परिचय –
बच्चों की आँत में धागा कृमि (thread worm) एवं गोल कृमि (Round worms) आदि पाये जाते हैं। धागा कृमि को केंचुए का चचेरा भाई कहा जाता है।

रोग के कारण
यह अस्वच्छ वातावरण में रहने के कारण होते हैं। यदि मल फेंकने की व्यवस्था दूषित है तो मक्खी-मच्छर इन्हें वहाँ से भोजन तक ले जाते हैं एवं बिना धुले हुए फल, सब्जी बिना ढके भोजन को खाने से यह आँतों तक पहुँच जाते हैं। दूषित जल के इस्तेमाल से भी यह फैलते हैं। धागा कृमि एक आधे से एक सेन्टीमीटर तक
लम्बा, सफेद व सिलाई के धागे जितना मोटा होता है। यह बालक की आँत (बड़ी) में रहते हैं और रात के समय अण्डे देने के लिये गुदा द्वार तक पहुँचते हैं। यह अण्डे बच्चे के हाथ द्वारा मुँह तक या जिन खिलौनों से वह खेलता है या जो भोजन खाता है, हाथ से खिलोने व भोजन तक अण्डे पहुँचकर बच्चे के मुँह में चले जाते हैं। अण्डे से लारवा निकलते हैं जो 2-6 सप्ताहों के भीतर कीड़े में विकसित हो जाते हैं।

रोग के लक्षण
Thread worm (धागा कृमि) होने पर बच्चे में थोड़े बहुत ही लक्षण देखने को मिलते हैं। बच्चा रात के समय गुदा व जननांगों में खुजली की शिकायत करता है। कई बार बच्चा अचानक ही बिस्तर पर पेशाब करना शुरू कर देता है। यदि कृमि काफी मात्रा में बढ़ जायें तो बच्चे के पेट में मरोड़ उठने लगती है। कई बार यह कृमि लड़कियों में योनि व मूत्रनाल के सहारे मूत्राशय तक पहुँच कर मूत्राशय व योनि में सूजन पैदा कर देते हैं।
अक्सर रात के वक्त जब बच्चा सो रहा हो या सुबह सोकर उठा हो तब गुदा स्थान को देखने से कृमि देखते नजर आते हैं। परन्तु रोशनी पड़ते ही यह वापस गुदा के अन्दर छिप जाते हैं। इसलिये शीघ्रता से जाँचना आवश्यक है। कई बार बच्चे के मल में भी कृमि रेंगते नजर आते हैं।
आँतों में कृमि रोग में बच्चे को भूख बहुत लगती है। वह जितना खाता है उतनी उसकी वृद्धि नहीं होती है। अन्त में भूख लगनी भी बन्द हो जाती है। बच्चा अनीमिक तथा थका सा लगता है। त्वचा पर चकत्ते और बार-बार एलर्जी की शिकायत होती है। Round worm (गोल कृमि)के अधिक संख्या में बढ़ जाने से आँतों में रुकावट आ जाती है और पीलिया भी हो जाता है।
