

पर्यावरण में भूमिका: मृत कार्बनिक पदार्थों का अपघटन कर पोषक तत्व चक्र में योगदान।
मानव स्वास्थ्य में योगदान: दवाइयों और टीकों के उत्पादन में।
उद्योगों में उपयोग: एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) और किण्वन (Fermentation) में।
जैव-तकनीक (Biotechnology): जिनेटिक इंजीनियरिंग और जैव उर्वरकों (Biofertilizers) में।


निष्कर्ष (Conclusion)

Monera में एककोशिकीय और प्रोकैरियोटिक जीव शामिल होते हैं।
Archaebacteria चरम परिस्थितियों में रह सकते हैं, जबकि Eubacteria सामान्य परिस्थितियों में पाए जाते हैं।
Cyanobacteria प्रकाशसंश्लेषण करते हैं और पारिस्थितिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
Monera जीव कई रोगों के लिए उत्तरदायी होते हैं, लेकिन ये जैव प्रौद्योगिकी में भी महत्वपूर्ण हैं।

✨ NEET में Monera से प्रतिवर्ष प्रश्न पूछे जाते हैं, इसलिए इसे अच्छे से समझना जरूरी है! 🚀

Kingdom Protista

परिचय (Introduction)

Kingdom Protista यूकैरियोटिक (Eukaryotic) जीवों का सबसे सरल समूह है, जिसे Ernst Haeckel ने 1866 में परिभाषित किया था। इस जगत में वे सभी जीव शामिल होते हैं जो एककोशिकीय (unicellular), यूकैरियोटिक (eukaryotic) होते हैं और जल, भूमि, या परजीवी रूप में रह सकते हैं।

📌 NEET में महत्वपूर्ण तथ्य:
✔ Kingdom Protista यूकैरियोटिक सजीवों का पहला समूह है।
✔ इसमें वे जीव शामिल होते हैं, जो न तो पौधे हैं, न ही जानवर, और न ही कवक।
✔ इनमें सचलता (Motility) के लिए सिलिया (Cilia), फ्लैगेला (Flagella), या स्यूडोपोडिया (Pseudopodia) मौजूद होते हैं।


मुख्य विशेषताएँ (Salient Features of Protista)

  1. कोशिका संगठन (Cell Structure)
    • सभी यूकैरियोटिक (Eukaryotic) होते हैं।
    • एकल कोशिकीय (Unicellular), लेकिन कुछ उपनिवेश (Colony) बना सकते हैं।
    • झिल्लीबद्ध कोशिकांग (Membrane-bound organelles) होते हैं, जैसे – माइटोकॉन्ड्रिया, एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम, गॉल्जी बॉडी, लाइसोसोम्स
  2. पोषण (Mode of Nutrition)
    • स्वपोषी (Autotrophic) – जैसे यूग्लीना (Euglena), डायटोम्स (Diatoms)
    • उपपोषी (Heterotrophic) – जैसे अमीबा (Amoeba), पैरामीशियम (Paramecium)
    • कुछ प्रोटिस्ट दोनों प्रकार से भोजन ग्रहण कर सकते हैं (मिश्रित पोषण, Mixotrophic)।
  3. प्रजनन (Reproduction)
    • अलैंगिक (Asexual) प्रजननमाइटोसिस द्वारा (Binary Fission, Multiple Fission)
    • लैंगिक (Sexual) प्रजनन – गामेट (Gametes) या संयोग (Syngamy) द्वारा
  4. गति (Locomotion)
    • स्यूडोपोडिया (Pseudopodia) – अमीबा (Amoeba)
    • सिलिया (Cilia) – पैरामीशियम (Paramecium)
    • फ्लैगेला (Flagella) – यूग्लीना (Euglena)

Protista के प्रमुख वर्गीकरण (Classification of Protista)

📌 NEET में पूछे जाने वाले प्रमुख प्रकार

प्रकारउदाहरणमुख्य विशेषताएँ
Chrysophytesडायटोम्स (Diatoms), गोल्डन एल्गी (Golden Algae)कोशिका भित्ति सिलिका से बनी होती है (Siliceous Cell Wall)
Dinoflagellatesगोन्यालक्स (Gonyaulax), सेराटियम (Ceratium)दो फ्लैगेला (Flagella) होते हैं, लाल ज्वार (Red Tide) उत्पन्न करते हैं
Euglenoidsयूग्लीना (Euglena)स्वपोषी + उपपोषी (Mixotrophic), फ्लैगेलम द्वारा गतिशील
Protozoansअमीबा (Amoeba), पैरामीशियम (Paramecium), प्लाज्मोडियम (Plasmodium)केवल उपपोषी (Heterotrophic), रोगजनक रूप मौजूद
Slime Moldsफाइजारम (Physarum)कवकों जैसे कार्य करते हैं, मृत कार्बनिक पदार्थों पर बढ़ते हैं

1. Chrysophytes (क्राइसॉफाइट्स) – गोल्डन एल्गी और डायटोम्स

✔ ये एककोशिकीय, जलीय जीव होते हैं।
✔ इनकी कोशिका भित्ति सिलिका (Silica) से बनी होती है, जिसे डायटोम शेल (Diatomaceous Shell) कहा जाता है।
✔ मृत डायटोम्स के अवशेष समुद्र में डायटोमेसियस अर्थ (Diatomaceous Earth) का निर्माण करते हैं।
✔ ये पृथ्वी पर ऑक्सीजन उत्पादकों का एक प्रमुख स्रोत हैं।

📌 NEET Fact: डायटोमेसियस अर्थ का उपयोग जल निस्पंदन (Water Filtration), दंतमंजन (Toothpaste), और कीटनाशकों (Pesticides) में किया जाता है।


2. Dinoflagellates (डाइनोफ्लेजेलेट्स)

✔ इनकी कोशिका भित्ति सेलुलोज प्लेट्स (Cellulose Plates) से बनी होती है
✔ इनकी कोशिका में दो फ्लैगेला (Flagella) होते हैं – एक अनुदैर्ध्य (Longitudinal) और दूसरा अनुप्रस्थ (Transverse)।
✔ कुछ डाइनोफ्लेजेलेट्स Bioluminescence प्रदर्शित करते हैं, जिससे वे अंधेरे में चमकते हैं।
गोन्यालक्स (Gonyaulax) लाल ज्वार (Red Tide) उत्पन्न करता है, जो मछलियों के लिए विषैला होता है।

📌 NEET में पूछा जाता है:
“Red Tide किसके कारण होता है?” – उत्तर: Gonyaulax (डाइनोफ्लेजेलेट्स)


3. Euglenoids (यूग्लीनोइड्स)

✔ इनमें कोशिका भित्ति नहीं होती, लेकिन बाहरी सतह पेलिकल (Pellicle) से बनी होती है, जो इन्हें लचीला बनाती है।
✔ ये Mixotrophic होते हैं – सूर्यप्रकाश में स्वपोषी (Autotrophic) और अंधेरे में उपपोषी (Heterotrophic)
✔ यूग्लीना (Euglena) में एक लंबा फ्लैगेलम (Flagella) होता है, जो इसे गति प्रदान करता है।

📌 NEET में अक्सर पूछा जाता है:
“Euglena का पोषण किस प्रकार का होता है?” – उत्तर: Mixotrophic (स्वपोषी + उपपोषी)


4. Protozoans (प्रोटोज़ोआ – आदिम प्राणी)

✔ ये पूरी तरह उपपोषी (Heterotrophic) होते हैं
✔ कुछ मुक्त जीवन जीते हैं, जबकि कुछ परजीवी (Parasitic) होते हैं और रोग उत्पन्न करते हैं।
✔ प्रोटोज़ोआ को चार समूहों में विभाजित किया गया है:

प्रकारगमन के साधनउदाहरणरोग
Amoeboid Protozoansस्यूडोपोडियाAmoebaकोई रोग नहीं
Flagellated Protozoansफ्लैगेलाTrypanosomaअफ्रीकन ट्रिपैनोसोमियासिस (नींद रोग)
Ciliated ProtozoansसिलियाParameciumकोई रोग नहीं
Sporozoansकोई गमन अंग नहींPlasmodiumमलेरिया

📌 NEET में अक्सर पूछा जाता है:
“मलेरिया किसके कारण होता है?” – उत्तर: Plasmodium (Sporozoan)


5. Slime Molds (स्लिम मोल्ड्स)

✔ ये कवकों की तरह मृत कार्बनिक पदार्थों पर पोषण करते हैं
✔ प्रतिकूल परिस्थितियों में ये स्पोर (Spores) का निर्माण करते हैं, जो हवा में फैल सकते हैं


निष्कर्ष (Conclusion)

Protista पहला यूकैरियोटिक समूह है।
इनमें ऑटोट्रॉफ, हेटेरोट्रॉफ और मिक्सोट्रॉफ सभी प्रकार के जीव शामिल हैं।
NEET में Protista से डायटोम्स, Euglena, Plasmodium और Dinoflagellates से जुड़े प्रश्न आते हैं।

📌 Trick to Remember:
“Cry Dino Uses Proto Slime”
(Crysophytes, Dinoflagellates, Euglenoids, Protozoans, Slime Molds) 🚀

Kingdom Fungi (फंजाई जगत)

परिचय (Introduction)

Kingdom Fungi जीवों का एक प्रमुख समूह है, जिसे R.H. Whittaker ने अपनी पांच जगत वर्गीकरण प्रणाली (Five Kingdom Classification) में एक अलग श्रेणी के रूप में रखा था।

✔ ये स्यूडोप्लांट्स (Pseudoplants) होते हैं, यानी पौधों जैसे दिखते हैं लेकिन प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) नहीं कर सकते।
✔ ये हेटेरोट्रॉफिक (Heterotrophic) होते हैं और मृतजीवी (Saprophytic), परजीवी (Parasitic), या सहजीवी (Symbiotic) रूप में रह सकते हैं।

📌 NEET में महत्वपूर्ण तथ्य:
✔ इनकी कोशिका भित्ति काइटिन (Chitin) से बनी होती है
✔ इनका शरीर हाइफी (Hyphae) नामक तंतु (Thread-like structures) से बना होता है।
✔ संपूर्ण शरीर को माइसेलियम (Mycelium) कहा जाता है।
✔ ये बीजाणु (Spores) के द्वारा प्रजनन करते हैं।


मुख्य विशेषताएँ (Salient Features of Fungi)

