three types of conjunctivitis
1.viral conjunctivitis
परिचय
– वायरल नेत्रशोथ, जिसे आमतौर पर “वायरल कंजंक्टिवाइटिस” के नाम से जाना जाता है, आंखों की एक सामान्य समस्या है जो वायरस के कारण होती है। यह बीमारी आँख के कंजंक्टिवा नामक परत में सूजन के कारण होती है, जो आँख के सफेद भाग और पलकों के अंदरूनी हिस्से को ढकती है।
कारण और संचारण
वायरल नेत्रशोथ ज्यादातर एडेनोवायरस, हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस, वरिसेला-जोस्टर वायरस, और पिकोर्नावायरस जैसे विभिन्न प्रकार के वायरसों के कारण होता है। यह वायरस सीधे संपर्क (आँखों को छूने के बाद हाथ मिलाना) या संक्रमित सतहों के माध्यम से फैल सकता है।
लक्षण
वायरल नेत्रशोथ के प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:- आँखों का लाल होना- पानी आना- खुजली और जलन- फोटोफोबिया या प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता- आँखों में ग्रिटी सेंसेशन (ऐसा लगना मानो कुछ आँख में है)
निदान और उपचार
वायरल नेत्रशोथ का निदान आमतौर पर लक्षणों और मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर किया जाता है। इसका उपचार मुख्यतः सहायक होता है, क्योंकि अधिकांश वायरल संक्रमण स्वयं ही ठीक हो जाते हैं।
उपचार में शामिल हैं:-
गर्म या ठंडे पानी की पट्टियाँ आँखों पर लगाना- पर्याप्त आराम और निर्जलीकरण से बचना- यदि आवश्यक हो, तो डॉक्टर एंटीवायरल दवाएँ या स्टेरॉयड आई ड्रॉप्स लिख सकते हैंरोकथामवायरल नेत्रशोथ से बचाव के लिए स्वच्छता बहुत महत्वपूर्ण है। आँखों को बार-बार न छूना, हाथों को नियमित रूप से धोना और व्यक्तिगत वस्तुओं को साझा न करना शामिल हैं।यदि आपको वायरल नेत्रशोथ के लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें और सार्वजनिक स्थलों पर जाने से बचें ताकि इसके प्रसार को रोका जा सके।
2.Allergic conjunctivitis
परिचय
एलर्जिक नेत्रशोथ, जिसे एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस के नाम से भी जाना जाता है, वह स्थिति है जब आंखों का कंजंक्टिवा (आँख की बाहरी सफेद परत और पलकों के अंदरूनी हिस्से को ढकने वाली पारदर्शी परत) एलर्जी के कारण सूज जाता है। यह प्रकार विशेष रूप से वसंत और शरद ऋतु के मौसम में आम होता है, जब पराग और धूल के कण हवा में अधिक होते हैं।
कारण
एलर्जिक नेत्रशोथ के प्रमुख कारणों में पराग, धूल के कण, पेट डैंडर (पालतू जानवरों के बाल और रूसी), और कुछ प्रकार के कॉस्मेटिक्स या आई ड्रॉप्स शामिल हैं जिनसे व्यक्ति को एलर्जी हो सकती है।
लक्षण
एलर्जिक नेत्रशोथ में आँखों के निम्नलिखित लक्षण शामिल होते हैं:
1.आँखों में खुजली और जलन
2.लालिमा और सूजन
3.अधिक आँसू बहना
4.फोटोफोबिया (प्रकाश से असुविधा)
5.आँखों में रूखापन या सूखापन महसूस होना
निदान और उपचार
एलर्जिक नेत्रशोथ का निदान आमतौर पर लक्षणों और मरीज की एलर्जी के इतिहास पर आधारित होता है। उपचार में शामिल हो सकते हैं:
1.एंटीहिस्टामाइन या स्टेरॉयड युक्त आई ड्रॉप्स
2.ओरल एंटीहिस्टामाइन दवाएं
3.एलर्जन से बचाव, जैसे कि एयर फिल्टर का उपयोग करना और खिड़कियां बंद रखना
4.प्रभावित आँखों को ठंडे पानी से धोना
रोकथाम
एलर्जिक नेत्रशोथ से बचाव के लिए मुख्य उपाय हैं:
1.उच्च पराग संक्रमण के दिनों में बाहर जाने से बचें
2.घर के अंदर वायु शोधन प्रणाली का इस्तेमाल करें
3.आँखों को बार-बार छूने से बचें
4.नियमित रूप से हाथ धोएं
