. पाचन और अवशोषण (Digestion and Absorption)
मानव पाचन तंत्र का मुख्य कार्य भोजन को पचाना और शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित करना है। यह प्रक्रिया मुंह से लेकर गुदा तक कई अंगों द्वारा नियंत्रित होती है, जिनमें पाचन एंजाइम्स का भी योगदान होता है।
1️⃣ मानव पाचन तंत्र (Human Digestive System)
मानव पाचन तंत्र में मुंह, अन्ननली, पेट, छोटी आंत, बड़ी आंत, और गुदा शामिल होते हैं। यह तंत्र भोजन को पचाता है और उसमें से पोषक तत्वों को अवशोषित करता है।
पाचन अंग (Digestive Organs):
- मुंह (Mouth): यहाँ भोजन को चबाकर लार के द्वारा पचाने की प्रक्रिया शुरू होती है।
- अन्ननली (Esophagus): यह भोजन को मुंह से पेट तक ले जाती है।
- पेट (Stomach): यहाँ भोजन का रासायनिक पाचन होता है, जिसमें एंजाइम और हाइड्रोक्लोरिक एसिड शामिल होते हैं।
- छोटी आंत (Small Intestine): यह स्थान पोषक तत्वों के अवशोषण का मुख्य अंग है।
- बड़ी आंत (Large Intestine): यहाँ पानी और खनिजों का अवशोषण होता है।
- गुदा (Anus): यह अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का कार्य करता है।
2️⃣ एंजाइम और पाचन (Enzymes & Digestion)
पाचन की प्रक्रिया में एंजाइमों का महत्वपूर्ण योगदान है। ये एंजाइम भोजन के विभिन्न घटकों को तोड़कर शरीर द्वारा उपयोगी पोषक तत्वों में परिवर्तित करते हैं।
पाचन एंजाइम्स (Digestive Enzymes):
- कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates):
- अमाइलेज (Amylase): यह मुंह में लार द्वारा शुरू होता है और छोटी आंत में सक्रिय रहता है, जो स्टार्च को शर्करा में परिवर्तित करता है।
- प्रोटीन (Proteins):
- पेप्सिन (Pepsin): यह पेट में सक्रिय रहता है और प्रोटीन को छोटे अंशों में तोड़ता है।
- वसा (Fats):
- लिपेज (Lipase): यह छोटी आंत में सक्रिय रहता है और वसा को फैटी एसिड और ग्लिसरोल में तोड़ता है।
3️⃣ पाचन प्रक्रिया (Process of Digestion)
पाचन की प्रक्रिया विभिन्न अंगों में शुरू होती है और अंत में छोटी आंत में पोषक तत्वों का अवशोषण होता है:
- मुंह में पाचन: भोजन को काटकर, चबाकर और लार के साथ मिलाकर आसानी से पचाने योग्य बनाया जाता है।
- पेट में पाचन: पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड और एंजाइम पेप्सिन द्वारा प्रोटीन का पाचन होता है।
- छोटी आंत में पाचन और अवशोषण: यहाँ एंजाइमों द्वारा पाचन पूरा होता है और पोषक तत्वों को रक्त में अवशोषित कर लिया जाता है।
- बड़ी आंत: यहाँ पानी और खनिजों का अवशोषण होता है, जिससे शरीर से अपशिष्ट पदार्थ निकल जाते हैं।
4️⃣ पाचन और अवशोषण का कार्य (Functions of Digestion and Absorption)
- पोषक तत्वों का अवशोषण: छोटी आंत में वसा, कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, विटामिन्स और खनिजों का अवशोषण होता है।
- ऊर्जा प्राप्ति: पाचन के बाद, प्राप्त पोषक तत्व शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं।
- अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन: पाचन के बाद बची अपशिष्ट पदार्थों को बड़ी आंत में खींच लिया जाता है और गुदा से बाहर निकाल दिया जाता है।
5️⃣ महत्वपूर्ण प्रश्न NEET दृष्टिकोण से (Important NEET Questions)
Q1: पाचन के लिए मुख्य एंजाइम कौन से होते हैं? उत्तर: अमाइलेज (Carbohydrates), पेप्सिन (Proteins), लिपेज (Fats)
Q2: भोजन का अवशोषण मुख्य रूप से कहाँ होता है? उत्तर: छोटी आंत (Small Intestine)
Q3: पेट में पाचन में कौन सा एंजाइम मदद करता है? उत्तर: पेप्सिन (Pepsin)
Q4: वसा का पाचन कौन से एंजाइम द्वारा होता है? उत्तर: लिपेज (Lipase)
श्वसन और गैसों का आदान-प्रदान (Breathing and Exchange of Gases)
