रोग के प्रमुख कारण

अस्वच्छ वातावरण में निम्न श्रेणी का पोषण, एलर्जी (प्रमुख कारण), बैक्टीरिया या वायरस का संक्रमण होते रहने, इओसिनोफीलिया की उपस्थिति, मुँह से श्वास लेना एवं एडीनोइड तथा हाइपरट्रोफिक टर्बोनेटस के द्वारा नेजल आब्सटक्शन भी इसके लिये जुम्मेवार है। इन्टेस्टाइनल पैरासाइट्स इसके प्रोडिस्पोजिंग फैक्टर हैं।
रोग के प्रमुख लक्षण

#बार-बार श्वसन मार्ग का संक्रमण उत्पन्न होता है-
1. नाक-नाक में रुकावट होने से रोगी मुँह से श्वास लेता है। नाक से गाढ़ा अथवा पीव जैसा स्राव बहता है। एलर्जिक रोगी मे बार-बार छीकें आती है।
2. गला- रोगी को बार-बार खाँसी आती है। गले में पीड़ा उपस्थित रहती है।
3. सामान्य – ब्रोन्कोस्पाज्म, बुखार आदि (Constitutional symptoms उपस्थित रहते हैं।
रोग की पहचान एवं आवश्यक परीक्षण
लक्षणों के आधार पर (बार-बार जुकाम खाँसी से पीड़ित रहना) निदान में कोई कठिनाई नहीं होती है। हीमोग्राम करने पर अनीमिया, • ल्यूकोसाइटोसिस और ‘इओसिनोफीलिया’ का पता चलता है। मल परीक्षण में इन्टेस्टाइनल वर्मस की उपस्थिति मिलती है। चेस्ट का रेडियोग्राफ Inconclusive होता है।
परिणाम
रोगी को बार-बार सर्दी खाँसी से पीड़ित रहते रहने पर क्रानिक राइनाइटिस तथा क्रोनिक ब्रोन्काइटिस अथवा हूपिंग कफ का शिकार हो सकता है। उसकी बढ़ोत्तरी कम हो जाती है। और अनीमिक हो जाती है।