  1. कोशिका संरचना (Cell Structure)
    • कोशिका भित्ति काइटिन (Chitin) या ग्लूकान (Glucan) से बनी होती है
    • कुछ कवक सहसंयोजी (Coenocytic) होते हैं (बहुकोशिकीय लेकिन बिना विभाजक भित्ति)।
    • कोशिका झिल्ली में एर्गोस्टेरॉल (Ergosterol) पाया जाता है।
  2. पोषण (Mode of Nutrition)
    • ये सभी हेटेरोट्रॉफिक (Heterotrophic) होते हैं
    • मृतजीवी (Saprophytic) – मृत पदार्थों पर भोजन करते हैं (e.g. Rhizopus, Mucor)।
    • परजीवी (Parasitic) – जीवित जीवों से भोजन प्राप्त करते हैं (e.g. Puccinia – गेहूँ का रतुआ रोग)।
    • सहजीवी (Symbiotic) – दूसरे जीवों के साथ रहते हैं (e.g. लाइकेन – कवक + शैवाल, माइकोराइजा – कवक + पौधे की जड़ें)।
  3. प्रजनन (Reproduction) (A) अलैंगिक (Asexual) प्रजनन:
    ✔ बीजाणुओं (Spores) द्वारा, जैसे – स्पोरेंगियोस्पोर (Sporangiospores), कोनिडिया (Conidia), जूवास्पोर (Zoospores)
    (B) लैंगिक (Sexual) प्रजनन:
    गैमीटेंगियल संगलन (Gametangial Fusion) द्वारा
    ✔ लैंगिक चक्र में प्लाज्मोगैमी (Plasmogamy) → कार्योगैमी (Karyogamy) → मीओसिस (Meiosis) होते हैं।
  4. शरीर संरचना (Body Organization)
    • कवक का शरीर हाइफी (Hyphae) नामक पतले तंतुओं से बना होता है।
    • हाइफी का जाल माइसेलियम (Mycelium) कहलाता है।
    • सीप्टेट हाइफी (Septate Hyphae) – विभाजक भित्तियों से युक्त
    • सिनोसाइटिक हाइफी (Coenocytic Hyphae) – कोई विभाजन नहीं

Fungi के प्रमुख वर्गीकरण (Classification of Fungi)

📌 NEET में पूछे जाने वाले प्रमुख प्रकार

प्रकारअन्य नामउदाहरणमुख्य विशेषताएँ
Zygomycetesकनेक्शन फंगी (Conjugation Fungi)Rhizopus, Mucorकोएनोसाइटिक (Coenocytic) हाइफी, स्पोरेंगियोस्पोर्स द्वारा अलैंगिक प्रजनन
Ascomycetesथैली फंगी (Sac Fungi)Yeast, Penicillium, Aspergillusकोनिडिया द्वारा अलैंगिक, एस्कोस्पोर्स (Ascospores) द्वारा लैंगिक प्रजनन
Basidiomycetesक्लब फंगी (Club Fungi)Mushroom, Pucciniaकोई अलैंगिक स्पोर नहीं, बेसिडियोस्पोर्स (Basidiospores) द्वारा लैंगिक प्रजनन
Deuteromycetesअपूर्ण फंगी (Imperfect Fungi)Trichoderma, Alternariaकेवल अलैंगिक प्रजनन (कोनिडिया द्वारा), कोई ज्ञात लैंगिक चरण नहीं

1. Zygomycetes (जाइगोमाइसीट्स – जोड़ने वाले कवक)

राइजोमाइसीट्स (Rhizopus), म्यूकर (Mucor) इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
✔ हाइफी कोएनोसाइटिक (Coenocytic) और बहु-नाभिकीय (Multinucleated) होती हैं।
स्पोरेंगियोस्पोर्स (Sporangiospores) द्वारा अलैंगिक प्रजनन।
✔ लैंगिक रूप से जाइगोट (Zygote) बनाते हैं, इसलिए इसे Zygomycetes कहा जाता है।

📌 NEET Fact: Rhizopus को “Bread Mould” (रोटी पर लगने वाली फफूंद) कहा जाता है।


2. Ascomycetes (एस्कोमाइसीट्स – थैली कवक)

थैली जैसी संरचनाओं (Ascus) में स्पोर्स बनने के कारण इसे “Sac Fungi” कहा जाता है।
✔ मुख्य उदाहरण – Yeast (Saccharomyces), Penicillium, Aspergillus
✔ अलैंगिक प्रजनन – कोनिडिया (Conidia) द्वारा
✔ लैंगिक प्रजनन – एस्कोस्पोर्स (Ascospores) द्वारा

📌 NEET Fact:
Yeast – एककोशिकीय कवक है, जो एथेनॉल किण्वन (Ethanol Fermentation) में उपयोगी है।
Penicillium notatumPenicillin एंटीबायोटिक का स्रोत है।


3. Basidiomycetes (बेसिडियोमाइसीट्स – क्लब कवक)

✔ इसे “Club Fungi” कहा जाता है, क्योंकि इसके स्पोर्स बेसिडियम (Basidium) नामक क्लब जैसी संरचना में बनते हैं।
✔ मुख्य उदाहरण – Mushroom (Agaricus), Puccinia (गेहूं का रतुआ रोग)
✔ लैंगिक प्रजनन – बेसिडियोस्पोर्स (Basidiospores) द्वारा
✔ इनमें कोनिडिया या स्पोरेंगियोस्पोर्स नहीं बनते

📌 NEET Fact:
Agaricus (Mushroom) खाद्य कवक है।
Puccinia graminis-tritici गेहूं का रतुआ रोग (Rust Disease) करता है।


4. Deuteromycetes (ड्यूटेरोमाइसीट्स – अपूर्ण कवक)

✔ इसे “Imperfect Fungi” (अपूर्ण कवक) कहा जाता है क्योंकि इनमें लैंगिक प्रजनन अज्ञात है।
✔ मुख्य उदाहरण – Trichoderma, Alternaria
✔ ये कोनिडिया द्वारा अलैंगिक प्रजनन करते हैं।
✔ कुछ एंटीबायोटिक्स और जैविक नियंत्रण (Biocontrol) में उपयोगी होते हैं।

📌 NEET Fact: Trichoderma का उपयोग जैव कीटनाशक (Biopesticide) के रूप में किया जाता है।


निष्कर्ष (Conclusion)

Fungi का Kingdom यूकैरियोटिक और हेटेरोट्रॉफिक जीवों का एक अलग समूह है।
NEET में मुख्य रूप से Yeast, Mushroom, Penicillium, Puccinia और Rhizopus से जुड़े प्रश्न आते हैं।

📌 Trick to Remember Fungal Classes:
“Zygo Asco Basidio Deutero”
(Zygomycetes, Ascomycetes, Basidiomycetes, Deuteromycetes) 🚀

Lichens (लाईकेन) –

परिचय (Introduction)

Lichens (लाईकेन) दो अलग-अलग जीवों – शैवाल (Algae) और कवक (Fungi) के बीच सहजीवी संबंध (Symbiotic Association) का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
शैवाल (Algae) – “फाइकोबायंट (Phycobiont)” कहलाता है और यह प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) करता है, जिससे भोजन बनता है।
कवक (Fungi) – “माइकोबायंट (Mycobiont)” कहलाता है और यह जल और खनिज लवण अवशोषित करता है तथा शैवाल को संरक्षण प्रदान करता है।

👉 लाईकेन को “Nature’s Pioneer Organism” भी कहा जाता है, क्योंकि यह कठोर परिस्थितियों में भी जीवित रह सकता है।

📌 NEET में प्रमुख प्रश्न:
“लाईकेन किसका उदाहरण है?” → सहजीवी (Symbiotic) संबंध।
“फाइकोबायंट और माइकोबायंट क्या होते हैं?”
“लाईकेन कहाँ उगते हैं?” → चट्टानों, पेड़ों, दीवारों, कठोर सतहों पर।
“लाईकेन प्रदूषण के सूचक क्यों माने जाते हैं?” → क्योंकि वे गंधक डाइऑक्साइड (SO₂) प्रदूषण सहन नहीं कर सकते।


मुख्य विशेषताएँ (Characteristics of Lichens)

  1. Symbiotic Relationship (सहजीवी संबंध)
    • शैवाल (Algae) भोजन बनाता है।
    • कवक (Fungi) संरचना और जल उपलब्ध कराता है।
  2. संरचना (Structure)
    • बाहरी परत कवक (Fungi) से बनी होती है।
    • भीतरी परत में शैवाल (Algae) होते हैं।
    • आधार में कवक के तंतु चिपकने में मदद करते हैं।
  3. अवस्थिति (Habitat)
    • ये कठोर परिस्थितियों में जीवित रहते हैं, जैसे – चट्टानें, पेड़, ध्रुवीय क्षेत्र, रेगिस्तान आदि
    • अत्यधिक शुष्क स्थानों में भी पाए जाते हैं।
  4. प्रदूषण संकेतक (Pollution Indicators)
    • लाईकेन गंधक डाइऑक्साइड (SO₂) प्रदूषण को सहन नहीं कर सकते।
    • शुद्ध वायु वाले स्थानों में ही पनपते हैं, इसलिए वायु गुणवत्ता के प्राकृतिक सूचक (Bioindicators) माने जाते हैं।

लाईकेन के प्रकार (Types of Lichens)

लाईकेन को मुख्यतः आकार और संरचना के आधार पर तीन प्रकारों में बांटा गया है:

प्रकारउदाहरणमुख्य विशेषताएँ
क्रस्टोज़ (Crustose)Graphis, Lecanoraचट्टानों और पेड़ों की सतह पर एक कठोर परत के रूप में बढ़ते हैं।
फोलिओज़ (Foliose)Parmeliaपत्तीनुमा संरचना होती है, सतह से आंशिक रूप से जुड़े होते हैं।
फ्रूटिकोज़ (Fruticose)Cladonia, Usneaझाड़ीदार या शाखाओं जैसी संरचना होती है, सीधे ऊपर बढ़ते हैं।

📌 NEET Fact:
Lecanora से लिटमस (Litmus) रंग प्राप्त किया जाता है, जो pH इंडिकेटर के रूप में प्रयोग होता है।
Parmelia औषधीय उपयोग में आता है।


लाईकेन का महत्व (Economic & Ecological Importance of Lichens)

