जीवों की विविधता का मतलब है कि पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के जीवित प्राणियों का अस्तित्व है, जो आकार, रूप, जीवनशैली, और पर्यावरण के हिसाब से अलग-अलग होते हैं। इसे समझने के लिए जीवों को उनके संरचनात्मक और कार्यात्मक गुणों के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में बांटा जाता है।
जीवों की विशेषताएँ:
- वृद्धि (Growth):
जीवों का आकार बढ़ता है, उनके द्रव्यमान और कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि होती है। - प्रजनन (Reproduction):
जीव अपनी संतान उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं। - चयापचय (Metabolism):
शरीर में जैव रासायनिक क्रियाएँ होती हैं, जिससे ऊर्जा उत्पन्न होती है। - कोशिकीय संगठन (Cellular Organization):
सभी जीव कोशिकाओं से बने होते हैं। - सचेतना (Consciousness):
जीव बाहरी वातावरण के प्रति प्रतिक्रिया देते हैं।
वर्गीकरण और प्रणालीगत जीवविज्ञान (Classification & Systematic Biology)
1. टैक्सोनॉमी (Taxonomy)
- जीवों को उनके लक्षणों के आधार पर वर्गीकृत करना।
2. प्रणालीगत जीवविज्ञान (Systematics)
- जीवों की विविधता और उनके पारस्परिक संबंधों का अध्ययन।
3. नामकरण (Nomenclature)
- जीवों को वैज्ञानिक नाम देने की प्रक्रिया।
- द्विनाम पद्धति (Binomial Nomenclature): प्रत्येक जीव का नाम दो भागों में होता है –
- जीनस (Genus) – पहला नाम, बड़ा अक्षर से शुरू।
- प्रजाति (Species) – दूसरा नाम, छोटे अक्षर में।
- उदाहरण:
- Homo sapiens (मनुष्य)
- Panthera leo (शेर)
4. जीवों का वर्गीकरण (Classification of Organisms)
A. लिनियस की द्वि-राज्य प्रणाली (Two Kingdom System)
- पादप (Plantae) – स्वपोषी (खुद भोजन बनाने वाले), स्थिर।
- जन्तु (Animalia) – परपोषी (दूसरों पर निर्भर), गतिशील।
B. व्हिटेकर की पंच-राज्य प्रणाली (Five Kingdom System)
- मोनेरा (Monera) – एककोशिकीय, बिना नाभिक वाले (प्रोकैरियोटिक) जीव।
- प्रोटिस्टा (Protista) – एककोशिकीय, नाभिक वाले (यूकैरियोटिक) जीव।
- फंजाई (Fungi) – परपोषी, कोशिका भित्ति चिटिन से बनी।
- पादप (Plantae) – स्वपोषी, कोशिका भित्ति सेल्यूलोज़ से बनी।
- जन्तु (Animalia) – परपोषी, कोशिका भित्ति नहीं होती।
5. वायरस, वायरोइड और लाइकेन
- वायरस – अकोशिकीय, केवल मेजबान के अंदर ही जीवित।
- वायरोइड – छोटे संक्रमणकारी तत्व, सिर्फ RNA से बने।
- लाइकेन – कवक और शैवाल का सहजीवी (एक साथ रहने वाला) संबंध।
पादप जगत (Plant Kingdom)
पादप जगत में विभिन्न समूह होते हैं, जो उनके जीवनकाल और संरचना के आधार पर विभाजित होते हैं:
- शैवाल (Algae):
ये जल में पाई जाने वाली वनस्पतियाँ हैं। इनका कोई विशेष तना, जड़ या पत्तियाँ नहीं होतीं। ये केवल हरे, भूरें या लाल रंग के होते हैं और जल के अंदर प्रकाश संश्लेषण के द्वारा अपना भोजन तैयार करते हैं। - ब्रायोफाइट (Bryophytes):
इनको उभयचर पौधे कहा जाता है, क्योंकि ये भूमि और जल दोनों में रह सकते हैं। इनका आकार छोटा होता है, और इन्हें जल के संपर्क में रहना पड़ता है ताकि प्रजनन प्रक्रिया हो सके। उदाहरण: मूस और लीवरवर्ट्स। - टेरिडोफाइट (Pteridophytes):
ये पहले संवहनी पादप होते हैं, जिनमें तंतु (वस्कुलर तंत्र) होते हैं जो पानी और खनिजों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाते हैं। इनका प्रजनन बीज के द्वारा नहीं बल्कि स्पोरेस द्वारा होता है। उदाहरण: फर्न। - जिम्नोस्पर्म (Gymnosperms):
