ENLARGEMENT OF SPLEEN रोग का परिचय-
ENLARGEMENT OF SPLEEN मलेरिया, कालाजार एवं ज्वर में प्लीहा में रक्त संचय होने से रक्त दूषित, टाइफायड, हृदय रोग, रजोलोप में अथवा इसके पश्चात् अधिक पानी पीने से प्लीहा बढ़ जाती है और बाईं ओर की पसलियों के नीचे हाथ लगाने से प्लीहा बढ़ी हुई प्रतीत होती है और फिर सारे पेट में फैल जाती है। पेट बढ़ जाता है।
ENLARGEMENT OF SPLEEN रोग के प्रमुख कारण
1. शरीर में मलेरिया का विष प्रवेश करने के कारण प्लीहा बढ़ जाती है।
2. बुखार में शीत अवस्था में, प्लीहा में रक्त-संचय होने पर यह बढ़ जाया करती है।
3. हृदय रोग ।
4. टाइफायड
5. रजोलोप
6. रक्त दृष्टि
7. काला ज्वर
8. बवासीर का खून रुक जाना ।
9. आजकल ल्यूकीमिया (रक्त कैंसर) प्लीहा वृद्धि का प्रमुख कारण है।
ENLARGEMENT OF SPLEEN रोग के प्रमुख लक्षण
1. कभी-कभी प्लीहा बहुत अधिक बढ़ जाती है और नीचे जननेन्द्रिय की जड़ तथा दाहिनी तरफ नाभि को पार करके इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि लगभग सारा पेट ही फूल जाता है।
2. प्लीहा बढ़ जाने पर रोगी को भूख कम लगती है। रोगी को कब्ज बना रहता है या अतिसार हो जाता है।
3. शरीर में कमजोरी आ जाती है। मंद-मंद ज्वर रहता है और खून की कमी हो जाती है।
ENLARGEMENT OF SPLEEN लक्षण प्रारम्भ से अन्त तक
1. प्रारम्भ में ज्वराभाव, शरीर रक्तशून्य और पाण्डु वर्ण, बदहजमी, कब्जियत, मुँह के मसूड़ों का फूलना और उनसे रक्तस्राव होना आदि लक्षण देखे जाते है। 2. इस रोग से ग्रस्त रोगी को रक्तवमन की शिकायत विशेष रूप से रहती है। यह खून भोजन नलिका स्थित शिराओं के फट जाने से निकलता है, जिसका मूल स्रोत तिल्ली का बढ़ना है। तिल्ली के बढ़ने पर यह शिरायें फूल जाती है।
3. रोगी के विभिन्न भागों से रक्तस्राव होने लगता है।
4. रक्तस्राव होने से रोगी का शरीर पीला पड़ जाता है और उसे अनीमिया हो जाता है।
5. प्लीहा दिखायी देती है। इसमें पीड़ा नहीं होती है, पर चिकित्सा में विलम्ब होने पर आमाशय भी इस रोग से प्रभावित हो जाता है। ऐसे में रोगी का पेट फूलने लगता है।
6. साथ में हल्का ज्वर, खाँसी, अरुचि, पेट में वायु, अग्निमांद्य, रक्ताल्पता, धातुक्षय आदि विकार भी उत्पन्न हो जाते हैं।
7. चिकित्सा में लापरवाही बरतने पर रोग की तीव्रावस्था में जलोदर भी हो जाता है।
8. अन्त में ऑव/डिसेन्ट्री. खून के दस्त सारे शरीर में शोथ और जलोदर होकर रोगी की मृत्यु हो जाती है।
Note -मलेरिया बुखार में जब रोगी को ठंड लगती है तब उस समय रक्तकण टूटते हैं। उनको स्वस्थ करने में जो श्रम प्लीहा को करना पड़ता है उससे उसका आकार बड़ा हो जाता है।
18.यकृत शोथ / हेपेटाइटिस [HEPATITIS]
ENLARGEMENT OF SPLEEN रोग का परिचय-यकृत शोथ एक विषाणु का संक्रमण (Viral infection) है जो यकृत को नुकसान पहुँचाता है। यकृत शोथ के कारण अक्सर थोड़ा या न के बराबर बुखार हो जाता है। यह रोग छोटे बच्चों में साधारण होता है और वयस्कों में काफी गम्भीर होता है। यह अक्सर महामारी के रूप में उभरता है। इसे छुतहा यकृत शोथ (इन्फेक्टिव हेपेटाइटिस) अर्थात् पीलिया रोग के नाम से भी जाना जाता है। पीलिया एक आम बीमारी है जिसे डाक्टरी भाषा में हेपेटाइटिस (Hepatitis) कहते हैं।
साधारणतः बुखार और कमजोरी के साथ मरीज को चारपाई पर लिटा देने वाली पीलिया की बीमारी, लापरवाही बरतने पर शरीर के अति महत्त्वपूर्ण अंग जिगर को खराब कर देती है।
ENLARGEMENT OF SPLEEN रोग के कारण
1. हेपेटाइटिस ए. बी. सी. डी. और ई. जिगर में वायरस के संक्रमण (Infec- tion) से होने वाली बीमारी है।
2. पीलिया का प्रकोप भारत में बड़े पैमाने पर होता है। 6 करोड़ से अधिक लोगों के पीलिया रोग से पीड़ित होने का अनुमान है। हर साल दो करोड़, सत्तर लाख (2,70,00,000) शिशु इस रोग के साथ जन्म लेते हैं।
ENLARGEMENT OF SPLEEN रोग के लक्षण
1. रोगी खाना-पीना नहीं चाहता, कई-कई दिन बिना खाये ही निकल जाते हैं।
2. कभी-कभी दाहिनी तरफ यकृत दर्द होता है। के पास
3. थोड़ा बुखार हो सकता है।
4. कुछ दिनों बाद आँखें पीली पड़ जाती हैं।
5. खाने देखने या उसकी महक से ही उल्टी हो सकती है।
6. पेशाब गहरी भूरी या पीली हो जाती है। और मल सफेद-सा हो जाता है।
7. ठंड लगती है। रोगी सिर दर्द की शिकायत करता है।
8. अरुचि एवं अतिसार / दस्त ।
ENLARGEMENT OF SPLEEN कुल मिलाकर वह व्यक्ति दो हफ्ते तक बहुत गम्भीर बीमार पड़ सकता है और बाकी एक से तीन मास तक बहुत कमजोर रह सकता है। वह अपनी आँखों में पीलापन उभरने के तीन हफ्ते बाद तक दूसरों तक छूत फैला सकता है।