  1. पर्यावरण संकेतक (Bioindicator) –
    • वायु प्रदूषण (SO₂) के प्रति संवेदनशील होते हैं, इसलिए प्रदूषण संकेतक (Pollution Indicator) के रूप में कार्य करते हैं।
  2. खाद्य स्रोत (Food Source) –
    • कुछ लाईकेन को हिरण और अन्य जानवर भोजन के रूप में उपयोग करते हैं।
  3. दवा उद्योग (Medicinal Uses) –
    • कुछ लाईकेन में एंटीबायोटिक और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं।
    • Usnea – एंटीबायोटिक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  4. रंग और सुगंध उद्योग (Dyes & Perfume) –
    • Lecanora से लिटमस (Litmus) रंग प्राप्त होता है।
    • कुछ लाईकेन से इत्र (Perfume) बनते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

Lichens शैवाल और कवक के बीच सहजीवी संबंध का बेहतरीन उदाहरण हैं।
वे प्रदूषण के प्राकृतिक संकेतक (Bioindicators) होते हैं।
विज्ञान, दवा, खाद्य और पर्यावरण अध्ययन में इनका महत्वपूर्ण योगदान है।

📌 Trick to Remember Lichen Types:
👉 “CF फ्रूट फोलियो”
(Crustose, Foliose, Fruticose)

वायरस (Viruses) –

परिचय (Introduction)

वायरस (Virus) एक अनोखी जैविक इकाई है जो न तो पूरी तरह से जीवित होती है और न ही निर्जीव। इसे अविकारी संक्रमणकारी कण (Obligate Intracellular Parasite) कहा जाता है, क्योंकि यह केवल किसी जीवित कोशिका (host cell) के अंदर ही बढ़ और गुणा कर सकता है।

📌 NEET में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्न:
“वायरस जीवित है या निर्जीव?” → दोनों के गुण होते हैं।
“वायरस की संरचना में कौन-कौन से घटक होते हैं?” → न्यूक्लिक एसिड (DNA/RNA) और प्रोटीन कोट।
“वायरस की खोज किसने की?”डी. आई. इवानोवस्की (D.I. Ivanowsky) ने 1892 में तंबाकू मोज़ेक वायरस (TMV) खोजा।
“DNA वायरस और RNA वायरस में अंतर क्या है?”


वायरस की विशेषताएँ (Characteristics of Viruses)

  1. अजीवित गुण (Non-living characteristics)
    • क्रिस्टलीकरण (Crystallization) कर सकते हैं।
    • कोशिकीय संरचना (Cell Structure) नहीं होती।
    • ऊर्जा उत्पादन (Metabolism) नहीं कर सकते।
  2. जीवित गुण (Living characteristics)
    • न्यूक्लिक एसिड (DNA/RNA) मौजूद होता है।
    • जीवित कोशिका में प्रवेश करने पर गुणन (Replication) करते हैं।
    • म्यूटेशन (Mutation) कर सकते हैं।
  3. संरचना (Structure)
    • न्यूक्लिक एसिड (Nucleic Acid) → DNA या RNA (कभी दोनों नहीं)।
    • कैप्सिड (Capsid) → प्रोटीन का आवरण जो न्यूक्लिक एसिड को सुरक्षित रखता है।
    • एनवलप (Envelope, कुछ वायरस में) → लिपिड और प्रोटीन से बनी बाहरी परत।

वायरस के प्रकार (Types of Viruses)

1. न्यूक्लिक एसिड के आधार पर (Based on Nucleic Acid)

प्रकारउदाहरण
DNA वायरसSmallpox, Hepatitis B, Adenovirus
RNA वायरसInfluenza, HIV, Corona Virus, Polio, Rabies

📌 NEET Fact:
HIV (AIDS वायरस) RNA वायरस होता है।
कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) भी RNA वायरस है।


2. होस्ट के आधार पर (Based on Host)

प्रकारउदाहरण
पौधों के वायरस (Plant Viruses)Tobacco Mosaic Virus (TMV)
जानवरों के वायरस (Animal Viruses)Rabies, Influenza, Polio
जीवाणु वायरस (Bacteriophages)T4 Bacteriophage (E. coli को संक्रमित करता है)

📌 NEET Fact:
TMV (तंबाकू मोज़ेक वायरस) पहला खोजा गया वायरस था।
Bacteriophage जीवाणुओं को संक्रमित करता है और “बैक्टीरिया खाने वाला” कहलाता है।


वायरस का जीवन चक्र (Viral Life Cycle)

वायरस केवल मेजबान कोशिका (host cell) में ही बढ़ सकते हैं। इनका जीवन चक्र मुख्यतः दो प्रकार का होता है:

1. लाइसोजेनिक चक्र (Lysogenic Cycle)

  • वायरस कोशिका के DNA में मिलकर निष्क्रिय रहता है।
  • अनुकूल परिस्थितियों में सक्रिय होकर संक्रमण फैलाता है।
  • उदाहरण: HIV (AIDS) वायरस।

2. लिटिक चक्र (Lytic Cycle)

  • वायरस मेजबान कोशिका में प्रवेश करता है, अपनी प्रतिकृति बनाता है और कोशिका को तोड़कर बाहर निकलता है।
  • उदाहरण: Bacteriophage (T4 Phage)।

📌 NEET Fact:
लिटिक चक्र तुरंत कोशिका को नष्ट करता है।
लाइसोजेनिक चक्र में वायरस निष्क्रिय रूप में कोशिका में छिपा रहता है।


वायरस का महत्व (Importance of Viruses)

1. हानिकारक प्रभाव (Harmful Effects)

✔ रोग फैलाते हैं – AIDS (HIV), Polio, Rabies, Influenza, COVID-19।
✔ पौधों को नुकसान – TMV (Tobacco Mosaic Virus), Cauliflower Mosaic Virus।

2. लाभकारी प्रभाव (Beneficial Effects)

Bacteriophage बैक्टीरिया को मारकर एंटीबायोटिक्स के विकल्प के रूप में काम करता है।
Gene Therapy में वायरस का उपयोग किया जाता है।
Vaccines (टीके) बनाने में मदद करते हैं – उदाहरण: कोरोना वैक्सीन


निष्कर्ष (Conclusion)

वायरस अजीवित और जीवित गुणों का मिश्रण हैं।
DNA या RNA से बने होते हैं, लेकिन दोनों एक साथ नहीं होते।
लिटिक और लाइसोजेनिक चक्र के माध्यम से वृद्धि करते हैं।
वायरस मानव, पौधों और जीवाणुओं को संक्रमित कर सकते हैं।
Bacteriophage जीवाणुओं को संक्रमित करने वाला वायरस होता है।

📌 Trick to Remember DNA & RNA Viruses:
👉 “DR. HIP” → DNA Viruses
(D – DNA, R – Rabies, H – Hepatitis B, I – Influenza, P – Pox) 🚀

वायरोइड्स (Viroids) –

परिचय (Introduction)

वायरोइड्स (Viroids) सबसे छोटे संक्रमणकारी एजेंट (Infectious Agents) होते हैं, जो केवल RNA अणु से बने होते हैं। इनका कोई प्रोटीन कोट (Capsid) नहीं होता, जिससे ये वायरस से अलग होते हैं। वायरोइड्स मुख्य रूप से पौधों के रोगजनक (Plant Pathogens) होते हैं।

📌 NEET में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्न:
“वायरोइड्स को सबसे पहले किसने खोजा?”T.O. Diener (1971)
“वायरोइड्स और वायरस में अंतर क्या है?”
“वायरोइड्स में कौन-सा जेनेटिक मैटेरियल होता है?” → केवल RNA


वायरोइड्स की विशेषताएँ (Characteristics of Viroids)

  1. केवल RNA से बने होते हैं, DNA नहीं होता।
  2. कोई प्रोटीन कोट (Capsid) नहीं होता, जिससे ये वायरस से भिन्न होते हैं।
  3. कोशिका के बाहर क्रिस्टलीकरण (Crystallization) नहीं कर सकते।
  4. केवल पौधों को संक्रमित करते हैं, जानवरों को नहीं।
  5. RNA छोटा और गोलाकार (Circular Single-Stranded RNA) होता है।
  6. कोशिका के अंदर Ribosome का उपयोग नहीं कर सकते, बल्कि मेजबान कोशिका के एंजाइम्स पर निर्भर होते हैं।

📌 NEET Fact:
✔ वायरोइड्स में केवल RNA होता है, DNA नहीं।
✔ वायरोइड्स सबसे छोटे ज्ञात संक्रमणकारी कण (Smallest Infectious Agents) होते हैं।


वायरोइड्स से फैलने वाले रोग (Diseases Caused by Viroids)

रोग (Disease)संक्रमण करने वाला वायरोइड
Potato Spindle Tuber Disease (PSTD)Potato Spindle Tuber Viroid (PSTVd)
Coconut Cadang-Cadang DiseaseCoconut Cadang-Cadang Viroid (CCCVd)
Citrus Exocortis DiseaseCitrus Exocortis Viroid (CEVd)

📌 NEET में बार-बार पूछा जाने वाला सवाल:
Potato Spindle Tuber Disease किसके कारण होती है?Viroids
Viroids का सबसे प्रसिद्ध उदाहरण क्या है?PSTVd (Potato Spindle Tuber Viroid)


वायरस और वायरोइड्स में अंतर (Difference Between Virus and Viroids)

विशेषतावायरस (Virus)वायरोइड्स (Viroids)
संरचनाDNA या RNA + प्रोटीन कोट (Capsid)केवल RNA, कोई प्रोटीन कोट नहीं
होस्ट (Host)पौधे, जानवर, बैक्टीरियाकेवल पौधे
संक्रमणजटिल रोगमुख्य रूप से पौधों के रोग
प्रजनन (Replication)मेजबान कोशिका के राइबोसोम का उपयोग करता हैकेवल मेजबान कोशिका के एंजाइम्स का उपयोग करता है
रोगों के उदाहरणAIDS (HIV), Polio, InfluenzaPotato Spindle Tuber Disease (PSTD)

📌 NEET Fact:
वायरस में प्रोटीन कोट (Capsid) होता है, लेकिन वायरोइड्स में नहीं।
वायरोइड्स केवल पौधों को संक्रमित करते हैं, वायरस सभी प्रकार के जीवों को।


निष्कर्ष (Conclusion)

वायरोइड्स सबसे छोटे संक्रमणकारी एजेंट होते हैं।
इनमें केवल सिंगल-स्ट्रैंडेड सर्कुलर RNA होता है, DNA और प्रोटीन कोट नहीं।
ये केवल पौधों को संक्रमित करते हैं और महत्वपूर्ण फसल रोग उत्पन्न कर सकते हैं।
T.O. Diener ने 1971 में Potato Spindle Tuber Viroid (PSTVd) की खोज की थी।

📌 Trick to Remember:
👉 “Viroids → V = Vegetation (Plants)” → वायरोइड्स केवल पौधों को संक्रमित करते हैं! 🚀

