टेटनस क्या है?
यह क्लोस्ट्रीडियम टेटेनाई (Clostridium titani) के बर्हिषि (Exotoxin) से उत्पन्न होने वाला रोग है। इसकी निम्नलिखित 3 विशेषतायें होती है-
1. जबड़ों का बन्द होना (Lock jaw) |
2 पेशियों में प्रवेगी आकर्ष होना तथा
3. सारे शरीर में तानिक कठोरता (Tonic rigidity) होना।
Tetanus एक घातक रोग है जिसकी मृत्यु दर आज भी 40-60% है। वैसे यह रोग दुनिया भर में होता है लेकिन उन कटिबन्धीय देशों में इसका आघटन अधिक होता है। नवजात शिशुओं की मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। यह रोग वर्ष में कभी भी प्रकट हो सकता है, परन्तु गर्म व आई मौसम इसके स्पोरों के प्रसार के लिये बहुत अनुकूल है।

Causes of Tetanus
क्लोस्ट्रीडियम टेटेनाई, कतिपय घरेलू जानवरों की आँत में रहता है, घोड़े की लीद में, मिट्टी में तथा जंग लगे हुए लोहे में इसके बीजाणु (Spores) मिट्टी हैं। विदीर्ण या मिट्टी से घाव में या कटे स्थान में ये बीजाणु ज्यादा आसानी से बढ़ते हैं लेकिन एक मामूली सी खरोंच भी टेटनस संक्रमण के लिये काफी होती है। नवजात शिशुओं में टेटनस जंग लगे हुए या मिट्टी से सने चाकू या ब्लेड से नाभि काटने के कारण होता है।
पशुओं का खाद व जैव पदार्थ जिस मिट्टी में अधिक होते हैं उसमें इस रोग के जीवाणु अधिकतर पाये जाते हैं। इसके बीजाणु घोड़े की लीद और गोबर में पाये जाते हैं जो संक्रमण का मुख्य स्रोत माने गये हैं।

Symptoms of Tetanus
स्थानीय टेटनस में रोग क्षतिग्रस्त स्थान के आस-पास की पेशियों तक ही सीमित रहता है। यह स्वरूप अक्सर सार्वदैहिक स्वरूप के पहले हुआ करता है। सार्वदैहिक स्वरूप होने पर शरीर के विभिन्न पेशी समूहों में कठोरता आ जाती है। साथ ही बेचैनी तथा चिड़चिड़ापन होता है। फिर भी रोगी अन्त तक होश में रहता है। ज्वर होना स्थिति की गम्भीरता का परिचायक है।
सबसे पहले रोगी का जबड़ा बन्द हो जाता है रोगी अपना मुँह नहीं खोल पाता। उदर में कठोरता आ जाती है। गर्दन, पीठ तथा हाथ- पैर की पेशियों में आकर्ष होने के कारण एक धनुष जैसा आसन बन जाता है। पूरे शरीर में तानिक आकर्ष के वेग कुछ सेकेण्ड या मिनट के बाद लगातार आते रहते हैं जो तेज आवाज, रोशनी या अन्य किसी प्रकार की छेड़छाड़ से बढ़ जाते हैं। यह एक दर्दनाक, पस्त कर देने वाली स्थिति होती है जो कुछ दिनों तक या कुछ सप्ताह तक चलती रहती है। स्वरयंत्र में तथा प्रश्वसन की पेशियों में आकर्ष होने के कारण दम घुटने लगता है तथा रोगी की मृत्यु भी सम्भव है। गम्भीर आकर्ष की स्थिति में चूषण निमोनिया हो जाना सम्भव है। आक्षेप के दौरान जीभ कट जाती है या अस्थियों का फ्रेक्चर (Bones fracture) |

रोग की पहचान
रोगी का शरीर धनुष के समान टेढ़ा हो जाता है इसलिये इसको पहचानने में कोई कठिनाई नहीं होती है।

रोग का परिणाम
नये रोगी बहुत जल्दी अर्थात् 1 से 12 दिनों में ही अत्यन्त कृशता एवं सांस रुक जाने से मर जाते हैं। तीव्र आक्षेप से पृष्ठीय स्पाइन में फ्रेक्चर हो जाता है। घुटने व कोहनी के चारों ओर कैल्शियम एकत्र हो जाने से हाथ-पैर मुड नहीं पाते।