श्वसन तंत्र का कार्य शरीर में ऑक्सीजन का प्रवेश और कार्बन डाइऑक्साइड का निष्कासन करना है। यह प्रक्रिया श्वसन अंगों द्वारा की जाती है, जिनमें फेफड़े, श्वसन नलिकाएँ, और श्वसन मांसपेशियाँ शामिल होती हैं।
1️⃣ मानव श्वसन तंत्र (Human Respiratory System)
मानव श्वसन तंत्र में नाक, श्वसन नलिका, स्वरयंत्र, श्वास नलिका, ब्रॉन्की और फेफड़े शामिल होते हैं। यह तंत्र हवा में उपस्थित ऑक्सीजन को फेफड़ों में लाकर उसे रक्त में अवशोषित करता है, और कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर से बाहर निष्कासित करता है।
श्वसन अंग (Respiratory Organs):
- नाक (Nose): यहाँ हवा को शुद्ध किया जाता है और नमी दी जाती है।
- स्वरयंत्र (Larynx): यह आवाज का निर्माण करता है और श्वसन नलिका को खोलता है।
- श्वसन नलिका (Trachea): यह वायुमार्ग का मुख्य हिस्सा है, जो हवा को फेफड़ों तक पहुँचाता है।
- ब्रॉन्की (Bronchi): यह श्वसन नलिका से हवा को फेफड़ों के विभिन्न हिस्सों में फैलाता है।
- फेफड़े (Lungs): यहाँ गैसों का आदान-प्रदान होता है – ऑक्सीजन का अवशोषण और कार्बन डाइऑक्साइड का निष्कासन।
2️⃣ श्वसन की प्रक्रिया (Mechanism of Breathing)
श्वसन की प्रक्रिया में दो मुख्य चरण होते हैं: प्रेरणा (Inhalation) और निष्कासन (Exhalation)। यह प्रक्रिया श्वसन मांसपेशियों के संकुचन और विश्राम के द्वारा नियंत्रित होती है।
प्रेरणा (Inhalation):
- श्वसन मांसपेशियाँ, विशेष रूप से डायाफ्राम (diaphragm), संकुचित होती हैं और फेफड़ों में हवा को प्रवेश कराती हैं।
- छाती का आकार बढ़ता है, जिससे फेफड़ों में दबाव कम होता है और हवा भीतर खींची जाती है।
निष्कासन (Exhalation):
- श्वसन मांसपेशियाँ आराम करती हैं, जिससे छाती सिकुड़ती है और हवा बाहर निकल जाती है।
- फेफड़ों में दबाव बढ़ता है और हवा बाहर जाती है।
3️⃣ ऑक्सीजन का परिवहन (Oxygen Transport)
ऑक्सीजन को रक्त में स्थित हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) द्वारा परिवहन किया जाता है। जब रक्त में ऑक्सीजन मिलता है, तो यह ऑक्सीहिमोग्लोबिन (Oxyhemoglobin) के रूप में जुड़ता है, जो शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन पहुँचाता है।
ऑक्सीहिमोग्लोबिन वक्र (Oxyhemoglobin Curve):
- ऑक्सीहिमोग्लोबिन वक्र का स्वरूप यह बताता है कि कैसे रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा का प्रभाव हीमोग्लोबिन की संतृप्ति (saturation) पर होता है।
- जैसे-जैसे रक्त में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है, हीमोग्लोबिन की संतृप्ति भी बढ़ती है।
- यह वक्र यह भी दर्शाता है कि जब शरीर में ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है (जैसे सक्रिय मांसपेशियों में), तो ऑक्सीजन को अधिक आसानी से छोड़ा जाता है।
4️⃣ गैसों का आदान-प्रदान (Exchange of Gases)
गैसों का आदान-प्रदान मुख्य रूप से फेफड़ों में होता है, जहां ऑक्सीजन रक्त में अवशोषित होती है और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकलता है।
- ऑक्सीजन का अवशोषण: श्वसन तंत्र में ऑक्सीजन फेफड़ों से रक्त में प्रवेश करती है।
- कार्बन डाइऑक्साइड का निष्कासन: रक्त से कार्बन डाइऑक्साइड फेफड़ों में पहुँचकर बाहर निकलती है।
5️⃣ महत्वपूर्ण प्रश्न NEET दृष्टिकोण से (Important NEET Questions)
Q1: श्वसन की प्रक्रिया में किस अंग का मुख्य कार्य होता है? उत्तर: श्वसन मांसपेशियों (Diaphragm) और फेफड़े (Lungs)
Q2: ऑक्सीजन का परिवहन किसके द्वारा होता है? उत्तर: ऑक्सीजन का परिवहन हीमोग्लोबिन द्वारा होता है।
Q3: ऑक्सीहिमोग्लोबिन वक्र क्या दर्शाता है? उत्तर: यह रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा और हीमोग्लोबिन की संतृप्ति के बीच संबंध को दर्शाता है।