पौधों का वर्गीकरण (Classification of Plants)

परिचय (Introduction)

पौधों को उनके शरीर की संरचना, प्रजनन विधि और ऊतक संगठन के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। सबसे महत्वपूर्ण वर्गीकरण R.H. Whittaker (1969) द्वारा दिया गया पाँच जगत वर्गीकरण (Five Kingdom Classification) है, जिसमें पौधों को Kingdom Plantae के अंतर्गत रखा गया है।

📌 NEET में महत्वपूर्ण टॉपिक्स:
✔ पौधों का वर्गीकरण (Classification of Plants)
✔ ब्रायोफाइट्स, टेरीडोफाइट्स, जिम्नोस्पर्म, एंजियोस्पर्म
✔ शैवाल (Algae), लाइकेन (Lichens)


पौधों के वर्गीकरण की मुख्य श्रेणियाँ (Major Divisions of Plant Kingdom)

1️⃣ थैलोफाइटा (Thallophyta) – शैवाल (Algae)

  • सबसे सरल पादप समूह
  • शरीर थैलस (Thallus) के रूप में होता है, जड़, तना, पत्तियाँ अनुपस्थित
  • संवहनी ऊतक (Vascular Tissue) अनुपस्थित
  • प्रमुख रूप से जलीय (Aquatic) होते हैं
  • प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन बनाते हैं (Autotrophic)

🔹 उदाहरण: Spirogyra, Chlamydomonas, Volvox, Ulva, Laminaria

📌 NEET Fact:
✔ शैवाल में क्लोरोफिल होता है और ये प्रकाश संश्लेषण करते हैं।
✔ लाल शैवाल (Red Algae – Rhodophyta) में फाइकोएरिथ्रिन (Phycoerythrin) नामक पिगमेंट होता है।


2️⃣ ब्रायोफाइटा (Bryophyta) – ‘पौधों का उभयचर’ (Amphibians of Plant Kingdom)

  • जल और भूमि दोनों में रहने वाले पौधे
  • संवहनी ऊतक (Vascular Tissue) नहीं होता
  • शरीर में जड़, तना, पत्तियाँ जैसे संरचनाएँ मौजूद लेकिन वास्तविक नहीं
  • जीवन चक्र में गैमीटॉफाइटिक और स्पोरोफाइटिक पीढ़ी (Alternation of Generation) होती है

🔹 उदाहरण: Marchantia, Riccia, Funaria (Mosses)

📌 NEET Fact:
Bryophytes को “Amphibians of Plant Kingdom” कहा जाता है।
Marchantia में लैंगिक जनन हेतु विशेष संरचना होती है जिसे “Gemma Cup” कहते हैं।


3️⃣ टेरीडोफाइटा (Pteridophyta) – पहला संवहनी पौधा (First Vascular Plants)

  • असली जड़, तना, पत्तियाँ और संवहनी ऊतक (Xylem & Phloem) पाए जाते हैं
  • बीज नहीं होते, लेकिन बीजाणु (Spores) द्वारा वंश वृद्धि होती है
  • मुख्य रूप से छायादार, नम स्थानों में उगते हैं

🔹 उदाहरण: Fern (Pteris), Marsilea, Equisetum, Selaginella

📌 NEET Fact:
Pteridophytes में पहली बार Xylem और Phloem पाए जाते हैं।
Selaginella और Salvinia को Heterosporous Pteridophytes कहा जाता है।


4️⃣ जिम्नोस्पर्म (Gymnosperms) – अनावृतबीजी (Naked Seed Plants)

  • बीज होते हैं लेकिन फल (Fruit) अनुपस्थित
  • बीज अंडाशय (Ovary) से ढके नहीं होते, बल्कि खुले रहते हैं
  • लकड़ी (Woody) के रूप में होते हैं, अधिकतर शंकुधारी (Conifers)
  • संवहन ऊतक (Vascular Tissue) विकसित होता है
  • परागण मुख्यतः पवन द्वारा होता है (Anemophilous Pollination)

🔹 उदाहरण: Pinus, Cycas, Ginkgo, Cedrus

📌 NEET Fact:
Pinus में नर और मादा कोन (Cones) अलग-अलग होते हैं।
Ginkgo biloba को “Living Fossil” कहा जाता है।


5️⃣ एंजियोस्पर्म (Angiosperms) – संवृतबीजी (Enclosed Seed Plants)

  • फूल और फल वाले पौधे
  • बीज अंडाशय के अंदर विकसित होते हैं
  • परागण की विधियाँ विभिन्न होती हैं (Wind, Water, Insects)
  • द्विगुणित भ्रूणकोष (Double Fertilization) होता है

🔹 उदाहरण: Mango, Apple, Wheat, Sunflower

📌 NEET Fact:
Angiosperms में Double Fertilization पाई जाती है।
Monocots (जैसे – घास) और Dicots (जैसे – मटर) में विभाजन किया जाता है।


पौधों के वर्गीकरण को समझने के लिए एक ट्रिक!

👉 “T(Thallophyta) B(Bryophyta) P(Pteridophyta) G(Gymnosperm) A”(Angiosperm)

💡 Memory Trick: “This Boy Plays Good Adventure”


निष्कर्ष (Conclusion)

✔ पौधों को मुख्य रूप से शैवाल, ब्रायोफाइट्स, टेरीडोफाइट्स, जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म में विभाजित किया गया है।
Thallophyta (Algae) सबसे सरल पौधे हैं, जबकि Angiosperms सबसे विकसित समूह हैं।
Pteridophytes में पहली बार संवहनी ऊतक पाए जाते हैं।
Bryophytes को “Plant Kingdom के Amphibians” कहा जाता है।
Gymnosperms में बीज होते हैं लेकिन फल नहीं बनता।

📌 NEET Question Alert:
“Double Fertilization किसमें पाई जाती है?”Angiosperms
“सबसे सरल पादप कौन सा है?”Thallophyta (Algae)
“First Vascular Plant कौन सी है?”Pteridophyta

शैवाल (Algae)

परिचय (Introduction)

शैवाल (Algae) थैलोफाइटा (Thallophyta) समूह के सरल, प्राथमिक उत्पादक (Primary Producers) पादप हैं। ये मुख्य रूप से जलीय (Aquatic) होते हैं और प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) के माध्यम से अपना भोजन स्वयं बनाते हैं।

📌 NEET में महत्वपूर्ण टॉपिक्स:
✔ शैवाल की विशेषताएँ (Characteristics of Algae)
✔ प्रकार (Types of Algae) – हरी, भूरे, लाल शैवाल
✔ जनन (Reproduction in Algae)
✔ आर्थिक महत्व (Economic Importance of Algae)


1️⃣ शैवाल की विशेषताएँ (Characteristics of Algae)

  • यह पौधों का सबसे सरल और अविकसित समूह है।
  • शरीर थैलस (Thallus) के रूप में होता है, यानी इनमें जड़, तना, पत्तियाँ अनुपस्थित होती हैं।
  • अधिकतर जल में पाई जाती हैं (Aquatic) – मीठे पानी (Freshwater) और खारे पानी (Marine) दोनों में।
  • कुछ शैवाल भूमि पर, पेड़ों पर, चट्टानों पर, या अन्य पौधों के साथ सहजीवी रूप में भी पाई जाती हैं
  • इनमें क्लोरोफिल (Chlorophyll) पाया जाता है, जिससे यह प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) करती हैं।
  • इनमें संवहनी ऊतक (Vascular Tissue) अनुपस्थित होते हैं।
  • इनमें विभिन्न प्रकार के पिगमेंट (Pigments) पाए जाते हैं, जिनके आधार पर इन्हें हरी, लाल और भूरे शैवाल में विभाजित किया जाता है।
  • इनका जीवन चक्र गैमीटॉफाइटिक और स्पोरोफाइटिक पीढ़ियों के बीच घूमता रहता है (Alternation of Generation)।

2️⃣ शैवाल के प्रकार (Types of Algae)

शैवाल को उनके रंग, पिगमेंट, संरचना और भंडारण उत्पादों के आधार पर मुख्यतः तीन प्रकार में विभाजित किया गया है –

(A) हरी शैवाल (Green Algae) – क्लोरोफाइटा (Chlorophyta)

  • इनमें क्लोरोफिल-ए और बी प्रमुख रूप से पाए जाते हैं।
  • इनका रंग हरा होता है।
  • कोशिका भित्ति सेलुलोज (Cellulose) से बनी होती है।
  • इनका भंडारण उत्पाद स्टार्च (Starch) होता है।
  • अधिकतर यह मीठे पानी (Freshwater) में पाई जाती हैं।

🔹 उदाहरण: Chlamydomonas, Volvox, Spirogyra, Ulothrix

📌 NEET Fact:
Spirogyra को “Water Silk” कहा जाता है।
Volvox कॉलोनी बनाकर रहती है (Colonial Algae)।


(B) भूरे शैवाल (Brown Algae) – फियोफाइटा (Phaeophyta)

  • इनमें क्लोरोफिल-ए, सी और फुकोक्सैंथिन (Fucoxanthin) पिगमेंट होते हैं, जिससे इनका रंग भूरा होता है।
  • कोशिका भित्ति सेलुलोज और एल्जिनिक एसिड (Alginic Acid) से बनी होती है।
  • यह मुख्य रूप से समुद्री (Marine) होते हैं।
  • भंडारण उत्पाद लैमिनेरिन (Laminarin) और मैनिटोल (Mannitol) होते हैं।

🔹 उदाहरण: Laminaria, Fucus, Sargassum, Dictyota

📌 NEET Fact:
Sargassum समुद्र की सतह पर तैरता है।
Laminaria खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग किया जाता है।


(C) लाल शैवाल (Red Algae) – रोडोफाइटा (Rhodophyta)

  • इनमें क्लोरोफिल-ए, डी और फाइकोएरिथ्रिन (Phycoerythrin) पिगमेंट होते हैं, जिससे इनका रंग लाल होता है।
  • यह मुख्य रूप से समुद्री (Marine) होते हैं।
  • कोशिका भित्ति सेलुलोज और पेक्टिन (Pectin) से बनी होती है।
  • इनका भंडारण उत्पाद फ्लोरिडियन स्टार्च (Floridean Starch) होता है।

🔹 उदाहरण: Polysiphonia, Gelidium, Gracilaria, Porphyra

📌 NEET Fact:
Gelidium और Gracilaria से Agar-Agar निकाला जाता है।
Porphyra को खाद्य पदार्थ के रूप में खाया जाता है।