ये नग्न बीजधारी पौधे होते हैं, जिनमें बीजों का आवरण नहीं होता। इनकी प्रजनन प्रक्रिया में पुंकों का योगदान होता है। उदाहरण: चीड़ और देवदार। - एंजियोस्पर्म (Angiosperms):
ये फूलों वाले पौधे होते हैं, जिनके बीज फूलों के अंदर उत्पन्न होते हैं। यह पादप सबसे विकसित होते हैं और इनकी प्रजनन प्रक्रिया में फूलों का उपयोग होता है। उदाहरण: गुलाब, आम, और केला।
जन्तु जगत (Animal Kingdom)
जन्तु जगत में कई प्रमुख संघ होते हैं, जिनकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- Porifera:
ये जल में रहने वाले जीव होते हैं, जिनकी शरीर में छिद्र होते हैं। उदाहरण: स्पंज। - Cnidaria:
ये जलचर जीव होते हैं, जिनमें निडोसाइट (जहरीले कोशिकाएँ) होते हैं। उदाहरण: जलजीव, मेडुसा, और कोरल। - Platyhelminthes:
ये समतल कृमि होते हैं जिनका शरीर सपाट होता है। उदाहरण: रक्त कृमि, टैपवॉर्म। - Nematoda:
ये गोल कृमि होते हैं जिनका शरीर बेलनाकार होता है। उदाहरण: एसीरिया, राउंडवॉर्म। - Annelida:
ये खंडित शरीर वाले जीव होते हैं। उदाहरण: केंचुआ, लिवरवर्म। - Arthropoda:
ये सबसे अधिक संख्या वाले संघ होते हैं और इनकी बाहरी कड़ी कंकाल संरचना होती है। उदाहरण: कीड़े, मकड़ी, झींगा, मच्छर। - Mollusca:
ये कोमल शरीर वाले जीव होते हैं जिनमें खोल या शंख होता है। उदाहरण: घोंघा, सीप। - Echinodermata:
ये कांटेदार त्वचा वाले जीव होते हैं। इनकी संरचना रेडियल असममिति में होती है। उदाहरण: तारा मछली, समुद्री खग। - Chordata:
ये मेरुदंड वाले जीव होते हैं, जिनके शरीर में कशेरुक (vertebral column) होता है। उदाहरण: मानव, मछली, पक्षी।
महत्वपूर्ण प्रश्न (NEET के लिए जरूरी टॉपिक्स)
- जीवों की विशेषताएँ:
- ये जीवित रहते हैं, पोषण करते हैं, वृद्धि करते हैं, प्रजनन करते हैं और परिवर्तनों के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं।
- सभी जीवों में कोशिकाएँ होती हैं और उनका अस्तित्व संगठनात्मक स्तर पर होता है।
- टैक्सोनॉमी और प्रणालीगत जीवविज्ञान में क्या अंतर है?
- टैक्सोनॉमी जीवों की वर्गीकरण की प्रक्रिया है, जबकि प्रणालीगत जीवविज्ञान जीवों के संबंधों का अध्ययन करता है।
- पंच-राज्य प्रणाली में विभिन्न समूहों की विशेषताएँ बताइए:
- पादप, कवक, प्रोटिस्ट, जीवाणु, और जन्तु। प्रत्येक का जीवन रूप, प्रजनन और संरचना अलग होती है।
- द्विनाम पद्धति के नियम क्या हैं?
- इसे कार्ल लिनियस ने विकसित किया। इसमें प्रत्येक जीव को दो नाम दिए जाते हैं: जाति नाम (genus) और प्रजाति नाम (species)।
- विभिन्न पादप समूहों में अंतर बताइए:
- शैवाल में तंतु नहीं होते, ब्रायोफाइट्स में तंतु होते हैं लेकिन संवहनी तंतु नहीं होते, टेरिडोफाइट्स में संवहनी तंतु होते हैं, जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म में बीज होते हैं, लेकिन एंजियोस्पर्म में फूल होते हैं।
- आर्थोपोडा संघ के विशेष लक्षण क्या हैं?
- बाहरी कंकाल, खंडित शरीर, और पैर होते हैं।
- वायरस और बैक्टीरिया में मुख्य अंतर क्या है?
- वायरस को जीवित माना जाता है केवल जब वह होस्ट कोशिका में होता है, जबकि बैक्टीरिया स्वतंत्र रूप से जीवित रहते हैं।
- लाइकेन का सहजीवी संबंध कैसे कार्य करता है?
