STOMATITIS – Mouth Sores / Mouth Ulcers Instant Relief Treatment | Discover 5 Effective Remedies

रोग का परिचय

STOMATITIS रोगी के मुख के अंदर जीभ और गालों की दीवारों पर व्रण या गले हो जाते हैं। छालों में तीव्र वेदना होती है। खाने-पीने में काफी तकलीफ होने लगती है। teज  मिर्च-मसालेदार पदार्थ खाते ही रोगी वेदना से बिलबिला जाता है। रोगी ठीक से बोल पाने me  भी असमर्थ हो जाता है। इस रोग से ग्रसित रोगी को बेहद कष्ट होता है। यह एक आम rog  है। इसे मुखपाक भी कहते हैं।

रोग के प्रमुख कारण

  1. कफवर्धक पदार्थों का अत्यधिक सेवन करने से।
  2. यदि मुँह की अच्छी तरह सफाई न की जाये तो भी समय बीतने पर मुँह में छाले पड़ जाने की पूरी संभावना होती है।
  3. जो लोग पान, तम्बाकू आदि मुख शुद्धि के द्रव्यों का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं, उनके मुँह में भी छाले पड़ जाते हैं।
  4. आधुनिक विज्ञान के अनुसार यदि आहार में विटामिन ‘सी’ एवं विटामिन ‘बी’ के तत्वों जैसे रीबोफ्लेवीन, निकोटिनिक एसिड, फोलिक एसिड साइनोकोवालामीन आदि की कमी हो जाती है, तो मुँह में छाले पड़ जाते हैं अर्थात् मुखपाक हो जाता है।
  5. संग्रहणी जैसे रोग में भोजन के इन तत्वों का अभिशोषण करने की क्षमता की कमी हो जाने से भी मुँह में छाले पड़ जाते हैं।
  6. जो छोटे बच्चे चॉकलेट, च्युइंगम, बर्फ के गोले आदि अधिक मात्रा में खाते हैं, उनके मुँह में कभी-कभी एलर्जी होने से भी छाले पड़ जाते हैं।
STOMATITIS
STOMATITIS

रोग के प्रमुख लक्षण

  1. यदि मुँह में किसी प्रकार का स्वाद महसूस न होता हो, मुँह फीका बना रहता हो, मुँह बार-बार सूखता हो या उसमें कड़वाहट बनी रहती हो, तो समझ लेना चाहिये कि STOMATITIS पेट की पाचन क्रिया बिगड़ चुकी है।
  2. यदि पेट में गर्मी बढ़ जाये, अपच हो जाये अथवा उसमें पित्त एकत्र हो जाये, तो मुख पाक हो जाता है यानी मुँह में छाले पड़ जाते हैं।
  3. तालू, गलफड़ों, जीभ, होठों के अंदर यानी पूरे मुँह में जहाँ-जहाँ भी म्यूकस मेम्ब्रेन होती है, ये छाले हो जाते हैं।
  4. STOMATITIS मुँह लिसलिसा हो जाता है और उसमें जलन होने लगती है। मुँह में लालिमा लिये हुए छाले साफ दिखायी देते हैं।

भोजन करते समय यदि आहार इन छालों से रगड़ खा जाते हैं, तो जलन होने लगती है। गर्म आहार भी मुख में नहीं रखा जा सकता। दिनभर बेचैनी बनी रहती है और किसी काम में मन नहीं लगता है। वेदना के कारण STOMATITIS रोगी ठीक से बोल नहीं पाता है। बोलने पर छालों में पीड़ा होती है। रोगी के मसूड़ों में सूजन हो जाती है। छाले हो जाने पर रोगी के मुख से तीव्र दुर्गन्ध आने लगती है। रोगी की साँस में भी, दुर्गन्ध आती है। जीभ तथा गालों का अंदरूनी हिस्सा लाल सुर्ख हो जाता है। कुछ रोगियों के तालू में भी सूजन आ जाती है। रोगी को कब्ज रहती है अथवा दस्त लगे रहते हैं। मल भी कठोर रहता है। रोगी बार-बार थूकता रहता है।

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