UNIT 9: Biotechnology

Biotechnology and Its Applications

Biotechnology (जैव प्रौद्योगिकी) वह क्षेत्र है, जिसमें जीवों, कोशिकाओं, और बायोमोलिक्यूल्स का उपयोग करके कृषि, चिकित्सा, और उद्योगों में उत्पादों का निर्माण किया जाता है। यह जीवविज्ञान, रसायन विज्ञान, और इंजीनियरिंग के संयोजन से विकसित हुआ है और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सुधार लाने के लिए उपयोगी है।


1. Recombinant DNA Technology (रिकॉम्बिनेंट डीएनए प्रौद्योगिकी)

रिकॉम्बिनेंट डीएनए प्रौद्योगिकी वह प्रक्रिया है, जिसमें वैज्ञानिकों द्वारा DNA के अलग-अलग हिस्सों को काटकर और जोड़कर नए संयोजन तैयार किए जाते हैं। इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य विशिष्ट गुणों को प्राप्त करना और जैविक उत्पादों का उत्पादन करना है।

प्रमुख कदम:

  1. DNA का चयन: सबसे पहले उस जीन को चुनना जाता है, जिसे हम किसी जीव में स्थानांतरित करना चाहते हैं।
  2. DNA को काटना: Restriction Enzymes (सीमा एन्जाइम) का उपयोग करके DNA को काटा जाता है।
  3. DNA की जोड़ाई: जोड़ा गया जीन या DNA फ्रैगमेंट एक प्लाज्मिड (Plasmid) में डाला जाता है।
  4. Transformation: इस प्लाज्मिड को कोशिका में डाला जाता है, जिससे नए गुण उत्पन्न होते हैं।
  5. विकसित उत्पादों का निर्माण: इसके बाद कोशिकाओं को बढ़ाकर नए उत्पाद जैसे प्रोटीन, एंजाइम, या हार्मोन उत्पन्न किए जाते हैं।

उदाहरण:

  • Insulin production: इंसुलिन का उत्पादन, जिसे पहले मानव पैंक्रियास से प्राप्त किया जाता था, अब E. coli बैक्टीरिया द्वारा किया जाता है, जो इस प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं।

2. Applications in Medicine (चिकित्सा में अनुप्रयोग)

चिकित्सा में जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग बीमारियों के इलाज, निदान और दवाइयों के उत्पादन में किया जाता है। यह चिकित्सकीय क्षेत्र में एक क्रांति लेकर आई है। नीचे कुछ महत्वपूर्ण चिकित्सा अनुप्रयोग दिए गए हैं:


a) Gene Therapy (जीन चिकित्सा)

Gene Therapy में दोषपूर्ण या गायब जीन की जगह नया जीन पेश किया जाता है, जिससे व्यक्ति की आनुवंशिक बीमारी का इलाज किया जाता है। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य जीन को ठीक करना या नए स्वस्थ जीन को शरीर में डालना होता है।

कैसे काम करता है:

  • वायरस का उपयोग: दोषपूर्ण जीन को बदलने के लिए वायरस का उपयोग किया जाता है, क्योंकि वायरस में कोशिकाओं के अंदर प्रवेश करने की क्षमता होती है।
  • जीन का स्थानांतरण: ठीक जीन को मरीज के शरीर में पहुंचाया जाता है, जो शरीर के सही कार्यों को बहाल करने में मदद करता है।

उदाहरण:

  • Severe Combined Immunodeficiency (SCID): इस बीमारी में मरीज के शरीर में इम्यून सिस्टम ठीक से काम नहीं करता। जीन चिकित्सा से इन बच्चों को उपचार प्रदान किया जाता है।

b) GM Crops (GM फसलें)

GM Crops (Genetically Modified Crops) वे फसलें होती हैं, जिनके जीन में कृत्रिम रूप से बदलाव किए जाते हैं ताकि उन्हें बेहतर गुण प्राप्त हो सकें। इन फसलों का उपयोग कृषि उत्पादकता बढ़ाने, कीटों और बीमारियों से बचाव करने और बेहतर पोषण देने के लिए किया जाता है।

प्रमुख GM Crops:

  • Bt Cotton: इसमें बैक्टीरिया Bacillus thuringiensis का जीन डाला जाता है, जिससे फसल को कीटों से सुरक्षा मिलती है।
  • Golden Rice: यह चावल का एक प्रकार है, जिसमें प्रीविटामिन A (beta-carotene) का जीन डाला गया है ताकि इससे विटामिन A की कमी को दूर किया जा सके।

लाभ:

  • उत्पादकता में वृद्धि: GM फसलें रोगों और कीटों से बचाव करती हैं, जिससे उपज बढ़ती है।
  • पोषण में सुधार: GM फसलें पोषण मूल्य में सुधार करने में मदद करती हैं, जैसे कि Golden Rice विटामिन A की कमी को दूर करता है।

NEET Perspective Questions (NEET दृष्टिकोण से प्रश्न)

प्रश्न 1: रिकॉम्बिनेंट डीएनए प्रौद्योगिकी का उद्देश्य और प्रक्रिया क्या है?

उत्तर:
रिकॉम्बिनेंट डीएनए प्रौद्योगिकी का उद्देश्य विशेष जीन को शरीर में स्थानांतरित करना या नया गुण प्राप्त करना है। इस प्रक्रिया में DNA को काटकर, जोड़कर और फिर उसे कोशिकाओं में स्थानांतरित किया जाता है, जिससे नए उत्पाद उत्पन्न होते हैं। इस तकनीक का उपयोग इंसुलिन, एंजाइम और अन्य जैविक उत्पादों के उत्पादन में किया जाता है।


प्रश्न 2: जीन चिकित्सा (Gene Therapy) का कार्य और लाभ बताइए।

उत्तर:
जीन चिकित्सा में दोषपूर्ण जीन को बदलने के लिए स्वस्थ जीन का स्थानांतरण किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य आनुवंशिक बीमारियों जैसे SCID (Severe Combined Immunodeficiency) का इलाज करना है। यह विधि रोगियों के स्वास्थ्य में सुधार करती है और लंबे समय तक इलाज प्रदान कर सकती है।


प्रश्न 3: GM फसलें क्या हैं और इनमें किस प्रकार का सुधार किया जाता है?

उत्तर:
GM फसलें वे होती हैं, जिनमें जीन का कृत्रिम बदलाव किया जाता है ताकि उनकी उत्पादकता, रोग प्रतिरोधक क्षमता और पोषण में सुधार किया जा सके। उदाहरण के तौर पर, Bt Cotton में बैक्टीरिया का जीन डाला जाता है ताकि यह कीटों से बच सके, और Golden Rice में विटामिन A की कमी को पूरा करने के लिए नया जीन डाला जाता है।


प्रश्न 4: रिकॉम्बिनेंट इंसुलिन का उत्पादन कैसे किया जाता है?

उत्तर:
रिकॉम्बिनेंट इंसुलिन का उत्पादन E. coli बैक्टीरिया का उपयोग करके किया जाता है। इंसुलिन जीन को बैक्टीरिया में डाला जाता है और बैक्टीरिया उस जीन का उपयोग करके इंसुलिन का उत्पादन करता है। फिर इंसुलिन को शुद्ध करके डायबिटीज के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है।


इस प्रकार, जैव प्रौद्योगिकी और इसकी आवेदन चिकित्सा और कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में जीवन को सुधारने और सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। NEET परीक्षा में इन बुनियादी अवधारणाओं का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है।

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