3️⃣ शैवाल में जनन (Reproduction in Algae)

शैवाल में तीन प्रकार के जनन होते हैं –

(A) वनस्पतिक जनन (Vegetative Reproduction)

  • यह विखंडन (Fragmentation) द्वारा होता है।
  • शैवाल का शरीर टूटकर नए व्यक्तियों का निर्माण करता है।
  • उदाहरण: Spirogyra

(B) अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction)

  • यह बीजाणुओं (Spores) के द्वारा होता है।
  • ज़्यादातर Zoospores (संवहनीय बीजाणु) या Aplanospores (असंवहनीय बीजाणु) द्वारा होता है।
  • उदाहरण: Chlamydomonas (Zoospore)

(C) लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)

  • यह गैमेट्स (Gametes) के मिलन (Fusion) द्वारा होता है।
  • तीन प्रकार का लैंगिक जनन पाया जाता है –
    आइसोगैमी (Isogamy): समान आकार के गैंमेट्स का संलयन (Fusion)।
    ऐनिसोगैमी (Anisogamy): असमान आकार के गैंमेट्स का संलयन।
    ओगैमी (Oogamy): एक स्थिर बड़ा मादा गैंमेट और एक गतिशील नर गैंमेट का संलयन।
  • उदाहरण: Fucus (Oogamy), Spirogyra (Isogamy), Volvox (Anisogamy)

📌 NEET Fact:
Chlamydomonas में तीनों प्रकार के लैंगिक जनन पाए जाते हैं।
Fucus में Oogamous reproduction होता है।


4️⃣ शैवाल का आर्थिक महत्व (Economic Importance of Algae)

शैवाल कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं –

भोजन (Food Source): Porphyra, Laminaria, Chlorella खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग किए जाते हैं।
औषधीय उपयोग (Medicinal Uses): Laminaria में आयोडीन होता है जो गॉइटर (Goiter) के इलाज में सहायक है।
उद्योगों में उपयोग: Agar-Agar (Gelidium & Gracilaria) प्रयोगशालाओं में माइक्रोबियल कल्चर के लिए उपयोग किया जाता है।
ऑक्सीजन उत्पादन: शैवाल समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में प्रमुख ऑक्सीजन उत्पादक हैं।
जैव ईंधन (Biofuel): शैवाल से बायोडीजल (Biodiesel) का उत्पादन किया जाता है।

📌 NEET Fact:
Chlorella को “Single Cell Protein (SCP)” कहा जाता है क्योंकि इसमें उच्च प्रोटीन मात्रा होती है।
Agar-Agar का उपयोग आइसक्रीम और जैम बनाने में किया जाता है।


निष्कर्ष (Conclusion)

✔ शैवाल सरल पौधे हैं जो मुख्य रूप से जलीय होते हैं।
✔ इन्हें तीन मुख्य समूहों (हरी, भूरे और लाल शैवाल) में वर्गीकृत किया जाता है।
✔ इनमें तीन प्रकार के जनन होते हैं – वनस्पतिक, अलैंगिक और लैंगिक।
✔ यह भोजन, औषधि, जैव ईंधन, और उद्योगों में उपयोगी हैं।

ब्रायोफाइट्स (Bryophytes) –

परिचय (Introduction)

ब्रायोफाइट्स (Bryophytes) को पौधों की उभयचर (Amphibians of Plant Kingdom) कहा जाता है क्योंकि ये ज़मीन पर उगते हैं, लेकिन प्रजनन के लिए जल की आवश्यकता होती है। ये थैलस (Thallus) संरचना वाले अविकसित पादप होते हैं, जिनमें संवहनी ऊतक (Vascular Tissues) नहीं पाए जाते।

📌 NEET में महत्वपूर्ण टॉपिक्स:
✔ ब्रायोफाइट्स की विशेषताएँ (Characteristics of Bryophytes)
✔ प्रमुख वर्ग (Types of Bryophytes) – हेपेटिकॉप्सिडा, ब्रायॉप्सिडा, एन्थोसेरॉटॉप्सिडा
✔ जीवन चक्र (Life Cycle)
✔ आर्थिक महत्व (Economic Importance)


1️⃣ ब्रायोफाइट्स की विशेषताएँ (Characteristics of Bryophytes)

  • यह सरलतम स्थलीय पौधे (Simplest Land Plants) हैं।
  • इनमें जड़, तना और पत्तियाँ पूर्ण रूप से विकसित नहीं होतीं, बल्कि जड़ के स्थान पर राइजॉइड्स (Rhizoids) होते हैं, जो जल अवशोषण में मदद करते हैं।
  • इनमें संवहनी ऊतक (Vascular Tissues – Xylem & Phloem) अनुपस्थित होते हैं।
  • इनका जीवन चक्र गैमीटॉफाइट (Gametophyte) प्रधान होता है, जिसमें युग्मकों (Gametes) का निर्माण होता है।
  • स्पोरॉफाइट (Sporophyte) जीवन चक्र का द्वितीयक चरण होता है, जो गैमीटॉफाइट पर ही आश्रित रहता है।
  • इनका प्रजनन जल-आश्रित (Water-dependent) होता है क्योंकि नर गैंमेट (Sperm) को मादा गैंमेट (Egg) तक जाने के लिए जल की आवश्यकता होती है।
  • इनमें स्पोरेस (Spores) द्वारा अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction) होता है

📌 NEET Fact:
✔ ब्रायोफाइट्स को पादपों का उभयचर (Amphibians of Plant Kingdom) कहा जाता है।
✔ इनमें जड़, तना और पत्तियाँ अनुपस्थित होती हैं, लेकिन संरचनात्मक रूप से मिलती-जुलती होती हैं।


2️⃣ ब्रायोफाइट्स के वर्गीकरण (Types of Bryophytes)

ब्रायोफाइट्स को तीन मुख्य वर्गों में विभाजित किया जाता है:

(A) हेपेटिकॉप्सिडा (Hepaticopsida) – लीवरवॉर्ट्स (Liverworts)

  • इनमें थैलस (Thallus) फ्लैट और लोब युक्त (Lobed) होता है।
  • यह आम तौर पर नम और छायादार स्थानों में उगते हैं
  • इनमें राइजॉइड्स (Rhizoids) सरल और बिना विभाजन वाले होते हैं
  • इनमें अलैंगिक जनन जेम्मा कप्स (Gemma Cups) द्वारा होता है।
  • स्पोरेंगियम (Sporangium) में एलाटर्स (Elaters) होते हैं, जो स्पोर्स के फैलाव में मदद करते हैं।

🔹 उदाहरण: Marchantia, Riccia, Pellia

📌 NEET Fact:
Marchantia में जेम्मा कप्स (Gemma Cups) पाए जाते हैं, जो अलैंगिक जनन में सहायक होते हैं।


(B) ब्रायॉप्सिडा (Bryopsida) – मॉसेस (Mosses)

  • इनमें गैमीटॉफाइट (Gametophyte) दो चरणों में विकसित होता हैप्रोटोनिमा (Protonema) और पत्तीदार अवस्था (Leafy Stage)
  • इनमें बहुकोशिकीय शाखायुक्त राइजॉइड्स (Multicellular Branched Rhizoids) पाए जाते हैं
  • स्पोरेंगियम में पेरिस्टोम (Peristome) नामक संरचना होती है, जो स्पोर्स के फैलाव को नियंत्रित करती है।

🔹 उदाहरण: Funaria, Polytrichum, Sphagnum

📌 NEET Fact:
Sphagnum को पीट मॉस (Peat Moss) कहा जाता है क्योंकि यह जल सोखने की अद्भुत क्षमता रखता है और इसे ईंधन तथा गार्डनिंग में उपयोग किया जाता है।


(C) एन्थोसेरॉटॉप्सिडा (Anthocerotopsida) – हॉर्नवॉर्ट्स (Hornworts)

  • इनमें थैलस फ्लैट और लीवरवॉर्ट्स जैसा होता है।
  • इनका स्पोरॉफाइट हॉर्न (Horn) के आकार का होता है और लंबी अवधि तक जीवित रहता है।
  • इनकी कोशिकाओं में एकल बड़ी क्लोरोप्लास्ट (Single Large Chloroplast) पाई जाती है

🔹 उदाहरण: Anthoceros, Notothylas

📌 NEET Fact:
Anthoceros में साइनोबैक्टीरिया (Nostoc) के साथ सहजीवी संबंध पाया जाता है, जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करता है।


3️⃣ ब्रायोफाइट्स का जीवन चक्र (Life Cycle of Bryophytes)

ब्रायोफाइट्स का जीवन चक्र हैप्लोडिप्लोन्टिक (Haplodiplontic) होता है, जिसमें दो प्रमुख चरण होते हैं –

गैमीटॉफाइट (Gametophyte) – प्रमुख चरण (Dominant Phase)
स्पोरॉफाइट (Sporophyte) – आश्रित चरण (Dependent Phase)

📌 NEET Fact:
गैमीटॉफाइट पादप शरीर का प्रमुख और स्वतंत्र चरण होता है जबकि स्पोरॉफाइट गैमीटॉफाइट पर आश्रित रहता है
✔ स्पोरॉफाइट में फुट (Foot), सेट (Seta), और कैप्सूल (Capsule) होते हैं


4️⃣ ब्रायोफाइट्स का आर्थिक और पारिस्थितिक महत्व (Economic & Ecological Importance of Bryophytes)

🌿 मृदा संरक्षण (Soil Conservation): ब्रायोफाइट्स मिट्टी के कटाव को रोकते हैं।
🌿 पानी धारण क्षमता: मॉसेस विशेष रूप से जल सोखने की उच्च क्षमता रखते हैं।
🌿 ईंधन (Fuel): Sphagnum (Peat Moss) से पीट बनता है, जिसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है।
🌿 औषधीय उपयोग: Marchantia का उपयोग यकृत (Liver) संबंधी विकारों के उपचार में किया जाता है।
🌿 नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation): Anthoceros में पाए जाने वाले Nostoc साइनोबैक्टीरिया नाइट्रोजन स्थिरीकरण में मदद करते हैं।
🌿 सजावटी पौधे (Ornamental Plants): कई मॉसेस सजावटी पौधों के रूप में उगाए जाते हैं।

📌 NEET Fact:
Sphagnum को बैंडेज मॉस (Bandage Moss) भी कहते हैं क्योंकि इसका उपयोग घावों को ढकने के लिए किया जाता था।
Funaria में Protonema Stage पाई जाती है।


🔴 निष्कर्ष (Conclusion)

