GONORRHOEA-सुजाक

क्या है? गोनोरिया/सुजाक

गोनोरिया एक यौन संचारित संक्रमण है जो निस्सेरिया गोनोरिया नामक जीवाणु के कारण होता है। यह मुख्य रूप से मूत्रमार्ग, गर्भाशय ग्रीवा, गले, मलाशय और आँखों की श्लेष्मा झिल्ली को प्रभावित करता है। गोनोरिया रोग पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकता है; यह मुख्य रूप से योनि, मुख या गुदा मैथुन के माध्यम से संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संपर्क के माध्यम से होता है। गोनोरिया सबसे आम यौन संचारित संक्रमणों में से एक है; हालाँकि, इसे रोका जा सकता है और इसका इलाज किया जा सकता है।

Causes of Gonorrhea

सुजाक मुख्य रूप से नाइजीरिया गोनोरियाई नामक जीवाणु द्वारा एक आदमी से दूसरे आदमी में पहुँचता है। यह रोग सम्भोग के द्वारा फैलता है।

दुराचारिणी स्त्रियों, वैश्याओं के साथ सहवास करने के कारण तथा अप्राकृतिक मैथुन करने के कारण यह रोग होता है, इसका प्रभाव कई पीढ़ियों तक होता है। यह रोग स्त्री-पुरुष दोनों को होता है। इसका प्रभाव गर्भस्थ शिशु  पर भी रहता है। सुजाक का विष और इस रोग के कीटाणु शुक्रकीट को नष्ट कर देते हैं, 

इस कारण से संतान उत्पन्न नहीं होती है।

अधिकतर यह रोग पुरुषों को होता है।

दुराचारी स्त्री-पुरुष इस रोग से ग्रसित होते हैं ।

Gonorrhea

Symptoms of Gonorrhea

पुरुष में सुजाक रोग से ग्रस्त स्त्री के साथ सम्भोग करने पर जीवाणु शिश्न के द्वारा मूत्रमार्ग में चले जाते हैं और असाधारण संख्या में बढ़ने लगते हैं। इससे मरीज को शुरू में दर्द व बेचैनी सी होती है और धीरे-धीरे पेशाब के साथ मवाद आने लगता है। मूत्र बार-बार होने लगता है। यदि मरीज का सही समय पर इलाज न किया जाये तो सिरदर्द, बुखार तथा धड़कन भी तेज हो जाती है। पेशाब बूँद-बूँद करके आता है एवं साथ में तेज जलन भी होती है।

महिलाओं में- रोग का मुख्य स्थान योनि द्वार होता है। मूत्र करते समय जलन व दर्द होता [ है। मूत्र बार-बार व बूँद-बूँद कर आता है। सफेद पानी ज्यादा आता है, कमर में दर्द रहता है, योनि में अल्सर हो सकते हैं। रोग के ज्यादा पुराना होने पर हल्का-हल्का जाड़े के साथ बुखार आता है।

* अगर रोग ग्रसित समलैंगिक पुरुष गुदा मैथुन करे तो यह रोग दूसरे व्यक्ति की गुदा में पहुँच जाता है। मलद्वार में जलन, खुजली, दर्द और खून से भरा मल आने की शिकायत हो जाती है। कुछ दिनों में यह लक्षण स्वतः मिट जाते हैं पर गनोरिया के कीटाणु रोगी की गुदा में मौजूद रहते हैं। ऐसे व्यक्ति से अगर स्वस्थ व्यक्ति गुदा मैथुन करे तो उसके लिंग के कीटाणु प्रवेश कर जाते हैं।

* जिस व्यक्ति को सुजाक होता है, उसे क्लेमाइडिया भी हो सकता है-भले ही उसे इसकी खबर हो या नहीं। इसलिए कभी-कभी केवल सुजाक का इलाज करने की बजाय सुजाक और क्लेमाइडिया दोनों का ही इलाज किया जाना चाहिए।

* यदि व्यक्ति को सुजाक या क्लेमाइडिया है और साथ ही पेट के निचली तरफ पीड़ा एवं बुखार है तो उसे श्रोणिक प्रदाह (Pelvic inflammation) की बीमारी है।

Gonorrhea

रोग की पहचान

रोग के स्पष्ट लक्षणों के द्वारा इसे आसानी से पहचाना जा सकता है।

मूत्रमार्ग से निकलने वाले मवाद की जाँच में गोनोरिया जीवाणु की उपस्थिति मिलती है। इसी प्रकार से महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स ऑफ दी यूट्स) से लिये गये पुच्छनों में गोनोकॉकस की पहचान करके की जाती है। पुरुषों में चिरकारी गनोरिया होने पर मूत्रमार्ग से लेप ले पाना प्रोस्टेट की मालिश करने के बाद ही सम्भव है।

Gonorrhea

रोग का परिणाम

नया रोग एक सप्ताह में ठीक हो जाता है। यदि रोग पुराना पड़ जाये तो गठिया हो जाता है।

आँख पर रोग का हमला हो जाये तो आँख नष्ट हो जाती है। प्रसव के समय यदि सुजाक का जहर बच्चे की आँख में लग जाए तो बच्चा अन्धा हो जाता है। इसके अतिरिक्त वृषण इन्फेक्शन, शिश्न इन्फैक्शन, मूत्र मार्ग में अवरुद्धता, योनि व गर्भाशय में इन्फैक्शन, जोड़ों में दर्द (Joint pain), मूत्र मार्ग में जलन व घाव आदि उपद्रवों की आशंका रहती है।

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