Q4: श्वसन में गैसों का आदान-प्रदान कहाँ होता है? उत्तर: यह गैसों का आदान-प्रदान फेफड़ों में होता है।
शरीर के तरल और परिसंचरण (Body Fluids and Circulation)
मानव शरीर में रक्त और अन्य तरल पदार्थों का कार्य पोषक तत्वों, गैसों और अपशिष्ट उत्पादों को शरीर के अंगों तक पहुंचाना है। यह प्रक्रिया हृदय, रक्त वाहिकाओं और रक्त से मिलकर होती है।
1️⃣ मानव परिसंचरण तंत्र (Human Circulatory System)
मानव परिसंचरण तंत्र में रक्त, हृदय और रक्त वाहिकाओं का नेटवर्क शामिल है। यह तंत्र शरीर के विभिन्न अंगों तक पोषक तत्व, ऑक्सीजन और हार्मोन पहुँचाने का कार्य करता है, साथ ही अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालता है।
मुख्य घटक (Main Components):
- हृदय (Heart): यह अंग रक्त को पंप करता है और शरीर के विभिन्न भागों में रक्त की आपूर्ति करता है। इसमें चार कक्ष होते हैं:
- दो आर्थिया (Atria): रक्त प्राप्त करते हैं।
- दो वेंट्रिकल्स (Ventricles): रक्त को पंप करते हैं।
- रक्त वाहिकाएँ (Blood Vessels): ये रक्त को शरीर के विभिन्न भागों में ले जाती हैं और वापस लाती हैं।
- धमनियाँ (Arteries): रक्त को हृदय से शरीर के अंगों तक ले जाती हैं।
- शिराएँ (Veins): रक्त को शरीर से हृदय में वापस लाती हैं।
- केशिकाएँ (Capillaries): यहाँ गैसों का आदान-प्रदान होता है, जैसे ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड।
2️⃣ परिसंचरण के प्रकार (Types of Circulation)
- सिस्टमेटिक परिसंचरण (Systemic Circulation): हृदय से रक्त शरीर के अंगों में जाता है और फिर शिराओं द्वारा हृदय में वापस आता है।
- पल्मोनरी परिसंचरण (Pulmonary Circulation): रक्त फेफड़ों में जाता है, जहाँ गैसों का आदान-प्रदान होता है।
3️⃣ रक्त (Blood)
रक्त एक तरल पदार्थ है, जो शरीर के विभिन्न अंगों में पोषक तत्व, गैसें, और हार्मोन भेजता है। रक्त का मुख्य घटक प्लाज्मा (Plasma) है, और इसमें रक्त कण भी होते हैं।
रक्त के घटक (Components of Blood):
- प्लाज्मा (Plasma): यह 90% पानी और अन्य पोषक तत्वों, हार्मोन, और अपशिष्ट पदार्थों से बना होता है।
- लाल रक्त कण (RBCs): ये कोशिकाएँ रक्त में ऑक्सीजन का परिवहन करती हैं।
- सफेद रक्त कण (WBCs): ये शरीर की रक्षा करती हैं, जैसे बैक्टीरिया और वायरस से।
- प्लेटलेट्स (Platelets): रक्त के थक्के (clots) बनाने में मदद करती हैं।
4️⃣ रक्त समूह (Blood Groups)
रक्त समूह रक्त की संरचना और कोशिकाओं के आधार पर होते हैं। प्रमुख रक्त समूह प्रणाली ABO और Rh प्रणाली से निर्धारित होती है।
ABO रक्त समूह (ABO Blood Group):
- A समूह: A एंटीजन और Anti-B एंटीबॉडी।
- B समूह: B एंटीजन और Anti-A एंटीबॉडी।
- AB समूह: A और B दोनों एंटीजन, कोई एंटीबॉडी नहीं।
- O समूह: कोई एंटीजन नहीं, Anti-A और Anti-B दोनों एंटीबॉडी।
Rh रक्त समूह (Rh Blood Group):
- Rh+ में Rh एंटीजन होता है, जबकि Rh- में नहीं होता।
5️⃣ रक्त का थक्कीकरण (Coagulation of Blood)
रक्त वाहिकाओं में चोट लगने पर रक्त का थक्कीकरण प्रक्रिया शुरू होती है, जिससे रक्तस्राव रुकता है।
थक्के बनाने की प्रक्रिया (Coagulation Process):
- प्लेटलेट्स (Platelets) सक्रिय होती हैं और कोगुलेटरी प्रोटीन (Coagulation proteins) को सक्रिय करती हैं।
- फाइब्रिन (Fibrin) का निर्माण होता है, जो रक्त को जाल की तरह बांधता है और थक्का बनाता है।
- यह थक्का रक्तस्राव को रोकता है और घाव को भरने में मदद करता है।
6️⃣ महत्वपूर्ण प्रश्न NEET दृष्टिकोण से (Important NEET Questions)
Q1: हृदय के चार कक्षों के नाम बताइए।
उत्तर: दाहिना आर्थियम, बायां आर्थियम, दाहिना वेंट्रिकल, बायां वेंट्रिकल।
Q2: रक्त में कौन-कौन से घटक होते हैं और उनका कार्य क्या है?