- लाइकेन में एक फंगी और एक शैवाल का सहजीवी संबंध होता है, जिसमें फंगी शैवाल को संरक्षित करता है, और शैवाल प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन प्रदान करता है।
UNIT 1: Diversity of the Living World
1. The Living World
What is Life?
जीवन क्या है? यह कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं द्वारा परिभाषित किया जाता है:
- Growth (वृद्धि): सभी जीवों में कोशिकाओं की संख्या और आकार में वृद्धि होती है। पौधे जीवनभर बढ़ते रहते हैं, जबकि जानवर एक निश्चित समय तक ही वृद्धि करते हैं।
- Reproduction (प्रजनन): जीवों की यह क्षमता होती है कि वे अपनी संतान उत्पन्न कर सकें। यह लैंगिक (Sexual) या अलैंगिक (Asexual) हो सकता है।
- Metabolism (चयापचय): सभी जीवों में जैव रासायनिक क्रियाएँ होती हैं, जैसे पाचन, श्वसन, ऊर्जा उत्पादन आदि। ये प्रतिक्रियाएँ जीवित कोशिकाओं में ही संभव होती हैं।
- Consciousness (चेतना): जीव पर्यावरणीय परिवर्तनों (जैसे रोशनी, तापमान, स्पर्श) को महसूस करके प्रतिक्रिया देते हैं। यह जीवन की एक अनूठी विशेषता है।
Biodiversity (जैव विविधता)
पृथ्वी पर जीवन के रूपों की विशाल विविधता को जैव विविधता (Biodiversity) कहते हैं। वर्तमान में लगभग 1.7 – 1.8 मिलियन प्रजातियाँ पहचानी जा चुकी हैं, लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि कुल प्रजातियों की संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है।
Taxonomy & Classification (वर्गीकरण और पारिभाषिक विज्ञान)
जीवों की पहचान, नामकरण और वर्गीकरण की वैज्ञानिक विधि को Taxonomy (पारिभाषिक विज्ञान) कहा जाता है। जीवों के अध्ययन को व्यवस्थित करने के लिए वैज्ञानिकों ने वर्गीकरण प्रणाली विकसित की।
👉 Carolus Linnaeus (कैरोलस लीनियस) ने Binomial Nomenclature (द्विनाम पद्धति) विकसित की, जिसमें प्रत्येक जीव को दो शब्दों वाला वैज्ञानिक नाम दिया जाता है। उदाहरण:
- मानव (Man) → Homo sapiens
- शेर (Lion) → Panthera leo
Binomial Nomenclature के नियम:
- वैज्ञानिक नाम में पहला शब्द Genus (वंश) और दूसरा Species (जाति) को दर्शाता है।
- Genus का पहला अक्षर हमेशा बड़ा (Capital) होता है, जबकि Species का नाम छोटे (Small) अक्षरों में लिखा जाता है।
- नाम को Italic में लिखा जाता है, या यदि हाथ से लिखा जाए तो अंडरलाइन किया जाता है।
Taxonomic Hierarchy (जीवों की श्रेणीबद्धता)
जीवों को व्यवस्थित रूप से वर्गीकृत करने के लिए Taxonomic Hierarchy का उपयोग किया जाता है।
📌 उच्चतम से निम्नतम स्तर तक:
- Kingdom (राज्य) → सबसे बड़ा समूह (e.g., Animalia, Plantae)
- Phylum (संघ) → समान विशेषताओं वाले जीवों का बड़ा समूह (e.g., Chordata)
- Class (वर्ग) → छोटे समूहों में विभाजन (e.g., Mammalia)
- Order (गण) → एक जैसी विशेषताएँ रखने वाले वर्गों का समूह (e.g., Primates)
- Family (कुल) → समान लक्षणों वाले जीवों का बड़ा समूह (e.g., Hominidae)
- Genus (वंश) → समान विशेषताओं वाले प्रजातियों का समूह (e.g., Homo)
- Species (जाति) → सबसे छोटा और मूल इकाई (e.g., sapiens)
🔹 Example: मानव (Human) का वर्गीकरण
- Kingdom: Animalia (जन्तु जगत)
- Phylum: Chordata (रज्जुकी)
- Class: Mammalia (स्तनधारी)
- Order: Primates (प्राइमेट्स)
- Family: Hominidae (होमिनिडी)
- Genus: Homo (होमो)
- Species: sapiens (सैपियन्स)
👉 निष्कर्ष: यह वर्गीकरण जीवों को समझने, उनका अध्ययन करने और उनकी समानताओं एवं विविधताओं को व्यवस्थित करने में मदद करता है। यह NEET परीक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण टॉपिक है।