एलर्जिक नेत्रशोथ एक प्रबंधनीय स्थिति है यदि समय पर और उचित उपचार किया जाए और एलर्जन से बचाव के उपाय किए जाएं। यदि लक्षण बढ़ जाते हैं या सुधार नहीं होता है, तो चिकित्सक से परामर्श आवश्यक है।
3.Bacterial conjunctivitis
परिचय
जीवाणु नेत्रशोथ, जिसे बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस के नाम से भी जाना जाता है, आँखों की एक संक्रामक स्थिति है जो विभिन्न प्रकार के जीवाणुओं के कारण होती है। यह स्थिति आँख के कंजंक्टिवा की सूजन से जुड़ी होती है और अक्सर पुस या मवाद के स्राव के साथ होती है।
कारण
जीवाणु नेत्रशोथ मुख्यतः स्टेफिलोकोकस, स्ट्रेप्टोकोकस, हैमोफिलस इन्फ्लुएंजा, और मोराक्सेला कैटारालिस जैसे जीवाणुओं के कारण होता है। यह सीधे संपर्क, संक्रमित सतहों, या अन्य संक्रमित व्यक्तियों के माध्यम से फैल सकता है।
लक्षण
1.आँखों से पीला या हरा मवाद या पुस निकलना
2.आँखों का लाल होना और सूजन
3.पलकों का एक दूसरे से चिपक जाना, विशेषकर सुबह के समय
4.दर्द या जलन महसूस होना
5.धुंधली दृष्टि या रोशनी के प्रति संवेदनशीलता
निदान और उपचार
जीवाणु नेत्रशोथ का निदान आमतौर पर लक्षणों के आधार पर किया जाता है, लेकिन कभी-कभी संक्रमण के प्रकार की पहचान के लिए कल्चर टेस्ट भी की जा सकती है। उपचार में आमतौर पर एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स या आई ऑइंटमेंट शामिल होते हैं, जिन्हें निर्धारित समय के लिए लगातार उपयोग करना होता है।
रोकथाम
जीवाणु नेत्रशोथ से बचाव के लिए स्वच्छता सबसे महत्वपूर्ण है। निम्नलिखित उपाय करें:
1.हाथों को नियमित रूप से धोएं, खासकर आँखों को छूने से पहले।
2.संक्रमित व्यक्तियों के साथ व्यक्तिगत सामान जैसे कि तौलिये और चेहरे के तौलिए का इस्तेमाल न करें।
3.संक्रमित होने पर, अपने घर के सदस्यों से नियमित संपर्क से बचें और उचित उपचार प्राप्त करें।
यदि आपको जीवाणु नेत्रशोथ के लक्षण महसूस हों तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। उपयुक्त और समय पर उपचार से न केवल संक्रमण को रोका जा सकता है, बल्कि इसस
के फैलाव को भी नियंत्रित किया जा सकता है। इससे आपकी आँखें जल्दी स्वस्थ होंगी और आपके परिवार व दोस्तों को भी सुरक्षा प्रदान होगी।
उपचार की अवधि
आमतौर पर जीवाणु नेत्रशोथ के उपचार में एक से दो सप्ताह लग सकते हैं, जिसमें एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स या मलहम का उपयोग निर्धारित किया जाता है। यदि संक्रमण गंभीर हो, तो ओरल एंटीबायोटिक्स भी दिए जा सकते हैं।
संक्रमण की गंभीरता
यदि समय पर उपचार नहीं किया जाता है, तो जीवाणु नेत्रशोथ आँख की कोर्निया को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे दृष्टि स्थायी रूप से कमजोर हो सकती है। इसलिए, यदि आपकी आँखें लाल हों, उनमें दर्द या जलन महसूस हो और स्राव हो रहा हो, तो बिना देर किए चिकित्सकीय सहायता लेना चाहिए।
व्यक्तिगत स्वच्छता का महत्व
संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता और उचित सावधानियां अत्यंत आवश्यक हैं। आँखों को छूने से पहले और बाद में हाथ धोना, तौलिये और अन्य निजी सामानों का साझा न करना, और संक्रमित व्यक्तियों से उचित दूरी बनाए रखना जरूरी है।
यह जानकारी आपको जीवाणु नेत्रशोथ के बारे में एक बुनियादी समझ प्रदान करती है और यह दिखाती है कि सही समय पर सही उपचार से इस स्थिति का प्रभावी ढंग से निवारण और नियंत्रण संभव है।