उत्तर: RBCs (ऑक्सीजन परिवहन), WBCs (रक्षा), प्लेटलेट्स (थक्के बनाना), प्लाज्मा (पोषक तत्व और अपशिष्ट पदार्थों का परिवहन)।
Q3: ABO रक्त समूह प्रणाली में कौन-कौन से रक्त समूह होते हैं?
उत्तर: A, B, AB, O।
Q4: रक्त के थक्कीकरण की प्रक्रिया के प्रमुख चरण क्या हैं?
उत्तर: प्लेटलेट्स सक्रिय होना, कोगुलेटरी प्रोटीन सक्रिय होना, फाइब्रिन का निर्माण।
उत्सर्जन उत्पाद और उनका उन्मूलन (Excretory Products and Their Elimination)
मानव शरीर में उत्सर्जन प्रणाली का मुख्य कार्य अपशिष्ट उत्पादों को शरीर से बाहर निकालना है। यह प्रक्रिया शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त रखने में मदद करती है और शरीर के भीतर जल, आयन और अन्य पदार्थों का संतुलन बनाए रखती है। प्रमुख उत्सर्जन अंग किडनी (Kidney) हैं।
1️⃣ मानव उत्सर्जन तंत्र (Human Excretory System)
मानव उत्सर्जन तंत्र में किडनी, यूरीटर, गुर्दा मूत्राशय, और यूरेथ्रा शामिल हैं।
मुख्य घटक (Main Components):
- किडनी (Kidney): यह अंग शरीर से अपशिष्ट उत्पादों को रक्त से निकालता है और मूत्र (Urine) का निर्माण करता है। प्रत्येक किडनी में लाखों नेफ्रॉन्स (Nephrons) होते हैं, जो मूत्र बनाने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
- यूरीटर (Ureter): यह नलिका किडनी से मूत्र को मूत्राशय (Bladder) तक पहुंचाती है।
- मूत्राशय (Bladder): मूत्राशय मूत्र को संग्रहित करता है।
- यूरेथ्रा (Urethra): यह नलिका मूत्र को मूत्राशय से बाहर निकालने का कार्य करती है।
2️⃣ किडनी संरचना और कार्य (Kidney Structure and Function)
किडनी संरचना (Structure of Kidney):
- किडनी में कॉर्टेक्स (Cortex), मेडुला (Medulla), और पायलस (Pylus) होते हैं।
- नेफ्रॉन (Nephron) किडनी का कार्यात्मक इकाई है। प्रत्येक किडनी में लगभग 10 लाख नेफ्रॉन्स होते हैं, जो मूत्र का निर्माण करते हैं।
किडनी का कार्य (Function of Kidney):
- किडनी का मुख्य कार्य रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को निकालना और मूत्र का निर्माण करना है। यह प्रक्रिया दो चरणों में होती है:
- ग्लोमेर्युलस (Glomerulus): रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करता है।
- ट्यूब्यूल्स (Tubules): ये उपयुक्त पदार्थों को फिर से अवशोषित करते हैं और अपशिष्ट पदार्थों को मूत्र के रूप में बाहर निकालते हैं।
3️⃣ मूत्र निर्माण (Urine Formation)
मूत्र निर्माण तीन प्रमुख चरणों में होता है:
- ग्लोमेर्युलर निस्सारण (Glomerular Filtration): रक्त को किडनी में प्रवेश करते समय ग्लोमेर्युलस द्वारा फिल्टर किया जाता है, जिससे पानी, ग्लूकोज, नमक, और अन्य अपशिष्ट पदार्थों का मिश्रण बनता है।
- रिसोर्पशन (Reabsorption): ट्यूब्यूल्स के माध्यम से रक्त में वापस लौटने वाले पदार्थों (जैसे पानी, नमक और ग्लूकोज) को फिर से अवशोषित किया जाता है।
- स्राव (Secretion): यह प्रक्रिया तब होती है जब अतिरिक्त अपशिष्ट पदार्थ और आयन ट्यूब्यूल्स में प्रवाहित होते हैं, जिससे मूत्र बनता है।
4️⃣ मूत्र का नियमन (Urine Regulation)
मूत्र निर्माण और शरीर में पानी का संतुलन एडवेल्स्ट्रोन (Aldosterone) और एंटी-डाय्युरेटिक हार्मोन (ADH) द्वारा नियंत्रित होते हैं:
- ADH (Antidiuretic Hormone): यह हार्मोन किडनी को अधिक पानी अवशोषित करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे मूत्र का निष्कासन कम होता है।
- एडवेल्स्ट्रोन (Aldosterone): यह हार्मोन नमक के अवशोषण को बढ़ाता है, जिससे शरीर में जल और नमक का संतुलन बनाए रहता है।
5️⃣ महत्वपूर्ण प्रश्न NEET दृष्टिकोण से (Important NEET Questions)
Q1: किडनी के कार्य क्या होते हैं?
