क्या है? खून की उल्टी होना
श्वास मार्ग से या फेफड़ों से खाँसी (Cough) के साथ खून आये तो उसे ‘हीमोपटिसिस’ कहते हैं।

Haemoptysis causes
यह रोग टी. बी. (क्षय रोग), श्वास नली विस्फार (ब्रोंकीएक्टेसिस), लंग एब्सेस, माइट्रल स्टीनोसिस, ब्रोंकियल कार्सीनोमा, लेफ्ट आर्ट फेल्योर एवं रक्त विकृति (ब्लड डिस्क्रेसिया) आदि विकारों के परिणामस्वरूप होता है। वैसे यह रोग क्षय रोग के परिणामस्वरूप होता है। पर कभी-कभी मसूड़ों और कंठ से भी रक्त आता है। कभी-कभी न्यूमोनिया, फेफड़ों की कमजोरी से भी ऐसा होता है।
Haemoptysis symptoms
छाती में तनाव और भारीपन, गले में खराश, सूखी खाँसी, श्वास लेने में कष्ट, खाँसी के साथ कफ मिला हुआ रक्त आना आदि लक्षण होते हैं। के आने से पहले मितली तथा पेट के ऊपरी भाग में भार मालूम होता है। अधिकांशतः खून की के होने के पहले आमाशय में दर्द और भार मालूम होता है। इसके अतिरिक्त अजीर्ण, मितली. मुँह का स्वाद, नमकीन, नाड़ी कमजोर, लम्बी साँस, झुनझनी आदि लक्षण पैदा होते हैं।

रोग की पहचान
इस रोग में पहले खाँसी आती है उसके बाद खून गिरता है। दूसरा, बाद में खून, खाँसी के साथ बलगम में मिल कर निकलता है छाती के एक्सरे एवं ब्रान्कोस्कोपी द्वारा निदान की पुष्टि होती है।
पथ्यापथ्य, सहायक चिकित्सा एवं निर्देश
सूखी गेहूँ की रोटी, चना, मूँग, मसूर की दाल, गाय का दूध इस रोग में पथ्य है। वादी चीजें खटाई, मिठाई, लाल मिर्च, कटहल, दही, चटपटी मसालेदार चीजों से परहेज करें। बासी भोजन से बचें मेहनत से दूर रहें. अधिक रक्तस्राव की दशा में रोगी को पूर्ण रूप से विश्राम दें और चारपाई पर लिटाये
#फेफड़े से खून आना और आमाशय से खून आने में भेद है।
* आमाशय के खून में खून का रंग कुछ काला और बिना फेन का होता है और खाया पदार्थ (कमी रक्त) मल के साथ आता है और के के पहले आमाशय में दर्द या मितली रहती है।
* फेफड़े से खून के आने में खून चमकीला लाल और फेन भरा हुआ एवं श्लेष्मा मिला रहता है। खून के पहले साँस का कष्ट और छाती का दर्द भी रहता है।
चिकित्सा विधि
हीमोपटिसिस स्वयं में एक रोग नहीं है, अपितु किसी रोग का लक्षण है, इसलिए इसके कारण का पता लगाना चाहिए। यदि रक्त वमन 24 घण्टे से अधिक समय से आ रहा है। और रक्त 1/2 लीटर से अधिक चला गया है, शॉक के लक्षण उपस्थित हो गए हो तो ऐसे में रोगी को डेक्स्ट्रोज आई. वी. शुरू करके अस्पताल भेज दें।
सामान्य उपचार एवं सहायक चिकित्सा
रोगी को बिस्तर पर पूर्ण आराम करायें (Complete bed rest)। यदि खून अधिक मात्रा में कैसे आ रहा है तो मरीज को बिस्तर के किनारे से आधे लेटे हुए की स्थिति में आराम करवायें एवं उसका सिर नीचा कर दें।
आपातकालीन चिकित्सा
* यदि कम मात्रा में हीमोपटिसिस (रक्त वमन) हो-यदि यह पता हो जाये कि रक्त किस तरफ से आ रहा है तो उसी तरफ की करवट से लिटायें। इन्जेक्शन केलम्पोज (डायजीपाम) 10 मिग्रा० या पैथेडीन हाइड्रोक्लोराइड 50 मिग्रा० माँसपेशीगत दें।
* यदि अधिक मात्रा में हीमोपटिसिस हो-रोगी को बिस्तर पर पूर्ण आराम दें। इन्जेक्शन डायजीपाम या पैथेडीन उपरोक्त मात्रा में दें। यदि रक्तचाप (B. P.) कम हो रहा है एवं मरीज शॉक में है तो खून चढ़ाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। जब तक इसकी व्यवस्था हो तब तक 5% डेक्सट्रोज और नार्मल सैलाइन दें। साथ में रोगी को ब्राडस्पेक्ट्रम एण्टीबायोटिक दें। यदि रोगी क्षय रोग से पीड़ित है तो एण्टीबायोटिक के साथ-साथ क्षयरोग निवारक औषधियाँ (एण्टी-ट्यूबरकुलस ड्रग्स) भी शुरू कर दें।
एक बार हालत काबू में आ जाये तो कारण का पता लगाकर उसकी चिकित्सा शुरू करें।