परिचय-

यह एक आपातकालीन स्थिति है। इसके अन्तर्गत खून में शक्कर की मात्रा बहुत कम हो जाती है। (सामान्य मात्रा 80 मिग्रा. % से कम)। ब्लड शुगर के 50 मिग्रा. % से कम हो जान पर रोगी में हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं।
रोग के कारण

बहुत अधिक इन्सुलिन इस्तेमाल करना, पूरा खाना नहीं खाना या उपवास रखना तथा इन्सुलिन का टीका लगा लेना, बहुत अधिक व्यायाम कर लेना, खाना देर से खाना, इन्सुलिन का इन्जेक्शन लगने या मौखिक गोलियों सेवन करने के बाद अत्यधिक शारीरिक श्रम करना, यकृत रोग, एल्कोहॉल या शराब तथा यकृत को प्रभावित करने वाली अन्य औषधियों का सेवन करने से हाइपोग्लाइ सीमिया हो जाता है।
रोग के लक्षण

प्रारम्भिक लक्षण-रोगी को कमजोरी महसूस होने लगती है, वह ढलता चला जाता है, वह चिंतित दिखाई देता है तथा पसीना आता है, हाथ-पैर ठंडे पड़ जाते हैं, शरीर काँपने लगता है, दिल की धड़कन बढ़ जाती है, रोगी पर पिलापी छा जाती है, उसे भूख खूब लगती है जिससे पेट में दर्द होने लगता है, सिर में दर्द होता है, जी मिचलाता है और उल्टियाँ होती हैं। होंठ सुन्न हो जाते हैं। शरीर के एक ओर का आंशिक पक्षाघात हो जाता है।
उत्तरकालीन लक्षण-रोगी बिल्कुल हिलडुल नहीं सकता और न ही बोल सकता है। याद्दाश्त स्थायी रूप से चली जाती है। रोगी भ्रमित हो जाता है, उत्तेजित होकर शोर मचाने लगता है, वह लड़खड़ाकर चलता है, चक्कर आने लगते हैं, दौरे पड़ने लगते हैं, एक की दो चीजें दिखायी देने लगती हैं।
नोट-

हाइपोग्लाइसीमिया का रोगी गुस्सैल हो जाता है। उसके व्यवहार में बदलाव आ जाता है। अत्यधिक पसीना आता है तथा बेहोशी। उसका दिल धकधक करने लगता है।
रोग की पहचान

उपरोक्त लक्षणों के आधार पर रोग निदान में कोई परेशानी नहीं होती है। सन्देह होने पर निम्नलिखित विशेष परीक्षणों द्वारा निदान की पुष्टि की जा सकती है-
1. शुगर के लिए रक्त का परीक्षण कराने पर शुगर 60 मिग्रा. से कम पायी जाती है। 50-50 मिग्रा. % से कम शुगर का पाया जाना निश्चित रूप से हाइपोग्लाइसीमिया का संकेत है।
2. एक लम्बे समय जैसे 5 या 6 घण्टे तक ग्लूकोज सध्यता परीक्षण करने पर प्रथम 2 या 3 घण्टे बाद ब्लड शुगर 50 मिग्रा. से नीचे पहुँच जाती है।
3. एक सामान्य उपवास रखने वाले व्यक्ति के एड्रीनलीन का 1 ml का इन्जैक्शन लगा कर प्रति 15 मिनट पर एक घण्टे तक ब्लड शुगर की जाँच करने पर यह कम से कम 35 मिग्रा. % बढ़ी हुई पायी .जाती है, हाइपोग्लाइसीमिया होने पर यह वृद्धि नहीं होती ।
रोग का परिणाम

थोड़ी देर के लिए या अधिक समय के लिए रोगी गहन मूर्च्छा (Hypoglycaemic coma) में पहुँच जाता है और उस समय उसे मिर्गी के दौरों के समान दौरा पड़ने लगता है। कभी-कभी अर्धांगघात (Hemiplegia) हो जाता है अर्थात् शरीर के एक ओर फालिज पड़ जाता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि मधुमेह का रोगी मिर्गी के रोग से भी पीड़ित होता है। ऐसी स्थिति को हाइपोग्लाइसीमिया से मिर्गी रोग और भी बढ़ जाता है।