उत्तर: रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को निकालना, मूत्र का निर्माण करना, शरीर में जल और आयनों का संतुलन बनाए रखना।
Q2: नेफ्रॉन की संरचना के मुख्य भाग कौन से होते हैं?
उत्तर: ग्लोमेर्युलस, बोमन कैप्सूल, प्रोक्सिमल कन्वॉल्यूटेड ट्यूब्यूल (PCT), लूप ऑफ हेनले, डिस्टल कन्वॉल्यूटेड ट्यूब्यूल (DCT)।
Q3: मूत्र निर्माण के तीन प्रमुख चरण कौन से होते हैं?
उत्तर: ग्लोमेर्युलर निस्सारण, रिसोर्पशन, स्राव।
Q4: मूत्र के नियमन में कौन से हार्मोन शामिल हैं?
उत्तर: ADH (Antidiuretic Hormone), एडवेल्स्ट्रोन (Aldosterone)।
गति और चाल (Locomotion and Movement)
मानव शरीर में गति और चाल के लिए विभिन्न तंत्र जिम्मेदार होते हैं। यह तंत्र शरीर के विभिन्न अंगों को स्थानांतरित करने और पर्यावरण के साथ इंटरएक्ट करने में मदद करते हैं। लोकोमोटिव (movement) प्रक्रिया शरीर की संरचना, अंगों और तंत्रिका तंत्र पर निर्भर होती है।
1️⃣ गति के प्रकार (Types of Movements)
a. अमीबॉयड गति (Amoeboid Movement):
- यह गति अमीबा जैसे एककोशिकीय जीवों में देखी जाती है।
- इसमें कोशिका की साइटोपालाज्मिक प्रवाह (cytoplasmic flow) के कारण शरीर के एक हिस्से में फैलाव और सिकुड़न होती है, जिससे वह स्थान बदलता है।
- मानव शरीर में, यह गति सफेद रक्त कोशिकाओं (WBCs) में देखी जाती है, जहां ये संक्रमण स्थल पर जाते हैं।
b. सिलियरी गति (Ciliary Movement):
- यह गति सिलिया (छोटे बाल जैसी संरचनाओं) द्वारा होती है जो कोशिका की सतह पर स्थित होते हैं।
- यह गति मानव श्वसन प्रणाली में पाई जाती है, जहां सिलिया श्वसन मार्ग से म्यूकस और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है।
c. मांसपेशीय गति (Muscular Movement):
- मांसपेशियों द्वारा उत्पन्न गति सबसे सामान्य प्रकार की गति है।
- इसमें स्ट्राइएटेड (Striated) और स्मूथ (Smooth) मांसपेशियाँ शामिल होती हैं।
- स्ट्राइएटेड मांसपेशियाँ (Skeletal Muscles) शरीर की गति के लिए जिम्मेदार होती हैं।
- स्मूथ मांसपेशियाँ (Smooth Muscles) आंतरिक अंगों (जैसे आंत) में गति उत्पन्न करती हैं।
2️⃣ मानव कंकाल तंत्र (Human Skeletal System)
मानव कंकाल तंत्र शरीर के समर्थन (support), संरचना (structure), और सुरक्षा (protection) के लिए जिम्मेदार होता है। यह तंत्र मांसपेशियों के साथ मिलकर शरीर की गति में सहायता करता है। कंकाल तंत्र में दो मुख्य भाग होते हैं:
a. धड़ कंकाल (Axial Skeleton):
- इसमें खोपड़ी, रीढ़ की हड्डी, और पसलियां (ribs) शामिल हैं।
- यह शरीर के केंद्रीय भाग को बनाता है और आंतरिक अंगों की सुरक्षा करता है।
b. अपर कंकाल (Appendicular Skeleton):
- इसमें हाथों और पैरों की हड्डियाँ और जोड़ों की संरचना शामिल है।
- यह तंत्र शरीर की गति के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार है।
3️⃣ जोड़ (Joints)
जोड़ शरीर के विभिन्न हड्डियों के बीच वह बिंदु होते हैं जहाँ गति होती है। जोड़ मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं:
- साधारण जोड़ (Fibrous Joints): ये जोड़ गतिहीन होते हैं, जैसे खोपड़ी की हड्डियाँ।
- नमनीय जोड़ (Cartilaginous Joints): इनमें हल्की गति होती है, जैसे रीढ़ की हड्डियाँ।
- गति वाले जोड़ (Synovial Joints): ये जोड़ सबसे अधिक गति प्रदान करते हैं, जैसे घुटने, कोहनी, और कंधा।
