वायरल फीवर क्या है?
इसे सामान्य बोलचाल में मौसमी बुखार भी कहते है। यह बुखार VIRAL FEVER एक प्रकार के बहुत ही सूक्ष्म जीव वायरस (Virus) के कारण होता है। इसमें रोगी को अचानक तेज बुखार आता है। इसके अतिरिक्त रोगी प्रायः भयंकर सिर दर्द, हाथ-पैरों तथा बदन में दर्द होता है।
Viral fever causes
यह बुखार एक प्रकार के बहुत ही सूक्ष्म जीव ‘वायरस’ के कारण होता है जो रोगी के श्वसन तंत्र के ऊपरी भाग के स्राव में मौजूद होता है। जब रोगी खाँसता तथा छींकता है तो यह वायरस वायु द्वारा पास में मौजूद व्यक्तियों के श्वसन तंत्र की कोशिकाओं में पहुँच कर अपनी संख्या में बढ़ोत्तरी करके रोगी में विभिन्न लक्षण पैदा कर देते हैं । सिनेमा घरों में, स्कूलों में, हॉस्पीटल में, कैंप में, बस या ट्रेन में तथा अन्य भीड़-भाड़ वाले स्थानों में जाने या रहने वाले व्यक्ति आसानी से इस रोग के शिकार हो जाते हैं।
Viral fever symptoms
रोगी को अचानक तेज बुखार (105-106 डि. फा.) चढ़ता है। इसके साथ ही भयंकर सिर दर्द, हाथ-पैरों में तथा बदन में दर्द, गले में खरास, जुकाम, खाँसी, आँखों में जलन, भूख न लगना, उल्टियाँ होना और अधिक कमजोरी आदि लक्षण होते हैं। किसी-किसी रोगी को पेट में दर्द भी होता है। बुखार उतर जाने के बाद भी रोगी को हफ्तों तक कमजोरी बनी रहती है।
ध्यान रहे यदि बुखार 4-5 दिन में न उतरे तो बुखार किसी अन्य कारण से भी हो सकता है। जैसे-मलेरिया, टायफाइड, हेपेटाइटिस (लिवर की सूजन), मेनिन्जाइटिस, लिवर एक्सेस, न्यूमोनिया, प्लूरिसी या यूरीन में इन्फैक्शन इत्यादि से। लगभग 20 दिन या उससे अधिक लगातार बुखार के रोगी में टी. बी. तथा हृदय के बाल्व की सूजन के रोग (एन्डोकारडाइटिस) को भी ध्यान में रखना चाहिये।
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रोग की पहचान
उपरोक्त लक्षणों के आधार पर रोग निदान में कोई कठिनाई नहीं होती है। सबसे अहम् बात है कि इस रोग में एकाएक तीव्र ज्वर के साथ सारे शरीर में उग्र स्वरूप की टूटन (पीड़ा) और सर्दी जुकाम युक्त लक्षण देखने को मिलते हैं।
रोग का परिणाम
यह रोग VIRAL FEVER कभी-कभी जटिल होकर गम्भीर रूप धारण कर लेता है। इस रोग की मुख्य जटिलता न्यूमोनिया है जिसमें रोगी के फेफड़ों में सूजन आ जाती है। ऐसे में रोगी खाँसी, छाती में दर्द, और साँस में तकलीफ होती है। कुछ रोगियों की जीभ और नाखून नीले पड़ जाते हैं जो एक गम्भीर स्थिति है। इसके अतिरिक्त इस रोग में ‘मायोकारडाइटिस’, ‘पेरीकारडाइटिस’, ‘मस्तिष्क ज्वर’, टिस’ आदि उपद्रव हो सकते हैं। गैस्ट्राइटिस’ आदि उपद्रव हो सकते हैं।