✔ ब्रायोफाइट्स सरलतम स्थलीय पौधे हैं और इनका जीवन चक्र गैमीटॉफाइट प्रधान होता है।
✔ इनमें संवहनी ऊतक नहीं पाए जाते और जल प्रजनन के लिए आवश्यक होता है।
✔ इन्हें तीन मुख्य वर्गों में विभाजित किया जाता है – हेपेटिकॉप्सिडा, ब्रायॉप्सिडा और एन्थोसेरॉटॉप्सिडा
✔ यह पारिस्थितिकी तंत्र में मृदा संरक्षण, जल धारण और नाइट्रोजन स्थिरीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्टेरिडोफाइट्स (Pteridophytes) – NEET के लिए विस्तृत अध्ययन

🔷 परिचय (Introduction)

प्टेरिडोफाइट्स (Pteridophytes) पौधों के विकासक्रम (Evolution) में पहले ऐसे पौधे हैं जिनमें संवहनी ऊतक (Vascular Tissues – Xylem & Phloem) पाए जाते हैं। इन्हें पादप जगत के संवहनी क्रिप्टोगैम्स (Vascular Cryptogams) भी कहा जाता है। इनका शरीर जड़, तना और पत्तियों में विभाजित होता है।

📌 NEET में महत्वपूर्ण टॉपिक्स:
✔ प्टेरिडोफाइट्स की विशेषताएँ (Characteristics of Pteridophytes)
✔ प्रमुख वर्गीकरण (Types of Pteridophytes)
✔ जीवन चक्र (Life Cycle) – स्पोरॉफाइट और गैमीटॉफाइट
✔ आर्थिक महत्व (Economic Importance)


1️⃣ प्टेरिडोफाइट्स की विशेषताएँ (Characteristics of Pteridophytes)

  • इनमें संवहनी ऊतक (Vascular Tissues – Xylem & Phloem) उपस्थित होते हैं, इसलिए ये ब्रायोफाइट्स से अधिक विकसित होते हैं।
  • इनका मुख्य पौधा स्पोरॉफाइट (Sporophyte) होता है, जो स्वतंत्र और प्रमुख अवस्था में रहता है
  • इनमें जड़ (Root), तना (Stem) और पत्तियाँ (Leaves) स्पष्ट रूप से विकसित होती हैं
  • पत्तियाँ दो प्रकार की होती हैं:
    • सूक्ष्मपत्री (Microphyllous): छोटी पत्तियाँ, जैसे Selaginella।
    • वृहदपत्री (Megaphyllous): बड़ी पत्तियाँ, जैसे फर्न (Ferns)।
  • इनमें स्पोर (Spores) द्वारा अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction) होता है
  • ये नम और छायादार स्थानों में उगते हैं, लेकिन कुछ मरुस्थलीय क्षेत्रों में भी पाए जाते हैं।
  • इनमें बीज नहीं बनते, इसलिए इन्हें स्पोरजन्य पौधे (Spore-producing plants) कहा जाता है।
  • इनमें हेटेरोस्पोरी (Heterospory) और होमोसपोरी (Homosporous) दोनों प्रकार की विशेषताएँ पाई जाती हैं

📌 NEET Fact:
✔ प्टेरिडोफाइट्स को संवहनी क्रिप्टोगैम्स (Vascular Cryptogams) कहा जाता है।
✔ ये बीज रहित संवहनी पौधे (Seedless Vascular Plants) होते हैं


2️⃣ प्टेरिडोफाइट्स के वर्गीकरण (Classification of Pteridophytes)

प्टेरिडोफाइट्स को चार प्रमुख वर्गों में विभाजित किया जाता है:

(A) साइलोफाइटा (Psilopsida) – आदिम प्टेरिडोफाइट्स (Primitive Pteridophytes)

  • इनमें जड़ें अनुपस्थित होती हैं, और राइजोइड्स (Rhizoids) जल अवशोषण में मदद करते हैं
  • इनमें केवल तना और पत्तियाँ होती हैं
  • इनमें होमोसपोरी (Homosporous) विशेषता पाई जाती है
  • इनमें संवहनी ऊतक सरल होते हैं

🔹 उदाहरण: Psilotum (Whisk Fern)

📌 NEET Fact:
Psilotum सबसे सरल और आदिम (Primitive) प्टेरिडोफाइट है।


(B) लाइकोपोडियोफाइटा (Lycopsida) – क्लब मॉस (Club Mosses)

  • इनमें सूक्ष्मपत्री (Microphyllous) पत्तियाँ पाई जाती हैं
  • इनमें स्पोरेंगिया (Sporangia) शंकु (Strobili) में पाए जाते हैं
  • इनमें कुछ पौधे होमोसपोरी (Homosporous) और कुछ हेटेरोस्पोरी (Heterosporous) होते हैं

🔹 उदाहरण: Lycopodium (Club Moss), Selaginella (Spike Moss)

📌 NEET Fact:
Selaginella एक हेटेरोस्पोरस प्टेरिडोफाइट है, जिसमें बड़े (Megaspores) और छोटे (Microspores) दोनों प्रकार के स्पोर्स बनते हैं।


(C) इक्विसेटोप्सिडा (Sphenopsida) – हॉर्सटेल्स (Horsetails)

  • इनमें संयुक्त (Jointed) तना पाया जाता है
  • तना में सिलिका (Silica) पाया जाता है, जिससे यह कठोर होता है।
  • इनमें स्पोरेंगिया स्पाइक्स (Cones) में होते हैं
  • इनमें होमोसपोरी विशेषता पाई जाती है

🔹 उदाहरण: Equisetum (Horsetail)

📌 NEET Fact:
Equisetum को जीवित जीवाश्म (Living Fossil) कहा जाता है
Equisetum का तना सिलिका (Silica) से युक्त होता है, जिससे इसे स्कॉवरिंग रश (Scouring Rush) भी कहा जाता है


(D) फिलिकॉप्सिडा (Pteropsida) – फर्न (Ferns)

  • इनमें वृहदपत्री (Megaphyllous) पत्तियाँ पाई जाती हैं
  • पत्तियों के निचले हिस्से में सोरोस (Sorus) नामक संरचना में स्पोरेंगिया पाए जाते हैं
  • इनमें कुछ पौधे होमोसपोरी और कुछ हेटेरोस्पोरी होते हैं

🔹 उदाहरण: Dryopteris, Pteris, Adiantum (Maiden Hair Fern)

📌 NEET Fact:
Adiantum को वीनस हेयर फर्न (Venus Hair Fern) कहते हैं
Marsilea एक हेटेरोस्पोरस फर्न है


3️⃣ प्टेरिडोफाइट्स का जीवन चक्र (Life Cycle of Pteridophytes)

प्टेरिडोफाइट्स का जीवन चक्र “हैप्लोडिप्लोन्टिक (Haplodiplontic)” होता है।
✔ इसमें स्पोरॉफाइट (Sporophyte) प्रमुख चरण होता है, जबकि गैमीटॉफाइट (Gametophyte) स्वतंत्र होता है
स्पोरेंगिया (Sporangia) में स्पोर्स बनते हैं, जो अंकुरित होकर गैमीटॉफाइट बनाते हैं।
गैमीटॉफाइट को प्रोथैलस (Prothallus) कहते हैं, जो हार्ट-शेप (Heart-shaped) का होता है।

📌 NEET Fact:
गैमीटॉफाइट (Prothallus) स्वतंत्र होता है और मिट्टी में विकसित होता है।
हेटेरोस्पोरस प्टेरिडोफाइट्स (Selaginella, Marsilea) में बीज वनस्पतियों (Gymnosperms & Angiosperms) जैसी विशेषता पाई जाती है।


4️⃣ आर्थिक महत्व (Economic Importance of Pteridophytes)

🌿 इंधन (Fuel): कुछ फर्न्स का उपयोग बायोमास के रूप में किया जाता है।
🌿 दवा (Medicinal Use): Adiantum का उपयोग श्वसन रोगों में किया जाता है।
🌿 खाद्य स्रोत (Food Source): Marsilea की स्पोर्स का उपयोग भोजन में किया जाता है।
🌿 मृदा संरक्षण (Soil Conservation): फर्न्स जल संरक्षण में मदद करते हैं।
🌿 सजावटी पौधे (Ornamental Plants): Nephrolepis, Adiantum, Pteris को सजावट के लिए उपयोग किया जाता है।

📌 NEET Fact:
Equisetum मूत्रवर्धक (Diuretic) के रूप में उपयोग किया जाता है।
Pteridophytes से बीज पादपों का विकास हुआ है।


🔴 निष्कर्ष (Conclusion)

प्टेरिडोफाइट्स संवहनी ऊतक वाले बीज रहित पौधे हैं।
✔ इनका जीवन चक्र स्पोरॉफाइट प्रधान होता है
✔ इनमें जड़, तना और पत्तियाँ स्पष्ट रूप से विकसित होती हैं
✔ यह विकासक्रम में ब्रायोफाइट्स और जिम्नोस्पर्म्स के बीच की कड़ी हैं

जिम्नोस्पर्म्स (Gymnosperms) –

🔷 परिचय (Introduction)

जिम्नोस्पर्म्स (Gymnosperms) वे बीज वाले पादप (Seed Plants) हैं जिनके बीज नग्न (Naked) होते हैं, यानी वे फलों में संलग्न (Enclosed) नहीं होते। इन्हें “नग्नबीजी पौधे” (Naked Seed Plants) भी कहा जाता है।

📌 NEET में महत्वपूर्ण टॉपिक्स:
✔ जिम्नोस्पर्म्स की विशेषताएँ (Characteristics of Gymnosperms)
✔ प्रमुख वर्गीकरण (Types of Gymnosperms)
✔ जीवन चक्र (Life Cycle) – स्पोरॉफाइट और गैमीटॉफाइट
✔ आर्थिक महत्व (Economic Importance)


1️⃣ जिम्नोस्पर्म्स की विशेषताएँ (Characteristics of Gymnosperms)