4️⃣ कंकाल तंत्र के विकार (Skeletal System Disorders)
कंकाल तंत्र से जुड़ी कई समस्याएँ और विकार हो सकते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
a. ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis):
- यह एक सामान्य विकार है जिसमें जोड़ों में सूजन और दर्द होता है।
- यह आमतौर पर बुजुर्गों में होता है और इसमें हड्डियाँ और उपास्थि क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
b. रूमेटॉयड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis):
- यह एक ऑटोइम्यून रोग है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही जोड़ो पर हमला करती है।
- इससे जोड़ों में सूजन, दर्द, और विकृति हो सकती है।
c. ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis):
- इसमें हड्डियाँ कमजोर और भंगुर हो जाती हैं, जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
- यह महिलाओं में अधिक आम है, खासकर रजोनिवृत्ति के बाद।
5️⃣ महत्वपूर्ण प्रश्न NEET दृष्टिकोण से (Important NEET Questions)
Q1: अमीबॉयड गति का उदाहरण दें।
उत्तर: सफेद रक्त कोशिकाओं (WBCs) में संक्रमण स्थल पर जाकर संक्रमण से लड़ने की प्रक्रिया।
Q2: मानव कंकाल तंत्र के दो प्रमुख भाग कौन से हैं?
उत्तर: धड़ कंकाल (Axial Skeleton) और अपर कंकाल (Appendicular Skeleton)।
Q3: जोड़ों के प्रकार कौन से होते हैं?
उत्तर: साधारण जोड़ (Fibrous Joints), नमनीय जोड़ (Cartilaginous Joints), गति वाले जोड़ (Synovial Joints)।
Q4: ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटॉयड आर्थराइटिस में क्या अंतर है?
उत्तर: ऑस्टियोआर्थराइटिस उम्र बढ़ने के कारण होता है और रूमेटॉयड आर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून रोग है।
तंत्रिका नियंत्रण और समन्वय (Neural Control and Coordination)
मानव शरीर में तंत्रिका तंत्र (nervous system) शरीर के विभिन्न अंगों और प्रणालियों के बीच संदेशों का आदान-प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह शरीर के कार्यों को नियंत्रित करता है और बाहरी वातावरण से अनुकूल प्रतिक्रिया करता है।
1️⃣ मानव तंत्रिका तंत्र (Human Nervous System)
तंत्रिका तंत्र दो प्रमुख भागों में विभाजित होता है:
a. केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System – CNS):
- इसमें मस्तिष्क (Brain) और रीढ़ की हड्डी (Spinal Cord) शामिल हैं।
- यह तंत्रिका तंत्र का नियंत्रण केंद्र होता है और पूरे शरीर में संदेशों का प्रसारण करता है।
- मस्तिष्क: सोचने, महसूस करने, याद रखने और निर्णय लेने का कार्य करता है।
- रीढ़ की हड्डी: यह मस्तिष्क और शरीर के अन्य भागों के बीच संदेशों को संचारित करती है।
b. परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System – PNS):
- इसमें तंत्रिका (nerves) शामिल हैं जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से अंगों और अन्य शरीर के हिस्सों को जोड़ती हैं।
- यह तंत्रिका तंत्र का बाहरी नेटवर्क होता है।
2️⃣ रिफ्लेक्स क्रिया (Reflex Action)
रिफ्लेक्स क्रिया एक त्वरित, स्वचालित प्रतिक्रिया होती है, जो बिना मस्तिष्क के सक्रिय होने के होती है। इसमें संदेश केवल रीढ़ की हड्डी तक पहुंचते हैं और वहां से तुरंत प्रतिक्रिया होती है। इसका उद्देश्य शरीर को खतरों से बचाना होता है।
उदाहरण:
