परिचय

इसे आम भाषा में झाइयों या पिग्मेंटेशन के नाम से जाना जाता है। झाइयाँ मुख्यतः चेहरे की त्वचा पर होती हैं। इसमें कोई संवेदना नहीं होती केवल त्वचा के रंग में ही स्थानिक परिवर्तन आता है और इसका रंग गहरा कत्थई दिखता है।
रोग का कारण

झाइयाँ मुख्य रूप से रक्त की कमी के कारण होती हैं। त्वचा के भीतर स्थित रंग देने वाली कोशिकाओं का पोषण भी महीन रक्त नलिकाओं के द्वारा होता है। प्रसव, डायबिटीज, हृदय रोग, गर्भपात जैसे रोग आदि शरीर में रक्त की कमी उत्पन्न करते हैं, जिसका प्रभाव त्वचा पर आता है। इन सभी रोगों के अतिरिक्त अनेक ऐसे प्रसाधन हैं, जिनके कारण भी त्वचा पर झाइयाँ उत्पन्न हो जाती हैं। इनमें प्रमुख हैं- हेयर डाई, ब्लीच, सस्ते रूज, फाउन्डेशन आदि। त्वचा पर लम्बे समय तक इन प्रसाधनों का प्रयोग भी झाइयों की उत्पत्ति का कारण बन सकता है।

रोग के प्रमुख लक्षण

झाइयाँ मुख्य तौर पर चेहरे की त्वचा पर होती हैं। इनके कारण चेहरे, गालों व कनपटी के आस-पास का हिस्सा अधिक प्रभावित होता है। ये त्वचा की सतह में बदलाव नहीं लातीं। इससे कोई संवेदना भी नहीं होती। त्वचा छूने में चिकनी होती है। केवल इसके रंग में ही परिवर्तन आ जाता है और इसका रंग गहरा कत्थई दिखाई देने लगता है। अधिक पुरानी झाइयाँ होने पर त्वचा पर महीन सलवटें उभरने लगती हैं। इन दागों का रंग हल्का व गहरा होता रहता है। दागों का आकार भी सदैव एक-सा नहीं रहता है।
झाइयों के कारण पड़े दाग-धब्बों में किसी प्रकार की संवेदना नहीं होती। इंजेक्शन का अनुमान केवल देखने पर ही होता है।
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