Abortion – गर्भपात की पूरी जानकारी और सावधानियाँ

परिचय (Introduction)

गर्भपात (Abortion) का अर्थ है — गर्भावस्था के दौरान भ्रूण या गर्भ का किसी कारणवश समाप्त हो जाना।
यह दो प्रकार का होता है — स्वाभाविक (Natural / Miscarriage) और कृत्रिम (Induced Abortion)
कई बार गर्भपात बिना किसी दवा या हस्तक्षेप के स्वयं हो जाता है, जबकि कुछ स्थितियों में इसे चिकित्सकीय रूप से करवाया जाता है।

गर्भपात केवल एक चिकित्सकीय प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह शारीरिक और मानसिक दोनों स्तरों पर संवेदनशील स्थिति होती है। इसलिए इसका सही मार्गदर्शन और देखभाल अत्यंत आवश्यक है।

गर्भपात के प्रकार (Types of Abortion)

  1. स्वाभाविक गर्भपात (Spontaneous Abortion / Miscarriage):
    यह तब होता है जब भ्रूण किसी कारणवश स्वयं नष्ट हो जाता है, प्रायः गर्भ के पहले 20 सप्ताह के भीतर।
  2. कृत्रिम गर्भपात (Induced Abortion):
    जब किसी चिकित्सकीय या व्यक्तिगत कारण से गर्भ को समाप्त किया जाता है। यह केवल डॉक्टर की देखरेख में ही सुरक्षित होता है।
  3. अपूर्ण गर्भपात (Incomplete Abortion):
    जब गर्भ का कुछ हिस्सा गर्भाशय में रह जाता है, जिससे संक्रमण या रक्तस्राव हो सकता है।
  4. पूर्ण गर्भपात (Complete Abortion):
    जब भ्रूण और गर्भ से संबंधित सभी ऊतक पूरी तरह बाहर निकल जाते हैं।
  5. मृत भ्रूण गर्भपात (Missed Abortion):
    जब भ्रूण की मृत्यु तो हो जाती है लेकिन वह गर्भाशय में ही बना रहता है।

गर्भपात के कारण (Causes of Abortion)

  1. हार्मोनल असंतुलन
    • प्रोजेस्टेरोन की कमी
    • थायरॉयड या अन्य हार्मोन से जुड़ी गड़बड़ी
  2. जेनेटिक (Genetic) कारण
    • भ्रूण में गुणसूत्रों की असामान्यता
  3. संक्रमण (Infection)
    • गर्भाशय या मूत्राशय में संक्रमण
  4. लाइफस्टाइल फैक्टर
    • अत्यधिक तनाव
    • धूम्रपान, शराब या नशीले पदार्थों का सेवन
  5. अन्य कारण
    • गर्भाशय की संरचनात्मक असामान्यता
    • गंभीर बीमारी जैसे मधुमेह, हृदय रोग या किडनी की समस्या
    • दवाओं का गलत उपयोग

लक्षण (Symptoms of Abortion)

  • योनि से रक्तस्राव या स्पॉटिंग
  • पेट या कमर में ऐंठन और दर्द
  • कमजोरी, चक्कर या बेहोशी
  • गर्भावस्था के लक्षणों (जैसे उल्टी, थकान) का अचानक कम होना
  • गर्भाशय से ऊतक या द्रव का निकलना

यदि ये लक्षण दिखें, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

निदान (Diagnosis)

  1. अल्ट्रासाउंड (Ultrasound): भ्रूण की स्थिति और दिल की धड़कन की जाँच के लिए।
  2. रक्त परीक्षण (Blood Test): hCG और हार्मोन स्तर की जाँच।
  3. पेल्विक परीक्षण (Pelvic Examination): गर्भाशय की स्थिति की जाँच के लिए।

इलाज (Treatment of Abortion)

🔹 स्वाभाविक गर्भपात में:

यदि गर्भ का सारा ऊतक बाहर निकल चुका है, तो सिर्फ निगरानी और आराम की आवश्यकता होती है।

🔹 अपूर्ण गर्भपात में:

  • डॉक्टर Dilation and Curettage (D&C) प्रक्रिया के माध्यम से गर्भाशय साफ करते हैं।
  • संक्रमण रोकने के लिए एंटीबायोटिक दवाएँ दी जाती हैं।

🔹 कृत्रिम गर्भपात में:

  • प्रारंभिक अवस्था में मेडिकल एबॉर्शन (Medication) किया जा सकता है।
  • अधिक सप्ताह के गर्भ में सर्जिकल एबॉर्शन (Surgical Abortion) किया जाता है।

ध्यान दें: किसी भी स्थिति में घरेलू नुस्खों या बिना डॉक्टर की सलाह के गर्भपात का प्रयास जानलेवा हो सकता है।

गर्भपात के बाद देखभाल (Post-Abortion Care)

  1. आराम और मानसिक शांति: शरीर और मन को आराम दें।
  2. संतुलित आहार: आयरन, प्रोटीन और फलों का सेवन बढ़ाएँ।
  3. संक्रमण से बचाव: साफ-सफाई का ध्यान रखें।
  4. भावनात्मक सहयोग: मानसिक तनाव या अवसाद की स्थिति में परिवार और डॉक्टर की मदद लें।
  5. डॉक्टर की सलाह: दोबारा गर्भधारण से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

गर्भपात से बचाव (Prevention Tips)

  • गर्भधारण से पहले स्वास्थ्य जांच कराएँ।
  • संक्रमण, थायरॉयड या हार्मोन की समस्या का इलाज कराएँ।
  • तनाव कम करें और पर्याप्त नींद लें।
  • नशीले पदार्थों से दूर रहें।
  • गर्भावस्था के दौरान दवाओं का सेवन डॉक्टर की सलाह से ही करें।
  • पौष्टिक और संतुलित भोजन करें।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण (Ayurvedic Approach)

आयुर्वेद के अनुसार गर्भपात अक्सर वात दोष की वृद्धि और रक्त की दुर्बलता के कारण होता है।
उपचार में शरीर की शक्ति, गर्भाशय की स्थिरता और रक्तवर्धक औषधियों का उपयोग किया जाता है —

मुख्य औषधियाँ:

  • अशोक चूर्ण / अशोक वटी
  • शतावरी कल्प
  • लोध्रासव और पुष्पधान्वारिष्ट
  • ब्राह्मी और सारस्वतारिष्ट

योग और प्राणायाम:

  • अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और ध्यान मानसिक शांति देते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

गर्भपात एक गंभीर किन्तु सामान्य चिकित्सकीय स्थिति है।
समय पर पहचान, सही इलाज और शारीरिक-मानसिक देखभाल से महिला का स्वास्थ्य पूरी तरह पुनर्स्थापित किया जा सकता है।
सबसे ज़रूरी है कि गर्भपात को छिपाने या अनदेखा करने की बजाय डॉक्टर की सलाह लेकर सुरक्षित तरीके से आगे बढ़ा जाए।

FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. क्या हर गर्भपात के बाद गर्भधारण संभव है?
👉 हाँ, उचित इलाज और देखभाल के बाद महिला पुनः गर्भवती हो सकती है।

Q2. क्या बार-बार गर्भपात होना खतरनाक है?
👉 हाँ, यह गर्भाशय की कमजोरी या हार्मोनल समस्या का संकेत हो सकता है।

Q3. क्या गर्भपात रोकना संभव है?
👉 शुरुआती लक्षणों की पहचान और समय पर इलाज से कई बार गर्भपात रोका जा सकता है।

Q4. क्या घरेलू नुस्खों से गर्भपात करवाना सुरक्षित है?
👉 बिल्कुल नहीं। यह जानलेवा साबित हो सकता है। हमेशा डॉक्टर की निगरानी में ही करवाएँ।

Q5. गर्भपात के बाद दोबारा गर्भधारण कब करना चाहिए?
👉 सामान्यतः 3-6 महीने के बाद, जब शरीर पूरी तरह स्वस्थ हो जाए।

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