जब हम अपने हाथ को गर्म वस्तु से छूते हैं, तो तुरंत हाथ को हटा लेते हैं। यह प्रक्रिया मस्तिष्क की बजाय रीढ़ की हड्डी से नियंत्रित होती है।
3️⃣ साइनैप्स (Synapse)
साइनैप्स वह स्थान है जहां दो तंत्रिका कोशिकाओं (neurons) के बीच संदेशों का आदान-प्रदान होता है। यह एक रासायनिक कनेक्शन होता है जहां एक न्यूरोट्रांसमीटर (neurotransmitter) संदेशों को एक तंत्रिका कोशिका से दूसरी तंत्रिका कोशिका तक भेजता है।
साइनैप्स का कार्य:
- यह संदेशों के ट्रांसमिशन में मदद करता है, जिससे तंत्रिका कोशिकाएँ एक-दूसरे से संवाद करती हैं।
- उदाहरण: सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर, तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संचार को नियंत्रित करते हैं।
4️⃣ न्यूरॉन (Neuron)
न्यूरॉन तंत्रिका तंत्र की मूल कार्यात्मक इकाई होती है। यह तंत्रिका संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाता है। न्यूरॉन का प्रमुख कार्य संचार है।
न्यूरॉन के मुख्य भाग:
- डेंड्राइट (Dendrite): संदेश प्राप्त करता है।
- सेल बॉडी (Cell Body): यह न्यूरॉन का मुख्य भाग होता है, जहां से संदेश उत्पन्न होते हैं।
- एक्सोन (Axon): यह संदेश को न्यूरॉन से अन्य कोशिकाओं तक पहुंचाता है।
- एक्सोन टर्मिनल (Axon Terminal): यहां से संदेश अगली कोशिका तक भेजा जाता है।
5️⃣ महत्वपूर्ण प्रश्न NEET दृष्टिकोण से (Important NEET Questions)
Q1: तंत्रिका तंत्र के दो प्रमुख भाग कौन से हैं?
उत्तर: केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) और परिधीय तंत्रिका तंत्र (PNS)।
Q2: रिफ्लेक्स क्रिया क्या है?
उत्तर: रिफ्लेक्स क्रिया एक स्वचालित और त्वरित प्रतिक्रिया है जो बिना मस्तिष्क के सक्रिय होने के होती है। इसमें संदेश केवल रीढ़ की हड्डी तक पहुंचते हैं और तुरंत प्रतिक्रिया होती है।
Q3: साइनैप्स का कार्य क्या है?
उत्तर: साइनैप्स दो तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संदेशों का आदान-प्रदान करने का स्थान होता है, जहां न्यूरोट्रांसमीटर रासायनिक संदेश भेजते हैं।
Q4: न्यूरॉन के मुख्य भाग कौन से हैं?
उत्तर: डेंड्राइट, सेल बॉडी, एक्सोन, और एक्सोन टर्मिनल।
रासायनिक समन्वय और एकीकरण (Chemical Coordination and Integration)
मानव शरीर में रासायनिक समन्वय एंडोक्राइन ग्रंथियों द्वारा नियंत्रित होता है, जो हार्मोन का स्राव करती हैं। ये हार्मोन शरीर के विभिन्न कार्यों को नियंत्रित करते हैं जैसे विकास, प्रजनन, और ऊर्जा का स्तर बनाए रखना।
1️⃣ एंडोक्राइन ग्रंथियाँ और हार्मोन (Endocrine Glands and Hormones)
एंडोक्राइन ग्रंथियाँ शरीर के भीतर हार्मोन का स्राव करती हैं, जो रक्त के माध्यम से शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचते हैं। प्रमुख एंडोक्राइन ग्रंथियाँ और उनके हार्मोन निम्नलिखित हैं:
a. पिट्यूटरी ग्रंथि (Pituitary Gland):
- हार्मोन: ग्रोथ हार्मोन (Growth Hormone), थायरॉयड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (TSH), ऐड्रेनोकोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन (ACTH)
- कार्य: विकास, थायरॉयड ग्रंथि का नियंत्रण, एड्रेनल ग्रंथि का नियंत्रण
b. थायरॉयड ग्रंथि (Thyroid Gland):
- हार्मोन: थायरोक्सिन (Thyroxine), ट्रायोडोथायरोनिन (T3), कॅल्सीटनिन (Calcitonin)
- कार्य: मेटाबोलिज्म का नियंत्रण, शरीर का तापमान बनाए रखना
c. पॅराथायरॉयड ग्रंथि (Parathyroid Gland):