  • इनमें बीज खुले (Naked Seeds) होते हैं, जो फल में संलग्न नहीं होते।
  • इनमें संवहनी ऊतक (Vascular Tissues – Xylem & Phloem) विकसित होते हैं
  • फ्लोएम में साथी कोशिकाएँ (Companion Cells) अनुपस्थित होती हैं, और सीव ट्यूब के स्थान पर सीव सेल्स (Sieve Cells) पाई जाती हैं।
  • इनमें फूल नहीं होते, केवल शंकु (Cones) बनते हैं
  • इनमें द्विलिंगी (Monoecious) और एकलिंगी (Dioecious) दोनों प्रकार के पौधे पाए जाते हैं
  • इनमें स्वपरागण (Self Pollination) और परपरागण (Cross Pollination) होता है, और निषेचन वायु (Anemophilous) द्वारा होता है
  • ये हेटेरोस्पोरी (Heterosporous) होते हैं, यानी बड़े (Megaspores) और छोटे (Microspores) स्पोर्स बनते हैं
  • इनमें गैमीटॉफाइट पूरी तरह से स्पोरॉफाइट पर निर्भर रहता है
  • इनमें परागनलिका (Pollen Tube) बनती है, जिससे निषेचन साइफोनोगैमी (Siphonogamy) द्वारा होता है
  • इनमें अंडाशय (Ovary) अनुपस्थित होता है

📌 NEET Fact:
✔ जिम्नोस्पर्म्स को नग्नबीजी पौधे (Naked Seed Plants) कहा जाता है
✔ इनमें द्विगुणित (Diploid – 2n) स्पोरॉफाइट प्रमुख अवस्था होती है
साइफोनोगैमी (Siphonogamy) द्वारा निषेचन होता है।


2️⃣ जिम्नोस्पर्म्स के वर्गीकरण (Classification of Gymnosperms)

जिम्नोस्पर्म्स को चार प्रमुख वर्गों में विभाजित किया जाता है:

(A) साइकैडोफाइटा (Cycadophyta) – साइकैड्स (Cycads)

  • इनमें तना छोटा और मोटा (Columnar & Unbranched) होता है
  • पत्तियाँ बड़ी, कठोर और पिनेट (Pinnate) होती हैं
  • इनमें एकलिंगी (Dioecious) पौधे होते हैं, यानी नर और मादा शंकु अलग-अलग पौधों पर विकसित होते हैं
  • इनमें जुड़वा निषेचन (Double Fertilization) नहीं होता
  • इनका बीजाणु निषेचन गतिशील शुक्राणुओं (Motile Sperm) द्वारा होता है

🔹 उदाहरण: Cycas, Zamia, Dioon

📌 NEET Fact:
Cycas में शुक्राणु गतिशील (Motile) होते हैं, जो ब्रायोफाइट्स और प्टेरिडोफाइट्स जैसी विशेषता दर्शाते हैं।
Cycas में विषाणु जैसे यौगिक पाए जाते हैं, जो न्यूरोलॉजिकल रोग उत्पन्न कर सकते हैं।


(B) कॉनिफरोफाइटा (Coniferophyta) – कॉनिफर्स (Conifers)

  • इनमें तना ऊँचा और शाखित (Tall & Branched) होता है
  • पत्तियाँ सुई जैसी (Needle-like), कठोर और मोमयुक्त होती हैं, जिससे जल की हानि कम होती है
  • इनमें द्विलिंगी (Monoecious) और एकलिंगी (Dioecious) दोनों प्रकार के पौधे पाए जाते हैं
  • इनमें नर और मादा शंकु एक ही पौधे पर या अलग-अलग पौधों पर हो सकते हैं

🔹 उदाहरण: Pinus, Cedrus, Abies

📌 NEET Fact:
Pinus और Cedrus में नर और मादा शंकु एक ही पौधे पर होते हैं (Monoecious)।
Pinus की लकड़ी से टर्पेन्टाइन (Turpentine) निकाला जाता है।


(C) गिन्कगोफाइटा (Ginkgophyta) – जीवित जीवाश्म (Living Fossil)

  • इस समूह का एकमात्र जीवित सदस्य Ginkgo biloba है।
  • इसे “Living Fossil” कहा जाता है।
  • यह पर्णपाती (Deciduous) होता है, यानी इसकी पत्तियाँ मौसम के अनुसार गिरती हैं।
  • इसमें एकलिंगी पौधे (Dioecious) होते हैं

🔹 उदाहरण: Ginkgo biloba

📌 NEET Fact:
Ginkgo biloba को जीवित जीवाश्म (Living Fossil) कहा जाता है।


(D) नेटोफाइटा (Gnetophyta) – विकसित जिम्नोस्पर्म्स (Advanced Gymnosperms)

  • इनमें कुछ सपुष्पक पौधों (Angiosperms) जैसी विशेषताएँ पाई जाती हैं
  • इनमें जलवाहिनी (Vessels) विकसित होती हैं, जो अन्य जिम्नोस्पर्म्स में अनुपस्थित होती हैं।
  • इनमें नर और मादा शंकु एक ही पौधे पर हो सकते हैं (Monoecious) या अलग-अलग (Dioecious)।

🔹 उदाहरण: Gnetum, Ephedra, Welwitschia

📌 NEET Fact:
Ephedra से औषधीय यौगिक “Ephedrine” प्राप्त होता है, जो दमा (Asthma) के इलाज में उपयोगी है।
Welwitschia को रेगिस्तानी पौधा (Desert Plant) कहा जाता है।


3️⃣ जिम्नोस्पर्म्स का जीवन चक्र (Life Cycle of Gymnosperms)

✔ जिम्नोस्पर्म्स का जीवन चक्र “डिप्लो-हैप्लोन्टिक (Diplo-Haplontic)” होता है।
✔ इनमें स्पोरॉफाइट (Sporophyte) प्रमुख अवस्था होती है
✔ बीजाणुधानी (Sporangia) नर और मादा शंकु में पाई जाती हैं।
✔ निषेचन परागण (Pollination) द्वारा होता है, जो मुख्यतः वायु (Anemophilous) द्वारा होता है।
✔ निषेचन के बाद बीज बनता है, जो नग्न (Naked) होता है।

📌 NEET Fact:
✔ जिम्नोस्पर्म्स में परागण मुख्यतः वायु द्वारा होता है।
✔ इनमें निषेचन के लिए जल की आवश्यकता नहीं होती।


4️⃣ आर्थिक महत्व (Economic Importance of Gymnosperms)

🌲 लकड़ी (Timber): Cedrus, Pinus से इमारती लकड़ी मिलती है।
🌲 दवा (Medicinal Use): Ephedra से “Ephedrine” बनती है।
🌲 राल और टर्पेन्टाइन (Resin & Turpentine): Pinus से प्राप्त होते हैं।
🌲 कागज निर्माण (Paper Industry): Conifers की लकड़ी से कागज बनाया जाता है।


🔴 निष्कर्ष (Conclusion)

✔ जिम्नोस्पर्म्स नग्नबीजी पौधे हैं जिनमें बीज फल में संलग्न नहीं होते
✔ इनमें संवहनी ऊतक होते हैं लेकिन फूल नहीं होते
✔ इनमें स्पोरॉफाइट प्रमुख अवस्था होती है
✔ ये वनस्पति जगत में सपुष्पक पौधों के पूर्वज माने जाते हैं

एंजियोस्पर्म्स (Angiosperms) –

🔷 परिचय (Introduction)

एंजियोस्पर्म्स (Angiosperms) सबसे विकसित और सबसे बड़े पौधों का समूह है, जिन्हें सपुष्पक पौधे (Flowering Plants) भी कहा जाता है। ये वे पौधे हैं जिनके बीज फल के अंदर संलग्न (Enclosed Seeds in Fruit) होते हैं

📌 NEET में महत्वपूर्ण टॉपिक्स:
✔ एंजियोस्पर्म्स की विशेषताएँ (Characteristics of Angiosperms)
✔ वर्गीकरण (Classification) – एकबीजपत्री (Monocot) और द्विबीजपत्री (Dicot)
✔ जीवन चक्र (Life Cycle)
✔ आर्थिक महत्व (Economic Importance)


1️⃣ एंजियोस्पर्म्स की विशेषताएँ (Characteristics of Angiosperms)

  • इनमें फूल (Flowers) विकसित होते हैं, जो जनन अंग होते हैं।
  • इनके बीज फल के अंदर संलग्न (Enclosed Seeds in Fruit) होते हैं
  • इनमें डबल फर्टिलाइज़ेशन (Double Fertilization) होता है
  • इनमें संवहनी ऊतक (Vascular Tissues – Xylem & Phloem) अत्यधिक विकसित होते हैं
  • फ्लोएम में साथी कोशिकाएँ (Companion Cells) और सीव ट्यूब्स (Sieve Tubes) पाई जाती हैं
  • इनमें जलवाहिनी (Vessels) विकसित होती हैं, जो जिम्नोस्पर्म्स में अनुपस्थित होती हैं
  • ये द्विलिंगी (Bisexual) या एकलिंगी (Unisexual) हो सकते हैं
  • इनमें विविध प्रकार के परागण (Pollination) होते हैं – वायु, जल, कीट, पक्षी आदि

📌 NEET Fact:
डबल फर्टिलाइज़ेशन केवल एंजियोस्पर्म्स में पाया जाता है।
इनके बीज फल में संलग्न होते हैं, जो इन्हें जिम्नोस्पर्म्स से अलग बनाता है।


2️⃣ एंजियोस्पर्म्स का वर्गीकरण (Classification of Angiosperms)

एंजियोस्पर्म्स को दो प्रमुख वर्गों में विभाजित किया जाता है:

(A) एकबीजपत्री पौधे (Monocotyledons – Monocots)

  • बीज में केवल एक बीजपत्र (Single Cotyledon) होता है
  • पत्तियों में समांतर शिराविन्यास (Parallel Venation) होता है
  • जड़ें रेशेदार (Fibrous Root) होती हैं
  • तने में संवहनी ऊतक बिखरे हुए (Scattered Vascular Bundles) होते हैं
  • फूलों में पंखुड़ियों की संख्या 3 या 3 के गुणांक (Multiple of 3) में होती है

🔹 उदाहरण: Wheat (गेंहू), Maize (मक्का), Rice (चावल), Bamboo (बांस), Palm (ताड़), Banana (केला)

📌 NEET Fact:
Monocots में जड़ें रेशेदार (Fibrous) होती हैं।
Monocots में संवहनी ऊतक बिखरे (Scattered) होते हैं।


(B) द्विबीजपत्री पौधे (Dicotyledons – Dicots)

  • बीज में दो बीजपत्र (Two Cotyledons) होते हैं
  • पत्तियों में जालीनुमा शिराविन्यास (Reticulate Venation) होता है
  • जड़ें मुख्य जड़ (Tap Root) होती हैं
  • तने में संवहनी ऊतक वृत्ताकार (Ring Arrangement) में होते हैं
  • फूलों में पंखुड़ियों की संख्या 4 या 5 या उनके गुणांक (Multiple of 4 or 5) में होती है

