POISONING-जहर लेना (विषाक्तता)

कई बच्चे और वयस्क जहरीली चीजें निगल जाने के कारण मर जाते हैं। मिट्टी का तेल, गैसोलाइन, चूहेमार दवाई, डी. डी. टी., लिनडेन, शीप डिप एवं दूसरी कीटनाशक दवाइयाँ या पौधों की दवायें (जब किसी दवा की काफी मात्रा खा ली जाये) श्वसन द्वारा हाथ मुँह के द्वारा गलती से या जानबूझ कर आत्महत्या के लिये लिया जाता है। संखिया आत्महत्या के लिये अधिक प्रयोग किया जाता है। यह काफी सस्ता, बिना महक व स्वाद का होता है। यह चूहे मारने की दवाई व कीटनाशक दवाइयों में प्रयोग में आता है।

आजकल बाजारों में उपलब्ध एवं कृषि रक्षा इकाइयों पर मिलने वाली कीटनाशक दवाई (जो गेहूँ आदि अनाजों के भण्डारण में प्रयोग आती है) फूमीगेन्ट इन्सेक्टीसाइड – एलूमीनियम फास्फाइड 56% (F) जो ‘क्विकफोस – Quick Phor’ के नाम से टेबलेट रूप में आती है। अधिकतर महिलाये ससुराल वालों की प्रतिताड़ना एवं उनके द्वारा अधिक सताने पर इनको लेकर आत्महत्या कर लेती है। अब तो नवयुवक और अन्य व्यक्ति भी आत्महत्या के लिये सर्वाधिक रूप से इन्ही गोलियों का प्रयोग करने लगे है। यह एक प्राणघातक जहर है. इसके लेने के बाद कुछ ही घण्टों में मृत्यु हो जाती है एवं किसी भी तरह से रोगी को बचाना सम्भव नहीं होता है। वैसे यह टिकिया अनाज के गोदामों में लगने वाली कीड़ों और खेतों में चूहों की रोकथाम के लिये टिकिया बनाई गई है।

# घातक कीटनाशी दवाओं के जहर के कुछ लक्षण

 करीब एक घण्टे बाद मरीज सिर में भारीपन, चक्कर आना, गले व पेट में जलन के साथ दर्द बताता है। मुँह से लार अधिक आती है और प्यास बेहद लगती है। उल्टियाँ एवं ऐठन होती है। पेट दर्द के साथ बार-बार पानी से दस्त होते है जिससे खून व मवाद होता है। साँस लेने में कठिनाई एवं बेहोशी, बहुत कमजोरी, अंधापन, लकवा, पिंडलियों में दर्द, मूत्र की मात्रा कम त्वचा का ठंडा पड़ना, शरीर में पानी की कमी आदि लक्षण मिलते है। नाड़ी तेज, अनियमित तथा कमजोर हो जाती है उल्टियाँ होती है। बाद में मुँह से खून व वायल आने लगता है। रोगी की आवाज चली जाती है।

यदि विष गैस के रूप में शरीर में जाता है तो सीधे हीमोग्लोबिन से मिलकर लाल रक्त कोशिकाओं (R.B.C.) को तोड़ देता है व पेशाब लाल रंग का आने लगता है। उसके बाद रोगी को पीलिया’ व अनीमिया हो जाता है। यदि इन लक्षणों के दिखाई देते ही व्यक्ति को तुरन्त डाक्टरी सहायता न मिले तो उसकी मृत्यु हो जाती है।

उपचार- यदि आपको शक हो कि किसी को जहर चढ़ गया है तो उसी समय जैसे नीचे बताया गया है, वैसा करें। 

@जब व्यक्ति होश में हो

# उसे उल्टी करवाने की कोशिश करें। उसके गले में उँगली डालें या उसके गले के अन्दर चम्मच से दवायें या उसे काफी मात्रा में नमक मिला गर्म पानी पिलायें। इसके अलावा उसे एक गिलास पानी इपेक (pecac) घोल है। इसी उल् लाने के लिये होता है। प्रायः यह दवा सीरप के रूप में मिलती है। उल्टी कराने के लिये एक गिलास गर्म पानी में दो चम्मच नमक घोल कर दे सकते हैं। मुँह द्वारा निगली जहर के लिये कोयले का चूरा (या एक्टीवेटिड चारकोल) 50 मिग्रा० तक दे सकते हैं। इसे बच्चों के लिये एक कप पानी में मिलायें और बड़ों के लिये दो गिलास पानी में मिलाकर दें। एक्टीवेटिड चारकोल की खुराक एक बड़ा चम्मच एक कप पानी या जूस में बराबर मात्रा में मिला कर दें।

# यदि व्यक्ति को उल्टी न आये तो उसे चारपाई पर लिटा दें। कीप लगी नली को अच्छी तरह चिकनाई लगा कर मुँड के रास्ते व्यक्ति के पेट में पहुँचायें और नली के बाहर वाले सिरे पर कीप लगाकर 1 से 2 लीटर नमक मिला पानी डालें। तब नली को चारपाई के स्तर से नीचा करें। पेट में गया तरल पदार्थ बाहर निकलने लगेगा। इस क्रिया को तब तक करते रहें जब तक कि पेट से निकलने वाला तरल स्वच्छ पानी न हो।

 # व्यक्ति को जितना ज्यादा हो सके उतना ज्यादा दूध, फेंटे हुए अण्डे या आटा मिला हुआ पानी पिलायें।

 #यदि सम्भव हो तो उसे एक बड़ा चम्मच पिसा हुआ लकड़ी का कोयला खिलाये। उसे

तब तक लगातार दूध, फेंटे हुए अण्डे और आटा मिला पानी पिलाते रहे और उल्टियाँ कराते रहें जब तक उसकी उल्टियों का रंग साफ न हो जाये। एल्युमिनियम फास्फाइड (क्विकफोस) जो अनाज के गोदामों में लगने वाले कीड़ों के लिये प्रयोग की जाती है, को आत्महत्या के लिये खा लेने पर या रखरखाव में साँस द्वारा फेफड़े में चले जाने पर 1: 5000 अनुपात में पोटेशियम परमँग्नेट का घोल जुलाव के रूप में दीजिये। अगर फेफड़ों में सूजन हो गयी हो तो नसों के जरिये (I/V) अतिपौष्टिक ग्लूकोज घोल (10% डेक्सट्रोज, रिन्टोज, फ्रक्टोडेक्स) चढ़ायें।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
Open chat
1
Hello 👋
Can we help you?
Call Now Button