- हार्मोन: पैराथॉमोन (Parathormone)
- कार्य: रक्त में कैल्शियम का स्तर बनाए रखना
d. ऐड्रेनल ग्रंथि (Adrenal Gland):
- हार्मोन: एड्रेनालिन (Adrenaline), नॉरएड्रेनालिन (Norepinephrine), कोर्टिसोल (Cortisol)
- कार्य: शरीर की तनाव प्रतिक्रिया, मेटाबोलिज्म का नियंत्रण
e. अग्न्याशय (Pancreas):
- हार्मोन: इंसुलिन (Insulin), ग्लूकागन (Glucagon)
- कार्य: रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित करना
f. गोनाड्स (Gonads – Ovaries & Testes):
- हार्मोन: एस्ट्रोजन (Estrogen), प्रोजेस्टेरोन (Progesterone), टेस्टोस्टेरोन (Testosterone)
- कार्य: प्रजनन कार्य और यौन विशेषताएँ
2️⃣ रासायनिक समन्वय का कार्य (Functions of Chemical Coordination)
- विकास और वृद्धि (Growth and Development): हार्मोन जैसे ग्रोथ हार्मोन और थायरॉयड हार्मोन शरीर के विकास और वृद्धि को नियंत्रित करते हैं।
- ऊर्जा का नियंत्रण (Energy Regulation): इंसुलिन और ग्लूकागन जैसे हार्मोन रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करते हैं।
- तनाव प्रतिक्रिया (Stress Response): एड्रेनालिन और कोर्टिसोल जैसे हार्मोन शरीर की तनाव प्रतिक्रिया को नियंत्रित करते हैं।
- प्रजनन कार्य (Reproductive Functions): टेस्टोस्टेरोन, एस्ट्रोजन, और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन प्रजनन और यौन विकास को नियंत्रित करते हैं।
3️⃣ विकार (Disorders)
a. मधुमेह (Diabetes Mellitus):
- कारण: इंसुलिन का अपर्याप्त स्राव या कोशिकाओं द्वारा इंसुलिन का ठीक से उपयोग न करना।
- लक्षण: अत्यधिक प्यास, बार-बार पेशाब आना, थकान, वजन का घटना।
- प्रकार:
- टाइप 1 मधुमेह: यह ऑटोइम्यून स्थिति है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अग्न्याशय की बीटा कोशिकाओं को नष्ट कर देता है।
- टाइप 2 मधुमेह: इसमें शरीर की कोशिकाएँ इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाती हैं।
b. हाइपरथायरायडिज़्म (Hyperthyroidism):
- कारण: थायरॉयड ग्रंथि का अधिक सक्रिय होना, जिससे थायरोक्सिन का अत्यधिक स्राव होता है।
- लक्षण: वजन घटना, अधिक प्यास, घबराहट, शरीर का तापमान बढ़ना, उच्च रक्तचाप।
- सामान्य कारण: ग्रेव्स रोग (Grave’s disease), थायरॉयड ग्रंथि का विकार।
c. हाइपोथायरायडिज़्म (Hypothyroidism):
- कारण: थायरॉयड ग्रंथि का कम सक्रिय होना, जिससे थायरोक्सिन का अपर्याप्त स्राव होता है।
- लक्षण: वजन बढ़ना, थकान, सुस्ती, ठंडा महसूस करना, बालों का झड़ना।
- सामान्य कारण: हैशिमोटो रोग (Hashimoto’s disease), थायरॉयड ग्रंथि का सूजन।
4️⃣ महत्वपूर्ण प्रश्न NEET दृष्टिकोण से (Important NEET Questions)
Q1: पिट्यूटरी ग्रंथि के प्रमुख हार्मोन कौन से हैं?
उत्तर: ग्रोथ हार्मोन, थायरॉयड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (TSH), ऐड्रेनोकोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन (ACTH)।
Q2: इंसुलिन और ग्लूकागन के कार्य क्या हैं?
उत्तर: इंसुलिन रक्त शर्करा के स्तर को घटाता है, जबकि ग्लूकागन रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाता है।
Q3: हाइपरथायरायडिज़्म के लक्षण क्या हैं?
उत्तर: वजन घटना, अधिक प्यास, घबराहट, उच्च रक्तचाप, शरीर का तापमान बढ़ना।
Q4: हाइपोथायरायडिज़्म के लक्षण क्या हैं?
उत्तर: वजन बढ़ना, थकान, ठंडा महसूस करना, सुस्ती, बालों का झड़ना।