🔹 उदाहरण: Mango (आम), Rose (गुलाब), Pea (मटर), Sunflower (सूरजमुखी), Neem (नीम)

📌 NEET Fact:
Dicots में जड़ें मुख्य जड़ (Tap Root) होती हैं।
Dicots में संवहनी ऊतक वृत्ताकार (Ring Arrangement) होते हैं।


3️⃣ एंजियोस्पर्म्स का जीवन चक्र (Life Cycle of Angiosperms)

✔ एंजियोस्पर्म्स का जीवन चक्र “डिप्लो-हैप्लोन्टिक (Diplo-Haplontic)” होता है
✔ इनमें स्पोरॉफाइट (Sporophyte) प्रमुख अवस्था होती है
✔ इनमें नर जनन अंग (Androecium – Stamen) और मादा जनन अंग (Gynoecium – Carpel) फूल में होते हैं
✔ निषेचन परागण (Pollination) द्वारा होता है, जो विभिन्न माध्यमों (वायु, जल, कीट) से हो सकता है
✔ इनमें डबल फर्टिलाइज़ेशन (Double Fertilization) होता है

📌 NEET Fact:
डबल फर्टिलाइज़ेशन केवल एंजियोस्पर्म्स में पाया जाता है।
परागण विभिन्न माध्यमों (वायु, जल, कीट, पक्षी) द्वारा हो सकता है।


4️⃣ आर्थिक महत्व (Economic Importance of Angiosperms)

🌿 खाद्यान्न (Food Crops): चावल, गेहूं, मक्का, जौ
🌿 फल (Fruits): आम, केला, अंगूर, संतरा
🌿 औषधीय पौधे (Medicinal Plants): नीम, तुलसी, अश्वगंधा
🌿 लकड़ी (Timber): साल, शीशम, महोगनी
🌿 तेल (Oilseeds): सरसों, मूंगफली, नारियल
🌿 रेशे (Fibers): कपास, जूट

📌 NEET Fact:
आयुर्वेदिक औषधियों में एंजियोस्पर्म्स का विशेष योगदान है।


🔴 निष्कर्ष (Conclusion)

एंजियोस्पर्म्स सबसे विकसित और विविध पौधों का समूह है।
इनमें फूल और फल विकसित होते हैं, जो इन्हें अन्य पौधों से अलग बनाते हैं।
इनका जीवन चक्र डिप्लो-हैप्लोन्टिक होता है।
ये पृथ्वी के लगभग सभी पारिस्थितिक तंत्रों में पाए जाते हैं और इनका आर्थिक महत्व बहुत अधिक है।


📌 NEET Revision Tips:
“Monocots – Parallel Venation, Fibrous Root” और “Dicots – Reticulate Venation, Tap Root” को याद रखें।
“Double Fertilization = Only in Angiosperms” यह कंफर्म कर लें।
परागण और बीज प्रसार के विभिन्न माध्यमों (वायु, जल, कीट) को समझ लें।

पशुओं का वर्गीकरण (Classification of Animals) –

🔷 परिचय (Introduction)

पशु वर्गीकरण (Animal Classification) जैव विविधता को व्यवस्थित करने का एक तरीका है, जिससे विभिन्न जीवों को उनके लक्षणों के आधार पर समूहों में बांटा जाता है। पशु जगत (Kingdom Animalia) के जीवों को दो प्रमुख समूहों में विभाजित किया जाता है:

  1. अकॉर्डेट्स (Chordates) – जिनमें रीढ़ की हड्डी (Notochord) होती है।
  2. नॉन-अकॉर्डेट्स (Non-Chordates) – जिनमें रीढ़ की हड्डी नहीं होती है।

📌 NEET में महत्वपूर्ण टॉपिक्स:
✔ नॉन-कॉर्डेट्स के प्रमुख संघ (Phyla of Non-Chordates)
✔ कॉर्डेट्स का वर्गीकरण (Classification of Chordates)
✔ प्रमुख लक्षण (Key Characteristics)
✔ महत्वपूर्ण उदाहरण (Important Examples)


🔵 1️⃣ नॉन-कॉर्डेट्स (Non-Chordates) – संघ स्तर तक (Up to Phylum Level)

नॉन-कॉर्डेट्स वे जीव होते हैं जिनमें कॉर्डा (Notochord) नहीं पाई जाती।

(A) पोरिफेरा (Phylum Porifera) – स्पंज (Sponges)

✔ शरीर छिद्रों (Ostia) से भरा होता है।
✔ पुनरुत्पादन (Regeneration) की क्षमता अधिक होती है।
✔ जलवाहिनी तंत्र (Canal System) पाया जाता है।
✔ लैंगिक व अलैंगिक दोनों प्रकार से जनन करते हैं।
उदाहरण: Sycon, Spongilla, Euplectella

📌 NEET Fact:
पोरिफेरा के जीवों को ‘स्पंज’ कहा जाता है।


(B) सिलेंट्रेटा (Phylum Cnidaria) – निधरुकी (Coelenterates)

✔ शरीर द्विस्तरीय (Diploblastic) होता है।
✔ नीडोसाइट्स (Cnidocytes) नामक विशेष कोशिकाएँ होती हैं, जो डंक मारने का कार्य करती हैं।
✔ पाचन तंत्र अपूर्ण (Incomplete Digestive System) होता है।
✔ दो रूप पाए जाते हैं – पॉलीप (Polyp) और मेडूसा (Medusa)
उदाहरण: Hydra, Jellyfish (Aurelia), Sea Anemone (Adamsia)

📌 NEET Fact:
नीडोसाइट्स (Cnidocytes) केवल सिलेंट्रेटा में पाई जाती हैं।


(C) प्लेटीहेल्मिंथीस (Phylum Platyhelminthes) – फ्लैटवर्म (Flatworms)

✔ शरीर त्रिस्तरीय (Triploblastic) होता है।
✔ शरीर चपटा (Dorsoventrally Flattened) होता है।
✔ पाचन तंत्र अपूर्ण होता है।
✔ अधिकतर परजीवी (Parasitic) होते हैं।
उदाहरण: Liver Fluke (Fasciola), Tapeworm (Taenia), Planaria

📌 NEET Fact:
Taenia solium (Tape worm) मनुष्यों में परजीवी होता है।


(D) नेमाटोडा (Phylum Nematoda) – राउंडवर्म (Roundworms)

✔ शरीर बेलनाकार (Cylindrical) होता है।
✔ छिद्रित पाचन तंत्र (Complete Digestive System) होता है।
✔ इनमें अलग-अलग लिंग (Dioecious) होते हैं।
✔ कुछ परजीवी होते हैं और कुछ मुक्त-जीवी।
उदाहरण: Ascaris (Roundworm), Wuchereria (Filarial Worm), Ancylostoma (Hookworm)

📌 NEET Fact:
Wuchereria बुहारी रोग (Filariasis) का कारण बनता है।


(E) ऐनेलिडा (Phylum Annelida) – रिंग वाले कीड़े (Segmented Worms)

✔ शरीर खंडीय (Segmented) होता है।
✔ परिसंचरण तंत्र बंद (Closed Circulatory System) होता है।
✔ श्वसन त्वचा या गिल्स द्वारा होता है।
उदाहरण: Earthworm (Pheretima), Leech (Hirudinaria), Nereis

📌 NEET Fact:
Pheretima (Earthworm) को ‘किसान का मित्र’ कहा जाता है।


(F) आर्थ्रोपोडा (Phylum Arthropoda) – संधिपाद (Joint-legged Animals)

✔ शरीर तीन भागों में विभाजित – सिर, वक्ष, उदर।
✔ जोड़ीदार पैर (Jointed Appendages) होते हैं।
✔ सबसे बड़ा संघ (Largest Phylum)।
उदाहरण: Cockroach, Butterfly, Spider, Crab, Scorpion

📌 NEET Fact:
आर्थ्रोपोडा पृथ्वी पर सबसे बड़ा संघ है।


(G) मोलस्का (Phylum Mollusca) – कोमल शरीर वाले जीव (Soft-Bodied Animals)

✔ शरीर तीन भागों में विभाजित – सिर, पेट, पैर।
✔ खोल (Shell) से ढका होता है।
उदाहरण: Pila (Apple Snail), Octopus, Unio (Freshwater Mussel)

📌 NEET Fact:
मोलस्का में ‘रेडूला’ (Radula) नामक संरचना भोजन को खुरचने का कार्य करती है।


(H) एकिनोडर्मेटा (Phylum Echinodermata) – कांटेदार त्वचा वाले जीव (Spiny-Skinned Animals)

✔ जल संवहनी तंत्र (Water Vascular System) होता है।
✔ शरीर पंचगुणित सममित (Pentamerous Symmetry) होता है।
उदाहरण: Starfish (Asterias), Sea Cucumber (Holothuria), Sea Urchin (Echinus)

📌 NEET Fact:
जल संवहनी तंत्र (Water Vascular System) केवल एकिनोडर्मेटा में पाया जाता है।


🔴 2️⃣ कॉर्डेट्स (Chordates) – वर्ग स्तर तक (Up to Class Level)

✔ नॉटोकॉर्ड (Notochord) पाई जाती है।
✔ तंत्रिका तंत्र पृष्ठीय (Dorsal Nervous System) होता है।
✔ परिसंचरण तंत्र बंद (Closed Circulatory System) होता है।

(A) मत्स्य (Pisces) – मछलियाँ

✔ जल में रहने वाले जीव।
✔ गलफड़े (Gills) द्वारा श्वसन।
उदाहरण: Shark, Rohu, Catfish


(B) उभयचर (Amphibia) – जल और स्थल दोनों में रहने वाले

✔ फेफड़े और त्वचा से श्वसन।
✔ अंडे पानी में देते हैं।
उदाहरण: Frog, Salamander


(C) सरीसृप (Reptilia) – रेंगने वाले जीव

✔ शुष्क त्वचा।
✔ फेफड़ों से श्वसन।
उदाहरण: Snake, Turtle, Lizard


(D) पक्षी (Aves) – उड़ने वाले जीव

✔ शरीर पंखों से ढका।
✔ हल्की हड्डियाँ।
उदाहरण: Crow, Parrot, Eagle


(E) स्तनधारी (Mammalia) – दूध पिलाने वाले जीव

✔ बाल और स्तन ग्रंथियाँ।
✔ चार कक्षीय हृदय।
उदाहरण: Human, Cow, Dog, Lion


📌 NEET Tips:
Chordates में Notocord पाई जाती है।
Mammals के पास बाल और स्तन ग्रंथियाँ होती हैं।

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